SHUKRANA शुकराना

SHUKRANA - GRATITUDE



शुकराना का एक अर्थ होता है धन्यवाद,शुक्रिया. जब कोई हमारे लिए कुछ करता है तो हम उसका शुकराना  करते हैं .हमे ईश्वर का शुकराना जरूर करना चाहिए क्योंकि शुक्रराने में बहुत शक्ति है. इस बहुमूल्य जीवन के लिए ईश्वर का शुकराना करे. 

हर सांस के लिए उसका शुकराना करे, हर मुश्किल समय में जब हमें लगता है अब इसके आगे कोई रास्ता नहीं, रास्ता दिखाने के लिए ईश्वर तेरा शुकराना. जहाँ हमें लगता है कि सब खत्म हो गया वहाँ ईश्वर की रहमत शुरू हो जाती है.

हम कई बार छोटी - छोटी परेशानियों से इतने हताश हो जाते हैं कि  ईश्वर ने जो हमें दिया है उसे नज़र अंदाज कर देते हैं. 

किसी ने क्या खूब लिखा है कि , शुक्र है ईश्वर का की मेरे जीवन में मुश्किलें है, इसका मतलब मैं जिंदा हूँ. क्योंकि मुर्दों के लिए तो लोग रास्ता छोड़ दिया करते हैं.

 किसी भी परेशानी के आने पर उसके सकारात्मक पहलू को जरूर देखना चाहिए. 

एक बार एक राजा था. हर सुख सुविधा उसके पास थी.   लेकिन वह राज कार्य में आने वाली कठिन परिस्थितियों के लिए ईश्वर को कहता था कि सारी मुश्किलें मेरी ही जिंदगी में क्यों देते हो.   

एक दिन उसने अपने महल के नीचे से एक भिखारी को गाते हुए सुना.  वह भिखारी ईश्वर का शुकराना करते हुए जा रहा था. राजा के मन में प्रश्न आया कि भिक्षा मांगने के बावजूद ईश्वर का शुकराना क्यों कर रहा है? 

जबकि मैं तो हर समय ईश्वर को अपने जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियों के लिए यही कहता हूं कि सारी मुश्किलें मेरे जीवन में ही क्यों आती है ? 

राजा ने अपने सैनिकों से कहा है कि इस भिखारी को महल में लेकर आओ. राजा भिखारी से प्रश्न करता है कि  तुम भिक्षा मांग रहे हो, फिर भी तुम ईश्वर का शुकराना कर रहे हो ऐसा क्यों? 

 भिखारी कहने लगा कि भिक्षा मांगना मेरा कर्म है.उससे मुझे कोई परेशानी नहीं होती और ईश्वर का शुकराना इसलिए कर रहा हूं कि ईश्वर ने मुझे तंदुरुस्त बनाया है.

 सामने मंदिर के बाहर जो अपाहिज है शुक्र है ईश्वर ने मुझे उसके जैसा नहीं बनाया. भिखारी कहने लगा कि राजा साहब अगर आप मेरे  शुकराना करने पर आश्चर्य कर रहे है तो मैं आप को बता दूँ कि वह अपाहिज भी हर रोज ईश्वर का शुकराना करता है.

राजा ने कहा वह क्यों शुकराना  करता है?  भिखारी कहने लगा कि आप स्वयं ही अपाहिज से ही पूछ सकते हैं.सैनिक गए और अपाहिज को राज महल में ले आए. राजा ने उससे पूछा कि तुम हर रोज ईश्वर का शुकराना क्यों करते हो? 

अपाहिज कहने लगा कि मैं ईश्वर का शुकराना इसलिए करता हूं कि शुक्र है मैं मानसिक रूप से तंदरुस्त हूँ.  उसने मुझे मंदिर के पास जो मानसिक रोगी घूमता है मुझे उसके  जैसा नहीं बनाया. उस दिन राजा को बहुत बड़ी सीख मिली की ईश्वर ने जो उसे दिया है उसने उसके लिए कभी शुक्रिया नहीं किया. परन्तु किसी भी समस्या के आने पर ईश्वर को उलाहना देने से कभी नहीं चूकता.

इसलिए अपने जीवन में आने वाली मुश्किलों के लिए ईश्वर को ना कोसे बल्कि उसमें छिपे सकारात्मक पहलू को ढूंढें. ताकि आपके जीवन से नकारात्मकता दूर हो. राजा को उस दिन समझ में आया कि वह साधन सम्पन्न होकर भी ईश्वर को हर समय उलाहना देता रहता है. 

एक और बहुत सुंदर प्रसंग है कैसे एक गृहणी कितने मजेदार अंदाज में ईश्वर का शुकराना कर रही है.

 एक गृहणी थी वह हर दिन के अंत में कहती हे ईश्वर मैं दिन भर के काम - काज से थक कर चूर हो जाती हूँ. लेकिन फिर भी ईश्वर तेरा शुक्रिया हर सुबह मुझ में नई ऊर्जा भरने के लिए.

हर दिन हम पति पत्नी में नोकझोक होती रहती है लेकिन फिर भी तेरा शुक्रिया हम  दोनों साथ है. घर की EMI देने में घर का बजट बिगड़ जाता है लेकिन तेरा शुक्रिया हमारे पास अपना घर है. 

बच्चों के लिए दिन भर दौड़ भाग करती हूँ. दिन भर उनके द्वारा बिखरे सामान को संभालती रहती हूँ. लेकिन  मुझे इतने प्यारे बच्चे देने के लिए ईश्वर तेरा शुक्रिया.

 अगर हम भी अपनी दिनचर्या ऐसी बना ले और हर परेशानी के साथ उसके अच्छे पहलू को भी ढूँढ ले तो हम सब का जीवन बहुत आसान हो जाए.

हमारे साथ भी बहुत बार ऐसा होता है हमें जो सहज भाव से मिल जाता है हम उसके लिए तो ईश्वर को कभी शुकराना नहीं करते.  परन्तु थोड़ी सी परेशानी आने पर उलाहना जरूर देते हैं कि भगवान यह सब मेरे साथ ही कैसा क्यों करते हो. लेकिन ईश्वर का शुकराना जरूर करे क्यों जहाँ हमारी सोच खत्म होती है वहाँ उसकी मेहर शुरू होती है. 

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