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Showing posts from November, 2021

KARAM PHAL MOTIVATIONAL STORY IN HINDI

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कर्म फल की प्रेरणादायक कहानी  कर्म फल का नियम है जो बोओगे वही काटोगे. इसलिए कर्म सदैव अच्छे ही करे. यह आप पर निर्भर करता है कि आप अच्छे कर्म करके किसी की दुआ अर्जित करते हो या फिर पाप कर्म करके बददुआ लेते हो. पढ़े कर्म फल का ऐसी ही एक प्रसंग-     Karam phal motivational story: एक बार एक राजा थे . बहुत समय से उन्हें एक प्रश्न व्यथित कर रहा था कि मेरी कुंडली में तो राज योग है इसलिए मैं राजा बना. लेकिन जिस शुभ घड़ी, शुभ नक्षत्र, शुभ समय में मेरा जन्म हुआ ,उसी शुभ घड़ी, नक्षत्र और समय पर कई लोगों ने जन्म लिया.  लेकिन अकेला मैं ही राजा क्यों बना ? राजा ने यह प्रश्न अपने दरबार के विद्वानों के सामने रखा कोई भी इस प्रश्न का उत्तर देने में समर्थ नहीं था.  राजा ने पूछा कि मेरी जिज्ञासा कौन शांत कर सकता     है ?  एक विद्वान ने सुझाव दिया कि दूर घने जंगल में एक महात्मा रहते हैं. शायद वह आपके प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं. राजा उस महात्मा जी के पास पहुंचा तो वह आग में से कोयला निकाल कर खा रहे थे. राजा ने महात्मा से अपना  प्रश्न पूछा तो वह क्रोधित होकर बोले कि मैं इसका प्रश्न का उत्तर नहीं दूंगा. इस

GURU KA ASHIRVAAD गुरु का आशीर्वाद

आषाढ़ पूर्णिमा/गुरु पूर्णिमा बुधवार, 13 जुलाई 2022 पर पढ़ें गुरु के आशीर्वाद का एक प्रसंग   एक बार एक लड़का गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण कर रहा था. उसे समाचार मिला कि तुम्हारी बहन की शादी है जल्दी से गांव आ जाओ .उसने जाकर गुरु जी को बहन की शादी के बारे में बताया.  वह गुरु जी से कहने लगा गुरु जी मैं चाहता हूं कि मेरी बहन की शादी इतनी धूमधाम से हो कि पूरे गांव में उसके जैसा शादी किसी की ना हुई हो.  अगले दिन वह अपने गांव के लिए विदा होने लगा तो उसने गुरु जी को प्रणाम किया.  गुरु जी ने उसे आशीर्वाद दिया कि तुम्हारी मनोकामना ईश्वर पूरी करें . तुम्हारी बहन की शादी जितनी धूमधाम से तुम चाहते हो वैसे ही हो. गुरुजी ने उसे अनार के थैले भर कर दिए और कहा कि तुम्हारी बहन के विवाह में काम आएंगे. वह सोचने लगा कि गुरु जी चाहते तो कोई आर्थिक मदद कर सकते थे लेकिन गुरु जी ने अनार क्यों दिए ? लेकिन गुरु जी का आशीर्वाद लेकर वह अपने गाँव की ओर चल पड़ा. रास्ते में वह कुछ देर विश्राम करने के लिए रुका. वहां पर घोषणा हो रही थी कि राजकुमारी का स्वस्थ ठीक नहीं है उसकी दवा के लिए अनार के रस की जरूरत है . उस नगर के राजा

RAM AMRITVANI LYRICS IN HINDI

राम अमृतवाणी लिरिक्स रामामृत पद पावन वाणी हिन्दी में  रचयिता" श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज" सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम: (७)  रामामृत  पद  पावन    वाणी,  राम - नाम धुन सुधा सामानी ।  पावन - पाठ राम - गुण -ग्राम,  राम - राम जप राम ही राम ।। १।।  परम  सत्य  परम  विज्ञान,  ज्योति - स्वरूप राम भगवान्।  परमानन्द ,       सर्वशक्तिमान् ,  राम   परम  है   राम   महान्।। २।।  अमृत ​​ वाणी  नाम  उच्चारण ,  राम - राम सुखसिद्धि - कारण।  अमृतवाणी   अमृत  श्री   नाम,   राम - राम  मुद  मंगल - धाम ।।३।।  अमृतरूप  राम - गुण  गान,  अमृत-कथन राम व्याख्यान।  अमृत - वचन राम  की चर्चा ,  सुधा सम गीत राम की अर्चा।।४।।  अमृत ​​मनन राम का जाप,  राम - राम प्रभु राम अलाप।  अमृत ​​चिन्तन राम का ध्यान,  राम  शब्द में शुचि समाधान।।५।।  अमृत  ​​रसना  वही  कहवे,  राम -राम जहांँ नाम सुहावे।  अमृत  ​​कर्म  नाम    कमाई ,  राम - राम परम सुखदाई ।।६।।  अमृत ​​राम - नाम जो ही ध्यावे ,  अमृत  पद  सो  ही  जन  पावे।  राम -  नाम  अमृत-रास   सार ,  देता     परम   आनन्द  अपार ।।७।।  राम - राम जप हे मना , 

KARTIK PURNIMA कार्तिक पूर्णिमा

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KARTIK PURNIMA 2021 कार्तिक पूर्णिमा 2021 हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है .इस साल कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दान पुण्य, और दीप दान का विशेष महत्व है. इस दिन माँ लक्ष्मी और तुलसी पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन  भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था.  कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली क्यों कहते हैं और काशी में क्यों मनाई जाती है देव दीपावली                           (DEV DEEPAWALI)  एक और मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरारी नामक राक्षस का वध करने के लिए त्रिपुरारी अवतार लिया था. इसलिए इस पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है. राक्षस का वध होने के पश्चात देवताओं ने भोले नाथ की नगरी काशी में दीप जलाकर दीपावली मनाई थी .इसलिए इस पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहते हैं . कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी     ( वाराणसी) के घाट पर लोग दीप जलाकर आज भी मनाते है देव दीपावली. गुरु नानक देव जयंती  इस दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्

RAJA VAN KI KATHA ध्रुव के वंशज राजा बेन की कथा

 ध्रुव जी के वंशज राजा अंग का वेन नामक पुत्र था. ध्रुव भक्त के वंश में वेन नामक अधर्मी राजा क्यों हुआ ?   राजा अंग की सुनीथा नामक पत्नी से वेन नामक पुत्र उत्पन्न हुआ. सुनीथा मृत्यु की मानसिक कन्या थी. वेन अपने नाना की तरह बहुत ही उग्र स्वभाव का था. वेन ने राजा अंग को बहुत सताया जिसके कारण राजा ने वैराग्य ले लिया.  एक बार राजा अंग ने महायज्ञ किया लेकिन उस में देवता गण शामिल नहीं हुए जिससे राजा ने सभापतियोंं से पूछा कि मुझे बताएं कि मेरे आवाहन पर देवता क्यों नहीं आये?  उन्होंने बताया कि इस जन्म में तो आपका कोई अपराध नहीं है परंतु पूर्व जन्म के कर्म के कारण तुम्हारा कोई पुत्र नहीं है . आपको जिससे पुत्र प्राप्त हो वह उपाय करें.आप पुत्र की कामना के लिए भगवान का स्मरण  करें . मनुष्य की कामनाओं को ईश्वर पूर्ण करते हैं जिस भाव से  पूजा करते हैं ईश्वर उस का फल देते हैं. ब्राह्मणों ने पुत्र प्राप्ति के लिए जैसे ही विष्णु जी के नाम की आहुति दी अग्नि से स्वर्ण पात्र में खीर लिए एक पुरुष निकला. राजा ने खीर अपनी रानी को दे दी .समय आने पर रानी को वेन नामक पुत्र उत्पन्न हुआ जो कि अधार्मिक प्रवृत्ति का

MAA LAKSHMI CHALISA LYRICS IN HINDI

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माँ लक्ष्मी चालीसा लिरिक्स इन हिन्दी  Goddess Lakshmi Chalisa lyrics            ॥दोहा ॥  मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास ।  मनोकामना सिद्ध करि, पुरवहु मेरी आस ।।           ॥सोरठा॥  यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूँ।  सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका ।।              ॥दोहा॥  सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही,  ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि ।  तुम समान नहिं कोई उपकारी,  सब विधि पुरबहु आस हमारी।।  जै जै जगत जननि जगदम्बा,  सबकी तुम ही हो अवलम्बा।  तुम ही हो घट घट के वासी,  विनती यही हमारी खासी।।  जग जननी जय सिन्धु कुमारी ,  दीनन की तुम हो हितकारी।  बिनवो नित्य तुमहिं महारानी ,  कृपा करौ जग जननि भवानी।।  केहि विधि स्तुति करों तिहारी ,  सुधि लीजै अपराध बिसारी।  कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी ,  जग जननि विनती सुन मोरी।।  ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता,  संकट हरो हमारी माता।  क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो ,  चौदह रत्न सिंधु में पायो।।  चौदह रत्न में तुम सुखरासी ,  सेवा कियो प्रभु बन दासी।  जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा,  रूप बदल तहं सेवा कीन्हा।।  स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा ,  लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा।

SAI RAM SHIV MANDIR KHAZAANA GATE AMRITSAR साई राम शिव मंदिर

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  साई राम शिव मंदिर खजाना गेट में आज तुलसी विवाह करवाया गया.  तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है. इस एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है. क्योंकि माना जाता है कि भगवान विष्णु इस दिन चार मास की निद्रा से उठते है. तुलसी विवाह को देव जागरण का शुभ मुहूर्त माना जाता है क्योंकि जब भगवान विष्णु जागते हैं तो पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की सुनते  हैं.  तुलसी विवाह हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार किया जाता है.   हिन्दू विवाह के जैसे मंडप सजाया जाता है. तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह लाल साड़ी, चुड़ा, लकीरें, बिंदी से सजाया जाता है. भगवान विष्णु की मूर्ति या शालीग्राम रूप से तुलसी विवाह कराया जाता है. हवन के पश्चात तुलसी और भगवान विष्णु की आरती की जाती है. भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया जाता है.

UTPANNA EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE IN HINDI

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 उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा और महत्व  मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. इस दिन एकादशी का भगवान विष्णु के शरीर से एक तेजस्वी कन्या के रूप में प्रादुर्भाव हुआ था. इस लिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के सोलह कलाओं से पूर्ण अवतार श्री कृष्ण की पूजा का विधान है.  UTPANNA EKADASHI VRAT SIGNIFICANCE उत्पन्ना एकादशी व्रत  का महत्व एकादशी का व्रत करने वाले को मोक्ष प्राप्त होता है .शत्रुओं का विनाश होता है और विघ्न दूर होते हैं . जो मनुष्य एकादशी महात्म को पढ़ता या फिर सुनता है उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है.  भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध के पश्चात महाराज युधिष्ठिर को एकादशी व्रत का महत्व बताया था . उत्पन्ना एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली है. इस दिन विष्णु भगवान और श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. इस एकादशी का फल वाजपेय और अश्वमेध यज्ञों से कई गुना अधिक मिलता है.  UTPANNA EKADASHI VRAT KATHA उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा  एक बार मुर नामक भयंकर दैत्य था .उसने इंद्र ,वसु, वायु, अग्नि आदि सभी देवताओं को पराजित कर स्वर्ग से

DHRUV AUR YAKSH YUDDH

ध्रुव ने अपने पिता राजा उत्तानपाद को अपने ज्ञान से बहुत प्रभावित किया. भगवान विष्णु की कृपा से ध्रुव का प्रभाव बढ़ने लगा और राजा ने ध्रुव को पृथ्वी का स्वामी बना दिया और स्वयं वन चले गये.  राज्य अभिषेक के पश्चात ध्रुव का विवाह शिशुमार नामक प्रजापति की पुत्री भ्रमि के साथ हुआ . उनके कल्प और वत्सर दो पुत्र हुए. उनकी दूसरी पत्नी का नाम ईला था. जिसका उत्कल नाम का पुत्र था.  राजा ध्रुव का भाई उत्तम एक बार वन में आखेट पर गया तो वहां  अलकापुरी के समीप यक्षों ने युद्ध में मार दिया. भाई की मृत्यु से क्रुद्ध होकर ध्रुव जी ने अलकापुरी पर आक्रमण कर दिया. ध्रुव ने शंख बजाया तो वे युद्ध करने पहुंच गए.  यक्षों ने बाणों की बर्षा से ध्रुव के रथ को लुप्त हो कर दिया. यक्षों को लगा कि ध्रुव जी मारे गये. वे हर्षित हुए परंतु ध्रुव जी धनुष की टंकार कर निकल आये और बाणों की वर्षा से यक्षों की सेना को क्षत - विक्षत कर दिया. कोई भी ध्रुव जी का सामना करने में समर्थ नहीं था. बचे हुए योद्धा भाग गए . ध्रुव जी अपने घर को लौट चले तो रास्ते में यक्षों की माया ने उनका मार्ग अवरुद्ध कर दिया और चारों तरफ प्रलय का दृश्य ह

ISHWAR PER VISHWAS

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 ईश्वर पर विश्वास ईश्वर पर विश्वास Ishwar per vishwas devotional story:एक बार एक साहूकार था. उन्हें रात को नींद नहीं आ रही थी और मन बहुत ही बैचेन लग रहा था. आधी रात को वह टहलने निकल पड़े. उनके घर से कुछ दूरी पर एक मंदिर था उनके कदम अनायास उसी ओर चल पड़े. मंदिर के कपाट बंद थे लेकिन मंदिर की सीढ़ियों पर एक व्यक्ति बैठकर ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था कि प्रभु मेरी पत्नी बहुत बिमार है उसके इलाज के लिए मुझे बहुत से पैसे चाहिए. प्रभु आप के सिवाय इस शहर में मेरा कोई नहीं जिससे में कुछ मांग सकू. प्रभु मेरी प्रार्थना स्वीकार करें और कुछ ऐसा करे जिससे मेरी पत्नी का इलाज हो सके. वह सेठ जी सब सुन रहे थे. अब वह समझ चुके थे कि मैं जहाँ इस मंदिर में ईश्वर की प्रेरणा से आया हूँ . ताकि मैं इस गरीब की मदद कर सकूँ. सेठ जी उस व्यक्ति के पास गए और कहने लगे कि जब तुम ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे तो मैंने तुम्हारी बातें सुन ली थी. सेठ जी ने उसको बहुत से पैसे दिए और कहा कि तुम इन पैसे से अपनी पत्नी का इलाज करवा सकते हो. मदद पाकर वह व्यक्ति प्रसन्न हो गया और ईश्वर से उसकी प्रार्थना स्वीकार करने के लिए धन्यवाद

SHUKRANA शुकराना

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SHUKRANA - GRATITUDE शुकराना का एक अर्थ होता है धन्यवाद,शुक्रिया. जब कोई हमारे लिए कुछ करता है तो हम उसका शुकराना  करते हैं .हमे ईश्वर का शुकराना जरूर करना चाहिए क्योंकि शुक्रराने में बहुत शक्ति है. इस बहुमूल्य जीवन के लिए ईश्वर का शुकराना करे.  हर सांस के लिए उसका शुकराना करे, हर मुश्किल समय में जब हमें लगता है अब इसके आगे कोई रास्ता नहीं, रास्ता दिखाने के लिए ईश्वर तेरा शुकराना. जहाँ हमें लगता है कि सब खत्म हो गया वहाँ ईश्वर की रहमत शुरू हो जाती है. हम कई बार छोटी - छोटी परेशानियों से इतने हताश हो जाते हैं कि  ईश्वर ने जो हमें दिया है उसे नज़र अंदाज कर देते हैं.  किसी ने क्या खूब लिखा है कि , शुक्र है ईश्वर का की मेरे जीवन में मुश्किलें है, इसका मतलब मैं जिंदा हूँ. क्योंकि मुर्दों के लिए तो लोग रास्ता छोड़ दिया करते हैं.  किसी भी परेशानी के आने पर उसके सकारात्मक पहलू को जरूर देखना चाहिए.  एक बार एक राजा था. हर सुख सुविधा उसके पास थी.   लेकिन वह राज कार्य में आने वाली कठिन परिस्थितियों के लिए ईश्वर को कहता था कि सारी मुश्किलें मेरी ही जिंदगी में क्यों देते हो.    एक दिन उसने अपने महल

KRITARTH कृतार्थ

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KRITARTH - GRATITUDE  कृतार्थ का अर्थ होता है एक तरह की संतुष्टि और प्रसन्नता की भावना जब व्यक्ति किसी की कृपा से संतुष्ट होता है यह एक भावनात्मक संतुष्टि की भावना है जब व्यक्ति को लगता है कि जो कार्य वह कर रहा है उसका उद्देश्य सिद्ध हो जाए तो मन में एक सुखद अनुभूति होती है.यह भावना ईश्वरीय कृपा भी हो सकती है.  एक दिन एक व्यक्ति को स्वप्न में एक देवदूत दिखे उनके हाथ में एक सूची थी. व्यक्ति ने देवदूत से बड़ी विनम्रता से पूछा कि, यह आपके हाथ में किस चीज की सूची है ". देवदूत कहने लगे कि मेरे हाथ में उन लोगों की सूची है जो ईश्वर को प्रेम करते हैं.   उस  ने पूछा कि, "क्या मेरा नाम उस सूची में है" ? मैं जरूरतमंद दीन दुखियों की मदद करता हूँ, गरीब बच्चों की पढ़ाई में मदद करता हूँ, और यहाँ तक हो सके अपनी कमाई पुण्य कर्मों में लगाता हूँ. समय मिले तो बैठकर भजन सिमरन कर लेता हूँ,  लेकिन अपना कर्म करते करते तो ईश्वर का सिमरन करता रहता हूँ. देवदूत कहने लगे कि, क्षमा करें श्री मान लेकिन आप का नाम इस सूची में नहीं है.  उसी समय उस व्यक्ति का स्वप्न टूट गया लेकिन अभी भी उसकी आँखें आंसूओं

MAA LAKSHMI KI AARTI LYRICS IN HINDI

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 लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स इन हिन्दी  Goddess Lakshmi Aarti Lyrics                      ऊँ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।                          तुम को निसदिन सेवत ,हर विष्णु धाता ।।                                  ऊँ जय लक्ष्मी माता।। उमा रमा ब्रह्माणि,  तुम ही जग-माता । सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पत्ति दाता । जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता । कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ जिस घर तुम रहतीं, तह सब सद्गुण आता । सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता । खान-पान का वैभव,  सब तुमसे आता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता । रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहिं पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता । उर आनन्द समाता, पाप उतर हो जाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ ALSO READ गणेश जी की आरती माँ लक्ष्मी जी की आरती रामायण जी की आरती आरती कुँजबि