BUDDHI KI PARAKH STORY OF WISDOM बुद्धि की परख
एक बार एक राजा था. उसके तीन पुत्र थे. एक दिन राजा के मन में इच्छा हुई कि तीनों पुत्रों की बुद्विमता की परख की जाए .
राजा ने तीनों पुत्रों को अपने कक्ष में बुलाया. राजा ने तीनों पुत्रों को एक - एक सिक्का दिया और कहा कि इस सिक्के से कुछ ऐसा खरीदों जिससे तुम्हारे कक्ष का कोना - कोना भर जाए.
उनमें से दो राजकुमार कहने लगे कि पिता जी अगर एक ही सिक्का देना है तो कम से कम सिक्का सोने का देना चाहिए था. लेकिन राजा नहीं माना. वह कहने लगे कि, इस सिक्के से ही कमरे को भरना तुम तीनों की चुनौती है.जो इस में जीतेगा उसे पुरस्कार दिया जाएगा."
राजा ने तीनों को रात तक का समय दिया कि मैं रात को स्वयं तुम तीनों के कक्ष में आकर निरिक्षण करूँगा कि किसने सिक्के का उचित उपयोग किया है. रात्रि को राजा बारी - बारी से तीनों राजकुमारों के कमरे में गया.
सबसे बड़े राजकुमार ने ज्यादा सोच विचार नहीं किया था. क्योंकि उसके लिए एक सिक्के की कोई कीमत नहीं थी. उसके मन में था कि एक रूपये में ऐसा कुछ नहीं आ सकता जिस से कमरे का कोना - कोना भरा जा सके. उसे लगा राजा उनके साथ मजाक कर रहे हैं इसलिए उसने कुछ नहीं खरीदा.
दूसरे राजकुमार की नज़र में भी एक सिक्के की कोई खास कीमत नहीं थी. उसने भी कुछ ज्यादा नहीं सोचा. बाज़ार गया और भंगार खरीद कर अपने कक्ष के कोने कोने में बिखेर दिया.
तीसरे राजकुमार ने गहन सोच विचार किया और बाज़ार से दीये खरीद कर लाया था. उसने कमरे के सभी कोनों पर रखे थे जिससे उसके कक्ष का कोना- कोना रोशनी से भर गया था.
अब राजा ने तीनों पुत्रों को पास बुलाया और छोटे को पुरस्कार दिया और बड़े राजकुमारों को सीख दी. राजा ने कहा कि जब मैंने सिक्का खर्च करने को कहा था तो मैंने उससे क्या खरीद सकते हैं उसका संकेत भी साथ ही दे दिया था. मैंने कहा था कि मैं रात्रि में तुम्हारे कक्ष में आऊंगा .तुम्हारे कक्ष का कोना - कोना भरा होना चाहिए.
लेकिन तुम दोनों ने उस और ध्यान नहीं दिया बल्कि तुम दोनों का सारा ध्यान इस बात पर केंद्रित था कि एक सिक्के में कुछ नहीं आता . लेकिन तुम्हारे छोटे भाई ने मेरी बात का सही अर्थ समझ कर दिये खरीदे और अपने कक्ष का कोना कोना रोशनी से भर लिया.
हमारे साथ भी कई बार ऐसा होता है कि हम समस्या के आने पर समस्या को इतनी बड़ी मान लेते हैं कि समाधान पर ज्यादा ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते.
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