KARDAMA DEVAHUTI VANSHAVALI

  सृष्टि के विकास के लिए ब्रह्मा जी ने स्वयंभुव मनु और शतरूपा को उत्पन्न किया. दोनों के संयोग से दो पुत्र और तीन कन्याएँ उत्पन्न हुई. 

देवहूति2. प्रसूति 3. आकूति पुत्रियां हुई और उत्तानपाद और प्रियव्रत पुत्र हुए. 

देवहूति का कर्दम ऋषि से विवाह करवाया और उनकी नौ कन्याएँ हुई . देवहूति के गर्भ से विष्णु जी ने उनके पुत्र के रूप में कपिल अवतार लिया.


कर्दम ऋषि ने अपनी नौ कन्याओं का नवों प्रजापतियों के साथ विवाह किया. 

1. मरीचि के साथ कला का

उनकी पुत्री कला और मरीचि ने कश्यप और पूर्णिमान  नाम के दो पुत्रों को जन्म दिया.

पूर्णिमान के विरज और विश्वग नामक पुत्र और देवतुल्य नामक कन्या हुई जो आगे चलकर गंगा नामक नदी हुई.

2. अत्रि के साथ अनसूया का

अत्रि की पत्नी अनसूया से ब्रह्मा विष्णु महेश के अंश से दत्तात्रेय, दुर्वासा और चन्द्रमा नामक पुत्र हुए. विदुर जी ने पूछा कि, ब्रह्मा विष्णु महेश ने उनके जहाँ क्यों जहाँ जन्म लिया.

 मैत्रेय जी कहने लगे कि, "अत्रि ऋषि ब्रह्मवेत्ता थे. उन्होंने ने तपोबल से भगवान के जैसे पुत्र की याचना की . तीनों देव अपने - अपने चिह्नों से युक्त बैल, हंस और गरूड़ पर अत्रि ऋषि के तप - स्थल पर पहुँचे. अत्रि ऋषि ने उनकी स्तुति की. तीनों देवताओं ने कहा कि हम तीनों एक ऊंँ कार से ही प्रकट हुए है. अपनी तपस्या से प्रसन्न होकर हम आपको वर देते हैं कि हम आपके पुत्र कहलाकर संसार में आपका यश बढ़ावेगे".

 ऐसा वरदान देकर तीनों देव अपने अपने लोक को चले गए. उनके वरदान के प्रभाव से ब्रह्मा जी के अंश से चंद्रमा, विष्णु जी के अंश से दत्तात्रेय और महादेव के प्रभाव से दुर्वासा ऋषि ने, अत्रि और अनसूया जी के यहाँ जन्म लिया.

3. अंगिरा के साथ श्रद्धा का

अंगिरा की पत्नी श्रद्धा से चार कन्याएँ सिनीवाली, कुहू, राका , अनुमति और उतथ्य और बृहस्पति दो पुत्र उत्पन्न हुए.

4. पुलस्त्य के साथ हविर्भुव का 

पुलस्त्य की हर्विर्भूव नामक स्त्री से अगस्त्य और विश्रवाजी  उत्पन्न हुए. अगस्त्य ने जठराग्नि के रूप में दूसरा जन्म लिया और विश्रवाजी के दो विवाह हुए. उनकी पत्नी इडविडा के गर्भ से कुबेर और केशिनी के रावण, कुम्भकर्ण, और विभीषण नामक पुत्र हुये. 

5. पुलह के साथ गति का

ऋषि पुलह और गति के कर्मश्रेष्ठ, वरीयान और सहिष्णु तीन पुत्र हुये. 

6. क्रतु के साथ क्रिया का 

क्रिया और क्रतु से बाल-खिल्यादि साठ सहस्त्र ऋषियों का जन्म हुआ.

7. भृगु के साथ ख्याति का

भृगु ऋषि की ख्याति नामक पत्नी से धाता और विधाता दो पुत्र हुये जिन्होंने  विष्णु परायण लक्ष्मी जी को उत्पन्न किया.

धाता का विवाह मेरू की कन्या ख्याति और विधाता का नियति से हुआ. दोनों के मृकण्डु और प्राण नामक पुत्र हुये. जिनमें मृकण्डु का मार्कण्डेय नाम का पुत्र और प्राण का वेदशिरा नामक पुत्र हुआ. भृगु के पुत्र कवि से शुक्राचार्य पैदा हुये. 

8. वसिष्ठ के साथ अरून्धती का

वशिष्ठ जी की दो पत्नी थी. अरुन्धती के गर्भ से चित्रकेतु और सात ऋषि उत्पन्न हुये और दूसरी पत्नी से शक्ति आदि सन्तानें पैदा हुई. 

9. अथर्वा के साथ शान्ति का विवाह करवा दिया.

अथर्वा और शांति से ऋषि दधीचि का जन्म हुआ जिनका घोड़े का सा शिर था जिनको अश्वशिरा भी कहते हैं.

इस प्रकार कर्दम और देवहूति को वंशावली हज़ारों में पहुँच गई. 

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