GURU KA ASHIRVAAD गुरु का आशीर्वाद

आषाढ़ पूर्णिमा/गुरु पूर्णिमा बुधवार, 13 जुलाई 2022 पर पढ़ें गुरु के आशीर्वाद का एक प्रसंग 

 एक बार एक लड़का गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण कर रहा था. उसे समाचार मिला कि तुम्हारी बहन की शादी है जल्दी से गांव आ जाओ .उसने जाकर गुरु जी को बहन की शादी के बारे में बताया. 

वह गुरु जी से कहने लगा गुरु जी मैं चाहता हूं कि मेरी बहन की शादी इतनी धूमधाम से हो कि पूरे गांव में उसके जैसा शादी किसी की ना हुई हो.  अगले दिन वह अपने गांव के लिए विदा होने लगा तो उसने गुरु जी को प्रणाम किया. 

गुरु जी ने उसे आशीर्वाद दिया कि तुम्हारी मनोकामना ईश्वर पूरी करें . तुम्हारी बहन की शादी जितनी धूमधाम से तुम चाहते हो वैसे ही हो. गुरुजी ने उसे अनार के थैले भर कर दिए और कहा कि तुम्हारी बहन के विवाह में काम आएंगे. वह सोचने लगा कि गुरु जी चाहते तो कोई आर्थिक मदद कर सकते थे लेकिन गुरु जी ने अनार क्यों दिए ? लेकिन गुरु जी का आशीर्वाद लेकर वह अपने गाँव की ओर चल पड़ा.

रास्ते में वह कुछ देर विश्राम करने के लिए रुका. वहां पर घोषणा हो रही थी कि राजकुमारी का स्वस्थ ठीक नहीं है उसकी दवा के लिए अनार के रस की जरूरत है . उस नगर के राजा की बेटी का स्वास्थ्य काफी समय से खराब चल रहा था. उसके ईलाज कई वैद्य कर चुके थे. 

अगर किसी के पास अनार हो तो राज महल में आ जाए उसे मुंह मांगा इनाम दिया जाएगा .जब उस लड़के ने घोषणा सुनी तो वह सिपाहियों से कहने लगा मेरे पास अनार है. आप इसे राजकुमारी के ईलाज के लिए राज महल भिजवा दें.

वैद्य जी द्वारा दी गई औषधि अनार के रस के साथ खाते ही राजकुमारी के स्वास्थ्य में सुधार आने लगा. राजा ने उस लड़के को अपने पास बुलाया और कहा कि आज तुम्हारी वजह से मेरी बेटी के स्वास्थ्य में कई दिनों बाद सुधार आया है.

 तुम इतने सारे अनार लेकर कहां आ रहे हो ? उसने राजा को बताया कि उसकी बहन की शादी है . अनार मुझे मेरे गुरु जी ने दिए है और मैं गुरुकुल से लेकर आ रहा हूं. 

राजा ने कहा कि तुम्हारी बहन की शादी की जिम्मेवारी अब मेरी है.तुम्हारी बहन की शादी ऐसी होगी कि आसपास के गांव वाले बहुत समय तक याद करेंगे . 

 राजा के मुख से यह वचन सुनते ही उसे गुरु जी का आशीर्वाद याद आया कि मेरे गुरु जी ने यही आशीर्वाद दिया था .  अब उसे समझ में आया कि गुरु जी को इस घटना का आभास पहले से ही था.  इसलिए ही गुरु जी ने मुझे उपहार के रूप में वित्तीय सहायता नहीं अनार दिए.

आज वह जान चुका था कि गुरु के आशीर्वाद में कितनी शक्ति होती है. वहीं से ही उसका गुरु के लिए श्रद्धा से उसका सिर झुका गया.

गुरु पूर्णिमा 2022

"हीरे की परख जौहरी ही जानता है" कहानी में गुरु ने कैसे व्यक्ति को उसके जीवन की कीमत का अहसास करवाया

महात्मा बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी जो सिद्ध करती है कि गुरु अगर सच्चा हो तो एक खुखार डाकू भी सज्जन बन सकता है

गुरु मिले तो बंधन छूटे

श्री कृष्ण ने अपने गुरु को क्या गुरुदक्षिणा दी

सहयोग का फल

Comments

Popular posts from this blog

RAKSHA SUTRA MANTAR YEN BADDHO BALI RAJA

KHATU SHYAM BIRTHDAY DATE 2023

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA