RAM NAAM KI MAHIMA KA VARNAN KAUN KAUN SE GRANT ME KIYA GAYA HAI राम नाम

 राम नाम की महिमा का वर्णन कौन कौन से ग्रंथ में किया गया है ?

                  रामायण 

श्री राम के जीवन से संबंधित मूल स्त्रोत महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण को माना जाता है. जो कि संस्कृत भाषा में लिखा गया है. उन्होंने प्रभु श्री राम के पावन एवं आदर्श चरित्र को लिपि बद्ध किया . यह महाकाव्य हमें त्याग, कर्तव्य और धर्म पर चलने की प्रेरणा देता है.

             रामचरितमानस

तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस तो लगभग उत्तर भारत में हर हिन्दू घर में पढ़ी जाती है. रामचरितमानस तुलसीदास जी द्वारा अवधि भाषा में लिखा गया ग्रंथ है. राम नाम की महिमा करते हुए तुलसीदास जी कहते हैं कि राम नाम उल्टा जप कर बाल्मिकी जी पवित्र हो गए और भगवान शिव भी मां भवानी संग इसका जाप करते हैं।


जान आदिकबि नाम प्रतापू । 

भयउ सुद्ध करि उलटा जापू ॥

सहस नाम सम सुनि सिव बानी । 

जपि जेईं पिय संग भवानी ॥ 

राम नाम का उपनिषदों में वर्णन

भगवान राम के ब्रह्म स्वरूप की महिमा का वर्णन बहुत से उपनिषदों में है.जैसे - महोपनिषद , भिक्षुकोपनिषद , पैंगलोपनिषद , शांडिल्योपनिषद तथा योगशिखोपनिषद

दो उपनिषद का नाम राम शब्द से प्रारंभ होता है.

 रामरहस्योपनिषद - के अनुसार सभी पुराण, शास्त्रों,चारों विद्याओं और आध्यात्मिक दर्शन का परमतत्व श्रीराम को माना गया है.
श्रीरामपूर्वतापनीयोपनिषद-  में प्रथम खंड में राम शब्द के विभिन्न अर्थ दिए गए हैं. चतुर्थ खंड में छ: अक्षर वाले रां रामाय नम: मंत्र का वर्णन किया गया है.

पुराणों में राम नाम का वर्णन

अग्नि पुराण , शिव पुराण , विष्णु पुराण आदि में राम जी की महिमा का वर्णन है । पद्म पुराण एवं स्कंद पुराण में भगवान राम की कथा और उनकी महिमा का विशेष वर्णन है । भागवत पुराण में भी राम का वर्णन है।

भगवान शिव पद्म पुराण में भगवती पार्वती जी से कहते हैं - 

राम नाम की महिमा पद्म पुराण राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।  सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।   सुमुखी ! मैं तो राम ! राम ! राम ! इस प्रकार जप करते हुए परम मनोहर श्री राम नाम में ही निरंतर रमण करता हूं । राम नाम संपूर्ण सहस्रनाम के समान है ।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।

सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।

 सुमुखी ! मैं तो राम ! राम ! राम ! इस प्रकार जप करते हुए परम मनोहर श्री राम नाम में ही निरंतर रमण करता हूं । राम नाम संपूर्ण सहस्रनाम के समान है ।


 राधा रानी ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहती है कि

राशब्दो विश्ववचनो मश्चापीश्वरवाचक:।

विश्वानामीश्वरो यो हि तेन राम: प्रकीर्तत:।। 

" रा " शब्द विश्ववाचक है और "म " शब्द ईश्वरवाचक है, इसलिए जो विश्व का ईश्वर है ,  उसे " राम " कहा जाता है।

श्री कृष्ण द्वारा राम नाम की महिमा का वर्णन (आदि पुराण)


राम नाम सदा प्रेम्णा संस्मरामि जगद्गुरुम् 

क्षणं न विस्मृति याति सत्यं सत्यं वचो मम्

(श्री आदि पुराण) 

भगवान श्री कृष्ण श्री आदि पुराण में अर्जुन से कहते हैं कि," हे अर्जुन! मैं सदैव राम नाम स्मरण करता हूँ राम का नाम ही जगत गुरु हैं मैं क्षण भर के लिए भी राम नाम को नहीं भूलता यह मेरा सत्य वचन है"।

संतों द्वारा राम नाम का वर्णन

संत सत्यानंद जी महाराज ने राम अमृतवाणी में राम नाम की बहुत सुंदर व्याख्या की है.

जपना   राम- राम   है      सुकृत, 
राम- नाम     है  नाशक    दुष्कृत |  
सिमरे  राम - राम  ही   जो   जन, 
उसका  हो   शुचितर  तन  - मन ||

राम - नाम का जपना सत्यकर्म है ,पुण्य कर्म है ,राम- नाम  कुकर्मों (पाप कर्मों )का नाश करने वाला है . जो कोई व्यक्ति राम-राम का भावपूर्वक जाप करता है ,उसका तन एवं मन दोनों शुद्धतर (अति शुद्ध) हो जाते हैं. 

मीराबाई भगवान श्री कृष्ण की परम भक्त थी लेकिन राम नाम की महिमा का वर्णन उन्होंने इस प्रकार किया है।

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।

वस्तु अमोलिक दी मेरे सत्गुरु।
कृपा कर अपनायो।।

जन्म जन्म की पूंजी पायी।
जग मे सबी खुमायो।।

खर्च ना खूटे,चोर न लूटे।
दिन दिन बढत सवायो।।

सत कि नाव खेवाटिया सत्गुरु।
भवसागर तरवायो।। 

कबीर दास जी निर्गुणवादी कवि थे। उन्होंने राम नाम की निर्गुण ब्रह्म के रूप में महिमा की है। 

राम नाम की लूट है, लूट सके सो लूट 
अंत काल पछतायेगा, जब प्राण जायेगा छूट। 

चाहे राम नाम सदा सुखदाई है। राम नाम जपने वाले अपने राम पर पूर्ण विश्वास करते हैं और राम राम जपते जपते भव सागर से पार उतर जाते हैं।


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