BHAKTI KYA HAI
भक्ति क्या है
भक्ति नयनों नहीं होती नहीं तो सूरदास जी श्री कृष्ण के भक्त ना होते. एक बार सूरदास जी से किसी ने कहा कि आप हर रोज मंदिर आते है जबकि आप देख नहीं सकते. सूरदास जी ने बडा़ सुंदर उत्तर दिया. सूरदास जी कहने लगे कि ईश्वर तो देख रहा हैं कि उनका भक्त रोज आता है.
भक्ति हाथ पैरों से नहीं होती नहीं तो दिव्यांग नहीं कर पाते.
भक्ति सूनने बोलने से होती तो गूँगे बहरे नहीं कर पाते. लेकिन ईश्वर तो उनकी भी सुनता है जो बोल नहीं पाते.
भक्ति धन और शक्ति से नहीं होती नहीं तो निर्धन और कमज़ोर कभी नहीं कर पाते. भगवान तो सच्ची श्रद्धा भक्ति पर रिझते है . इसलिए तो धन्ना जाट के बुलाने पर आ गए. शबरी के झूठे बेर खाये. मीराबाई को कृष्ण भक्ति में महलों का कोई मोह नहीं था.
भक्ति केवल एक भाव है जो सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ हृदय से होकर विचारों में आता है.
भगवान श्री राम ने शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश था
प्रभु राम और लक्ष्मण जी जब शबरी के आश्रम में पधारे तो शबरी कहने लगी कि प्रभु मैं अधम जाति की हूँ . मैं आप की स्तुति किस प्रकार करूं . प्रभु श्री राम ने कहा मैं तो केवल भक्ति का ही संबंध मानता हूं . मैं तुमसे अपनी नवधा भक्ति कहता हूं.
पहली भक्ति है संतों की संगत
दूसरी भक्ति है मेरी कथा प्रसंग
तीसरी है गुरु के चरण कमलों की सेवा
चौथी कपट छोड़कर मेरे गुणों का गान
पांचवी भक्ति मंत्र का जाप और मुझ पर दृढ़ विश्वास
छठी भक्ति है अच्छा स्वभाव या चरित्र
सातवीं भक्ति है जगत को समभाव से ही राममय देखना
आठवीं भक्ति है जो मिल जाए उसमें संतोष करना और पराए के दोषों को ना देखना
नवीं भक्ति है सरलता और किसी से छल ना करना और हृदय में मेरा भरोसा रखना .
इन नवों में से जिनके पास एक भी होती है . वह मुझे अत्यंत प्रिय हैं . फिर तुम में तो हर प्रकार की भक्ति है.
भगवान विष्णु ने जब कपिल अवतार लिया तो माँ देवहूति को भक्ति का उपदेश दिया था.
कपिल भगवान ने कहा कि हे माता! भक्ति के अनेक मार्ग है. राजस, तामस, और सात्विक भाव इसके मुख्य भेद है . मैं फल की इच्छा पाने वाले को फल, सायुज्य मुक्ति वाले को सायुज्य मुक्ति, नाना प्रकार की इच्छा करने वालों को उनकी उपासना के अनुसार फल देता हूँ.
सबसे सरल मार्ग है कि मनुष्य मेरा ध्यान, पूजन और स्तुति करें. सब में मेरी भावना करें, धैर्य, वैराग्य का पालन करे और यम - नियम का पालन कर मेरे नाम का जाप करे. ऐसा मनुष्य अंत में मुझे प्राप्त हो जाता है.
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