RAM AMRITVANI LYRICS IN HINDI

राम अमृतवाणी लिरिक्स रामामृत पद पावन वाणी हिन्दी में 

रचयिता" श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज"

सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम: (७) 

रामामृत  पद  पावन    वाणी, 

राम - नाम धुन सुधा सामानी । 

पावन - पाठ राम - गुण -ग्राम,

 राम - राम जप राम ही राम ।। १।। 


परम  सत्य  परम  विज्ञान, 

ज्योति - स्वरूप राम भगवान्। 

परमानन्द ,       सर्वशक्तिमान् , 

राम   परम  है   राम   महान्।। २।। 


अमृत ​​ वाणी  नाम  उच्चारण , 

राम - राम सुखसिद्धि - कारण। 

अमृतवाणी   अमृत  श्री   नाम,  

राम - राम  मुद  मंगल - धाम ।।३।। 


अमृतरूप  राम - गुण  गान, 

अमृत-कथन राम व्याख्यान। 

अमृत - वचन राम  की चर्चा , 

सुधा सम गीत राम की अर्चा।।४।। 


अमृत ​​मनन राम का जाप, 

राम - राम प्रभु राम अलाप। 

अमृत ​​चिन्तन राम का ध्यान,

 राम  शब्द में शुचि समाधान।।५।। 


अमृत  ​​रसना  वही  कहवे,

 राम -राम जहांँ नाम सुहावे। 

अमृत  ​​कर्म  नाम    कमाई , 

राम - राम परम सुखदाई ।।६।। 


अमृत ​​राम - नाम जो ही ध्यावे , 

अमृत  पद  सो  ही  जन  पावे। 

राम -  नाम  अमृत-रास   सार , 

देता     परम   आनन्द  अपार ।।७।। 


राम - राम जप हे मना , 

अमृत     वाणी   मान। 

राम - नाम में राम को ,

 सदा    विराजित  जान।।८।। 


राम -  नाम मुद  मंगलकारी, 

विध्न  हरे   सब पातक हारी। 

राम - नाम शुभ - शकुन महान, 

स्वस्ति शान्ति शिवकर कल्याण ।।९।। 


राम -  राम श्री राम - विचार, 

मानिए   उत्तम     मंगलाचार। 

राम - राम  मन मुख  से गाना, 

मानो    मधुर   मनोरथ  पाना ।।१० ।। 


राम -  नाम जो जन मन लावे, 

उस में  शुभ    सभी बस जावे । 

जहांँ हो राम  - नाम धुन - नाद , 

 भागे वहाँ से विषम - विषाद ।।११ ।। 


राम - नाम मन - तप्त बुझावे, 

सुधा रस सीच शांति ले आवे। 

राम - राम जपिए   कर भाव, 

सुविधा सुविधि  बने   बनाव ।।१२।। 


राम  -  नाम सिमरो सदा, 

अतिशय    मंगल     मूल। 

विषम - विकट संकट हरण, 

कारक       सब      अनुकूल ।।१३ ।। 


जपना राम -    राम है  सुकृत, 

राम -    नाम है नाशक दुष्कृत । 

सिमरे राम -  राम ही  जो जन, 

उसका हो शुचितर  तन - मन।।१४ ।। 


जिसमें राम -  नाम शुभ जागे , 

उस के पाप - ताप सब भागे। 

मन से राम - नाम जो उच्चारे ,

 उस के भागें भ्रम  भय सारे।।१५ ।। 


जिस में बस जाए राम सुनाम , 

होवे      वह   जन   पूर्णकाम। 

चित में राम  -  राम जो सिमरे, 

निश्चय भव -  सागर     से तरे।।१६।। 


राम -  सिमरन होव सहाई , 

राम - सिमरन  है सुखदायी। 

राम - सिमरन सब से ऊंँचा , 

राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा।।१७।। 


राम -  राम ही  सिमर मन, 

राम   -  राम      श्री   राम। 

राम   -  राम श्री राम - भज, 

राम   -     राम    हरि - नाम ।।१८ ।। 


मात - पिता बान्धव सुत दारा,

 धन जन साजन सखा प्यारा । 

अन्त काल दे सके ना सहारा, 

राम -   नाम  तेरा तारन  हारा।।१९।। 


सिमरन राम -   नाम है संगी,

सखा स्नेही सुहृद् शुभ अंगी। 

युग - युग का है राम सहेला,

राम  -भक्त नहीं रहे अकेला।। २०।। 


निर्जन - वन विपद् हो घोर,

निबिड़ - निशा तम सब ओर । 

जोत जब राम- नाम की जागे , 

संकट सर्व सहज से भगे ।।२१ ।। 


बाधा बड़ी विषम जब आवे , 

वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे । 

राम नाम जपिए सुख दाता ,

सच्चा साथी जो हितकर त्राता ।।२२ ।। 


मन जब धैर्य को नहीं पावे , 

कुचिन्ता चित्त को चूर बनावे। 

 राम - नाम जपे चिन्ता चूरक , 

चिंतामणि चित्त चिंतन पूरक ।।२३।। 


शोक सागर हो उमड़ा आता ,

 अति दुःख में मन घबराता । 

भजिए राम - राम बहु बार , 

जन का करता बेड़ा पार ।।२४ ।। 


कड़ी घड़ी  कठिनतर काल , 

कष्ट कठोर हो क्लेश कराल । 

राम - राम जपिए प्रतिपाल , 

सुख दाता प्रभु दीनदयाल।।२५ ।। 


घटना घोर घटे जिस बेर, 

दुर्जन   दुखड़े  लेवें  घेर। 

जपिए राम - नाम बिन देर, 

रखिये राम -  राम शुभ टेर।।२६ ।। 


राम - नाम हो सदा सहायक, 

राम - नाम सर्व  सुखदायक। 

राम - राम प्रभु राम की टेक, 

शरण शान्ति आश्रय  है एक।।२७ ।। 


पूँजी राम - नाम  की पाइये,

 पाथेय साथ नाम ले जाइये। 

नाशे जन्म मरण का खटका, 

रहे राम - भक्त नहीं अटका।।२८ ।। 


राम   - राम श्री राम  है,

 तीन   लोक  का  नाथ। 

परम - पुरुष पावन प्रभु, 

सदा  का   संगी    साथ।।२९ ।। 


यज्ञ तप ध्यान योग ही त्याग, 

वन  कुटी  वास अति  वैराग। 

राम - नाम बिना नीरस फोक,

 राम -  राम जप तरिए लोक।।३० ।। 


राम - जाप सब संयम साधन, 

राम - जाप  है  कर्म आराधन। 

राम - जाप है परम - अभ्यास, 

सिमरो राम - नाम' सुख - रास '।।३१ ।। 


राम - जाप कही ऊंँची करणी, 

बाधा - विघ्न बहु  दुःख हरणी। 

राम - राम महा -  मंत्र  जपना , 

है  सुव्रत  नेम   तप      तपना।।३२।। 


राम - जाप है सरल - समाधि, 

हरे सब  आधि व्याधि उपाधि, 

ऋद्धि - सिद्धि और नव-निधान, 

दाता राम है  सब   सुख - खान।। ३३।। 


राम - राम  चिन्तन  सुविचार, 

राम - राम  जप   निश्चय धार। 

राम - राम   श्री राम  - ध्याना, 

है परम  -   पद   अमृत  पाना।।३४।। 


राम -   राम श्री  राम हरी,

 सहज    परम   है   योग। 

राम  -  राम श्री राम जप,

 दाता    अमृत  -   भोग।।३५।। 


नाम चिंतामणि रत्न अमोल, 

राम - नाम महिमा अनमोल। 

अतुल  प्रभाव अति - प्रताप, 

राम - नाम कहा तारक जाप।।३६।। 


बीज अक्षर महा - शक्ति - कोष, 

राम - राम  जप  शुभ -   संतोष। 

राम - राम श्री  राम -   राम मंत्र ,

 तंत्र      बीज    परात्पर    यन्त्र ।।३७।। 


बीजाक्षर  पद   पद्म   प्रकाशे, 

राम -  राम  जप दोष  विनाशे। 

कुण्डलिनी बोधे, सुषुम्ना खोले,

 राम -  मंत्र  अमृत - रस   घोले।।३८।। 


उपजे नाद सहज बहु - भांत, 

अजपा जाप भीतर हो  शांत। 

राम - राम पद शक्ति जगावे, 

राम - राम धुन जभी  रमावे।।३९।। 


राम - नाम  जब   जगे अभंग, 

चेतन - भाव  जगे सुख - संग। 

ग्रंथी    अविद्या     टूटे   भारी, 

राम - लीला की खिले फुलवारी।।४० ।। 


पतित-पावन परम-पाठ,

 राम  -  राम  जप याग। 

सफल सिद्धि कर साधना,

 राम    -    नाम  अनुराग।।४१।। 


तीन लोक का समझिए सार, 

राम - नाम सब ही  सुखकार। 

राम - नाम की बहुत बडा़ई, 

वेद  पुराण  मुनि  जन  गाई।।४२।। 


यति सती  साधू  संत सयाने , 

राम - नाम निश -दिन बखाने। 

तापस  योगी  सिद्ध  ऋषिवर, 

जपते राम - नाम सब सुखकर।।४3।। 


भावना भक्ति भरे भजनीक, 

भजते राम - नाम  रमणीक। 

भजते  भक्त  भाव - भरपूर,

 भ्रम - भय भेद - भाव से दूर।।४४।। 


पूर्ण  पंडित पुरुष -  प्रधान, 

पावन - परम पाठ  ही मान। 

करते राम - राम जप -ध्यान, 

सुनते  राम    अनाहद   तान।।४५।। 


इस में   सुरति  सुर  रमाते, 

राम - राम स्वर साध समाते। 

देव  देवीगण  दैव   विधाता, 

राम -  राम  भजते गणत्राता।।४६।। 


राम - राम सुगुणी जन गाते , 

स्वर - संगीत से राम रिझाते। 

कीर्तन - कथा करते  विद्वान, 

सार    सरस  संग साधनवान।।४७।। 


मोहक    मंत्र  अति मधुर,

 राम  - राम     जप ध्यान। 

होता      तीनो    लोक  में, 

राम  -    नाम   गुण - गान।।४८।। 


मिथ्या  मन-कल्पित   मत-जाल, 

मिथ्या   है    मोह-कुमद - बैताल।

मिथ्या   मन-मुखिया  -  मनोराज,

 सच्चा है राम -  नाम जप   काज।।४९।। 


मिथ्या है   वाद-विवाद   विरोध,

 मिथ्या है वैर  निंदा हाथ  क्रोध।

मिथ्या  द्रोह  दुर्गुण   दुःख खान

 राम-नाम   जप   सत्य   निधान।।५०।। 


सत्य-मूलक  है  रचना   सारी, 

सर्व-सत्य   प्रभु-राम   पसारी। 

बीज से  तरु  मकड़ी   से तार,

 हुआ त्यों  राम से जग विस्तार ।।५१।। 


विश्व -वृक्ष   का  राम है  मूल, 

उस को तू प्राणी कभी न भूल। 

सांँस - साँस से सिमर  सुजान, 

राम - राम   प्रभु  - राम महान।।५२।। 


लय उत्पत्ति पालना - रूप, 

शक्ति-चेतना आनंद-स्वरुप। 

आदि अन्त और मध्य है राम, 

अशरण-शरण है राम- विश्राम।।५३।। 


राम - राम जप भाव से,

 मेरे     अपने       आप। 

परम-पुरुष  पालक-प्रभु, 

हर्ता     पाप       त्रिताप।।५४।। 


राम -  नाम बिना वृथा  विहार, 

धन - धान्य सुख-भोग  पसार। 

वृथा  है सब  सम्पद्   सम्मान, 

होव     तन   यथा  रहित प्राण।।५५।। 


नाम   बिना सब  नीरस  स्वाद, 

ज्यों हो स्वर बिना राग  विषाद। 

 नाम बिना  नहीं   साजे सिंगार, 

राम - नाम है   सब     रस सार ।।५६।। 


जगत्  का जीवन   जानो राम,

 जग की ज्योति जाज्वल्यमान। 

राम-नाम  बिना  मोहिनी-माया, 

जीवन-हीन   यथा    तन-छाया।।५७।। 


सूना  समझिए  सब संसार, 

जहांँ  नहीं राम-नाम संचार। 

सूना  जानिए   ज्ञान-विवेक, 

जिस में राम-नाम नहीं एक।।५८।। 


सूने    ग्रंथ  पंथ  मत   पोथे

बने जो राम-नाम बिन थोथे.

राम-नाम   बिन वाद-विचार, 

भारी  भ्रम का   करे   प्रचार।।५९।। 


राम-नाम   दीपक  बिना, 

जन-मन      में     अंधेर। 

रहे,  इस   से हे मम-मन,

 नाम      सुमाला     फेर।।६०।। 


राम-राम   भज कर  श्री राम,

 करिए नित्य ही   उत्तम काम। 

जितने   कर्त्तव्य   कर्म कलाप, 

करिए    राम - राम कर  जाप।।६१।। 


करिए   गमनागम   के काल,

 राम-जाप जो करता निहाल। 

सोते   जगते  सब   दिन याम,

जपिए    राम -  राम अभिराम।।६२।। 


जापते राम - नाम महा - माला, 

लगता     नरक-द्वार    पै ताला। 

जापते    राम-राम    जप  पाठ,

 जलते      कर्मबन्ध   यथा काठ।।६३।। 


तान जब   राम-नाम की  टूटे, 

भांडा-भरा अभाग्य भया फूटे। 

मनका है राम-नाम   का ऐसा, 

चिन्ता -मणि पारस-मणि जैसा।।६४ ।। 


राम - नाम  सुधा-रस सागर, 

राम  - नाम ज्ञान  गुण-अगर। 

राम - नाम श्री राम-महाराज, 

भव - सिन्धु में है अतुल-जहाज।।६५।। 


राम - नाम   सब   तीर्थ - स्थान,

 राम - राम जप    परम - स्नान। 

धो कर   पाप-ताप  सब    धुल, 

कर दे   भय-भ्रम को      उन्मूल।।६६।। 


राम जाप रवि -तेज सामान, 

 महा -मोह -ताम हरे अज्ञान। 

राम जाप दे आनंद महान , 

मिले उसे जिसे दे भगवान् ।।६७।। 


राम-नाम को सिमरिये, 

राम-राम एक तार। 

परम-पाठ पावन-परम,

 पतित अधम दे तार।।६८।। 


माँगूँ मैं राम-कृपा दिन रात,

 राम-कृपा हरे सब उत्पात। 

राम-कृपा लेवे अंत सँभाल,

 राम-प्रभु है जन प्रतिपाल।।६९।। 


राम-कृपा है उच्तर-योग,

 राम-कृपा है शुभ संयोग। 

राम-कृपा सब साधन-मर्म,

 राम-कृपा संयम सत्य धर्म।।७०।। 


राम - नाम को मन में  बसाना, 

सुपथ राम - कृपा  का है पाना। 

मन में राम -  धुन  जब    फिरे,

 राम  - कृपा  तब  ही  अवतार।।७१।। 


रहूँ  मैं  नाम  में हो  कर लीन, 

जैसे  जल  में  हो  मीन अदीन। 

राम  - कृपा भरपूर   मैं   पाऊँ,

 परम  प्रभु  को  भीतर   लाऊँ।।७२।। 


भक्ति - भाव  से  भक्त  सुजान, 

भजते  राम - कृपा का निधान। 

राम -  कृपा उस जन  में  आवे,

 जिस में  आप ही  राम   बसावे।।७३।। 


कृपा - प्रसाद  है  राम की  देनी,

काल - व्याल  जंजाल  हर लेनी। 

कृपा - प्रसाद   सुधा-सुख-स्वाद, 

राम - नाम     दे    रहित  विवाद।।७४।। 


प्रभु - प्रसाद  शिव - शान्ति - दाता, 

ब्रह्म  - धाम   में    आप   पहुँचाता। 

 प्रभु -  प्रसाद   पावे    वह    प्राणी, 

राम -  राम  जपे       अमृत - वाणी।।७५।। 


औषध   राम -  नाम की खाइये,

 मृत्यु  जन्म के   रोग    मिटाइये। 

राम -   नाम अमृत     रस - पान, 

देता    अमल      अचल  निर्वाण।।७६।। 


राम -  राम  धुन  गूँज  से, 

भव - भय     जाते   भाग। 

राम - नाम   धुन  ध्यान से,

 सब    शुभ   जाते    जाग।।७७।। 


माँगूं  मैं  राम - नाम  महादान,

 करता  निर्धन  का   कल्याण। 

देव  - द्वार पर जन्म का भूखा, 

भक्ति   प्रेम  अनुराग  से रूखा ।।७८।। 


'पर हूँ तेरा'-  यह  लिए   टेर,

 चरण पड़े  की  रखियो   मेर। 

अपना    आप  विरद - विचार,

 दीजिये  भगवन !  नाम प्यार।।७९।। 


राम - नाम    ने  वे  भी  तारे, 

जो थे अधर्मी - अधम हत्यारे। 

कपटी - कुटिल-कुकर्मी अनेक, 

तर  गये   राम  - नाम  ले  एक।।८०।। 


तर  गये  धृति - धारणा हीन, 

धर्म - कर्म  में जन अति दीन। 

राम - राम श्री राम-जप  जाप, 

हुए   अतुल -  विमल - अपाप।।८१।। 


राम - नाम  मन  मुख में बोले,

 राम - नाम  भीतर  पट  खोले। 

राम - नाम  से कमल - विकास, 

होवें   सब   साधन   सुख - रास।।८२।। 


राम - नाम    घट  भीतर  बसे,

 सांँस - साँस नस - नस से रसे। 

सपने  में  भी   न  बिसरे   नाम, 

राम - राम  श्री राम - राम - राम।।८३।। 


राम  -  नाम  के   मेल से, 

 सध  जाते   सब  - काम। 

देव  - देव       देवे    यदा, 

दान    महा - सुख -  धाम।।८४।। 


अहो!  मैं राम - नाम धन पाया,

 कान  में राम - नाम जब आया। 

मुख से   राम  - नाम जब  गाया,

 मन से  राम -  नाम जब  ध्याया।।८५।। 


पा  कर  राम - नाम धन - राशि, 

घोर  -  अविद्या   विपद् विनाशी। 

बढ़ा   जब  राम - प्रेम  का   पूर, 

संकट -  संशय   हो     गये   दूर।।८६।। 


राम  - नाम  जो जपे  एक  बेर, 

उस   के   भीतर कोष  -  कुबेर। 

दीन  - दुखिया - दरिद्र  - कंगाल,

 राम -  राम  जप  होव   निहाल।।८७।। 


हृदय राम - नाम   से  भरिए , 

संचय राम - नाम धन करिए। 

घट   में    नाम  मूर्ती   धरिए, 

पूजा  अन्तर्मुख   हो   करिए।।८८।। 


आँखें    मूँद  के सुनिए  सितार, 

राम - राम     सुमधुर    झंकार। 

उस  में  मन का  मेल  मिलाओ ,

 राम -  राम सुर में   ही समाओ ।।८९।। 


जपूँ   मैं   राम  - राम  प्रभु  राम ,

 ध्याऊँ  मैं राम - राम    हरे राम । 

 सिमरूँ मैं राम - राम   प्रभु राम , 

गाऊंँ    मैं राम - राम     श्री राम।।९०।। 


अमृतवाणी   का   नित्य     गाना,

 राम -    राम   मन   बीच रमाना । 

देता  संकट  -  विपद्       निवार, 

करता  शुभ    श्री       मंगलाचार।।९१।। 


राम -  नाम जप - पाठ से ,

 हो        अमृत       संचार । 

राम  -   धाम में   प्रीति  हो, 

सुगुण -  गण     का विस्तार।।९२।। 


तारक    -     मंत्र   राम     है, 

जिस       का   सुफल अपार। 

इस      मंत्र    के   जाप    से,

 निश्चय          बने      निस्तार ।।९३।। 


बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम

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