KARAM PHAL MOTIVATIONAL STORY IN HINDI

कर्म फल की प्रेरणादायक कहानी 

कर्म फल का नियम है जो बोओगे वही काटोगे. इसलिए कर्म सदैव अच्छे ही करे. यह आप पर निर्भर करता है कि आप अच्छे कर्म करके किसी की दुआ अर्जित करते हो या फिर पाप कर्म करके बददुआ लेते हो. पढ़े कर्म फल का ऐसी ही एक प्रसंग-  


 

Karam phal motivational story: एक बार एक राजा थे . बहुत समय से उन्हें एक प्रश्न व्यथित कर रहा था कि मेरी कुंडली में तो राज योग है इसलिए मैं राजा बना. लेकिन जिस शुभ घड़ी, शुभ नक्षत्र, शुभ समय में मेरा जन्म हुआ ,उसी शुभ घड़ी, नक्षत्र और समय पर कई लोगों ने जन्म लिया.

 लेकिन अकेला मैं ही राजा क्यों बना ? राजा ने यह प्रश्न अपने दरबार के विद्वानों के सामने रखा कोई भी इस प्रश्न का उत्तर देने में समर्थ नहीं था.

 राजा ने पूछा कि मेरी जिज्ञासा कौन शांत कर सकता     है ?  एक विद्वान ने सुझाव दिया कि दूर घने जंगल में एक महात्मा रहते हैं. शायद वह आपके प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं.

राजा उस महात्मा जी के पास पहुंचा तो वह आग में से कोयला निकाल कर खा रहे थे. राजा ने महात्मा से अपना  प्रश्न पूछा तो वह क्रोधित होकर बोले कि मैं इसका प्रश्न का उत्तर नहीं दूंगा.

इसका उत्तर ऊपर ऊंची पहाड़ी पर एक महात्मा रहते हैं वह दे सकते हैं . राजा दुर्गम रास्ते से होता हुआ राजा उस महात्मा तक  पहुंचा तो वह महात्मा अपना मांस नोच कर खा रहे थे. राजा ने उनसे अपना प्रश्न पूछा तो वह कहने लगे कि इसका उत्तर मैं नहीं दूंगा.

आगे गाँव के पास आदिवासी बस्ती में एक बच्चा जन्म लेने वाला है . वह तेरे प्रश्नों का उत्तर देगा. राजा महात्मा द्वारा बताई गई आदिवासी बस्ती में पहुंचा. 

राजा ने बस्ती में जाकर सारी बात बताई.  बच्चे के जन्म के पश्चात बच्चे को राजा के सामने लाया गया. राजा ने उसके सामने अपने प्रश्न दोहराया कि जिस शुभ घड़ी शुभ नक्षत्र में मुझे राजयोग मिला वैसा किसी और को क्यों नहीं मिल पाया ? 

 वह बच्चा रहने लगा राजन पूर्व जन्म में हम चार भाई थे.   पहला जो आग खा रहा था, दूसरा जो अपना मांस नोच रहा था, तीसरा मैं, और चौथे तुम थे राजन .

    हम शिकार खेलने के लिए वन में गए. वन में हम रास्ता भटक गए . तीन दिन तक हम भूखे प्यासे वन में भटकते रहे. वहाँ खाने तक को कुछ नहीं था. एक दिन हमे आटे की एक पोटली मिली . हमने आग जलाकर रोटी बनाई. जैसे ही हम रोटी खाने लगे ,वहां भूख से तड़पते हुए एक महात्मा आये. उन्हें देखकर ही लग रहा था कि उन्होंने कई दिनों से कुछ नहीं खाया.

जिस महात्मा को तुमने आग से निकाल कर कोयला खाते हुए देखा.  जब महात्मा ने उससे रोटी मांगी तो उसने कहा कि अगर मैं तुम्हें रोटी दे दूंगा तो क्या मैं स्वयं क्या आग खाऊंगा ? उसने महात्मा को भला बुरा बोलना शुरू कर दिया.

जो महात्मा मांस नोच रहे थे उससे महात्मा ने रोटी मांगी. वह कहने लगा कि अगर मैं तुम्हें रोटी दे दूंगा तो क्या मैं स्वयं अपना मांस नोच कर खाऊंगा और उसे अपशब्द बोलकर भगा दिया . 

जब उसने मुझसे रोटी मांगी तो मैंने कहा कि अगर मैं तुझे रोटी दे दूंगा तो मैं भूख से मर जाऊंगा. मैंने भी उस महात्मा को डांट कर अपने से दूर रहने को कह दिया.

जब महात्मा तुम्हारे पास आए तो तुमने पूरे सम्मान के साथ अपने हिस्से की रोटी से आधा भाग उसे दे दिया.  जिसे खाकर उस महात्मा ने आशीर्वाद(दुआ) दिया कि तुम अपने स्वभाव और व्यवहार के कारण फलो फूलो और खूब तरक्की करो.

  महात्मा के आशीर्वाद (दुआ) और तुम्हारे द्वारा किए गए शुभ कर्म के कारण के कारण तुम्हें राजयोग प्राप्त हुआ और हम सब अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं .

इसीलिए शुभ नक्षत्र, शुभ घड़ी, शुभ समय में पैदा होने के पश्चात भी सभी लोगों को राजयोग प्राप्त नहीं हो पाता. क्योंकि हम जो भी कर्म करते हैं हमें उसके हिसाब से ही फल मिलता है ?

यह सब बताने के पश्चात वह बालक मर गया और राजा को अपने प्रश्नों के उत्तर मिल गए. 

इसलिए कर्म सोच समझ कर करना चाहिए और कोई जरूरतमंद आए तो जहां तक संभव हो सके उसकी हर संभव सहायता करनी चाहिए अगर वो भी ना कर सके तो किसी को अपशब्द मत कहे. 

कर्म फल के और प्रसंग पढ़ने के लिए click on the link. 

कर्म भाग्य से बड़ा होता है

कर्म फल भोगना ही पड़ता है

कर्म ही इंसान को महान और दुष्ट बनाते हैं

कर्म फल की कहानी "ईश्वर सब देख रहा है"


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