RAJA VAN KI KATHA ध्रुव के वंशज राजा बेन की कथा

 ध्रुव जी के वंशज राजा अंग का वेन नामक पुत्र था. ध्रुव भक्त के वंश में वेन नामक अधर्मी राजा क्यों हुआ ? 


 राजा अंग की सुनीथा नामक पत्नी से वेन नामक पुत्र उत्पन्न हुआ. सुनीथा मृत्यु की मानसिक कन्या थी. वेन अपने नाना की तरह बहुत ही उग्र स्वभाव का था. वेन ने राजा अंग को बहुत सताया जिसके कारण राजा ने वैराग्य ले लिया. 

एक बार राजा अंग ने महायज्ञ किया लेकिन उस में देवता गण शामिल नहीं हुए जिससे राजा ने सभापतियोंं से पूछा कि मुझे बताएं कि मेरे आवाहन पर देवता क्यों नहीं आये? 

उन्होंने बताया कि इस जन्म में तो आपका कोई अपराध नहीं है परंतु पूर्व जन्म के कर्म के कारण तुम्हारा कोई पुत्र नहीं है . आपको जिससे पुत्र प्राप्त हो वह उपाय करें.आप पुत्र की कामना के लिए भगवान का स्मरण  करें .

मनुष्य की कामनाओं को ईश्वर पूर्ण करते हैं जिस भाव से  पूजा करते हैं ईश्वर उस का फल देते हैं. ब्राह्मणों ने पुत्र प्राप्ति के लिए जैसे ही विष्णु जी के नाम की आहुति दी अग्नि से स्वर्ण पात्र में खीर लिए एक पुरुष निकला. राजा ने खीर अपनी रानी को दे दी .समय आने पर रानी को वेन नामक पुत्र उत्पन्न हुआ जो कि अधार्मिक प्रवृत्ति का था.

वह निर्जीव जीवों और अपने साथियों को मारता. राजा ने उसे बहुत समझाया लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ. दुखी होकर राजा अंग सब ऐश्वर्या छोड़ कर चले गए. जब राजा कहीं नहीं मिले तो ऋषियों ने वेन को पृथ्वी का राजा बना दिया. वेन राजसिंहासन पर बैठकर निरकुंश और अभिमानी हो गया. 

उसने  यज्ञ,हवन, दान और सब धर्म कर्म पर रोक लगा   दी . वेन के अत्याचारों को देखकर ऋषियों ने वेन को जाकर समझाया.. राजा प्रजा की रक्षा करता है और
ब्राह्मणों द्वारा किए गए यज्ञ के पुण्य से देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं . 

 वेन अभिमान में कहने लगा कि राजा ईश्वर का स्वरूप होता .  जो उसका अपमान करते हैं वह कभी कल्याण प्राप्त नहीं कर सकते .इसलिए मेरा नाम भजन कर मुझे बलि समर्पित करें.. उसका अभिमान देखकर ब्राह्मणों ने निश्चय किया कि इसे मार डालो नहीं तो यह सारा संसार नष्ट कर देगा.

यह राज्य के योग्य नहीं है क्योंकि भगवान की कृपा से जो राज्य मिला है उसी भगवान विष्णु की यह निंदा करता है मुनियों ने वेन को अपने हुंकार उसे मार डाला. लेकिन उसकी माता सुनीथा ने योग विद्या से उसके शरीर की रक्षा की .राजा के ना रहने पर राज्य में अराजकता फैल गई. 

राजा वेन की मृत्यु के पश्चात मुनियों को विचार आया कि राजा अंग का यह राज्य नष्ट नहीं होना चाहिए क्योंकि इस वंश में भगवान विष्णु के नाम लेने वाले महान राजा हुए हैं. 

ऋषियों ने वेन की जंंघा का मंथन किया और काग के जैसा काले रंग का मनुष्य उतपन्न हुआ. वह निषाद नाम से प्रसिद्ध हुआ. उसके उत्पन्न होने से वेन के सारे पाप नष्ट हो गए. ऋषियों ने वेन की भुजाओं का मंथन करके एक पुत्र और एक कन्या को उत्पन्न किया. पुत्र का नाम पृथु और कन्या का नाम अर्ची  था. 

Comments

Popular posts from this blog

BAWA LAL DAYAL AARTI LYRICS IN HINDI

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA

MATA CHINTPURNI CHALISA LYRICS IN HINDI