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Showing posts from December, 2021

NEVER GIVE UP MOTIVATIONAL STORY

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 NEVER GIVE UP का अर्थ होता है "कभी हार मत मानो" अगर आप को बार बार असफलता मिल रही है तो भी आप को कभी हार नहीं माननी चाहिए। हर बार अपने मन को समझाएं कि आप की एक और कोशिश आप को सफलता की ओर लेकर जा रही है। जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियां हमें कमज़ोर नहीं मजबूत बनाती हैं. इसलिए कठिन समय में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए.  हम सकारात्मक दृष्टिकोण अपना कर बहतरीन हल ढूँढ सकते हैं. सोहन लाल द्विवेदी की रचना की पंक्तियां  हमें कभी हार ना मानने  की प्रेरणा देती है कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो. जब तक सफल ना हो, नींद चैन को त्यागो तुम संघर्ष का मैदान छोड़कर कर मत भागों तुम   कुछ किए बिना ही जयकार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.    THOMAS ALVA EDISON की कभी हार ना मानने की प्रेरणादायी कहानी ‌  Thomas Alva Edison  के नाम पर 1,093 पेटेंट है। बल्ब की खोज उनकी सबसे महान उपलब्धि है। बल्ब बनाने में वह 10 हजार से अधिक बार असफल हुए। एक बार किसी ने पूछा कि बल्ब बनाने म

MAHA SHIVRATRI 2023 DATE

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 महाशिवरात्रि 2023  SATURDAY, 18 FEBRUARY  हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व माना जाता है . महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. महाशिवरात्रि का महत्व पुराणों में लिखा है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इस लिए यह शिव शक्ति के मिलन की रात का पर्व हैं. इस दिन भगवान शिव और माँ पार्वती को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए विशेष पूजा की जाती है .  इस महापर्व पर भगवान शिव और माँ पार्वती की विवाह प्रसंग की कथा को पढ़ना सुनना बहुत मंगलकारी माना गया है.  महाशिवरात्रि के दिन मां पार्वती और शिव जी की पूजा करने से माना जाता है कि मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. जिनकी शादी में अड़चन आ रही हो या फिर  कोई भी मनवांछित फल पाने के लिए इस दिन विधि विधान से पूजा और व्रत करना चाहिए.  भगवान शिव और माँ पार्वती को क्या अर्पित करे  सबसे पहले स्नान करके  शिवलिंग पर गंगा जल, शहद, शक्कर, दूध, दही, चावल, बेलपत्र, फल, मिठाई, भांग, धतूरा चढ़ाना चाहिए .रुद्र अभिषेक करना चाहिए . भगवान शिव को खीर का भोग लगाना चाहिए. माँ पार्वती को सुहाग का सामा

SHIV CHALISA‌ LYRICS IN HINDI

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     शिव चालीसा लिरिक्स इन हिन्दी             ।। शिव चालीसा।।         ।।दोहा।।  जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥                 ।।चौपाई।।  जय गिरिजा पति दीन दयाला।  सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके।  कानन कुण्डल नाग फणी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये।  मुण्डमाल तन खार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहैं।  छवि को देख नाग मुनि मोहैं॥ मैना मातु की हवे दुलारी।  बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।  करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।  सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ।  या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा।  तबहि दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी।  देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ।  लव निमेष महं मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा।  सुयश तुम्हार विदित संसारा  त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।  सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी।  पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।  सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद नाम महिमा तव गाई।  अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रगटि उदध

PAPMOCHANI EKADASHI KATHA SIGNIFICANCE

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 पापमोचनी एकादशी व्रत कथा   एकादशी तिथि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है।  चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं. पापमोचनी एकादशी का व्रत करने वाले के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। पापमोचनी एकादशी के महत्व का वर्णन भविष्योत्तर पुराण और हरिवासर पुराण में किया गया है। पापमोचनी एकादशी महत्व (SIGNIFICANCE) माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं . श्री कृष्ण इस व्रत का महत्व धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था. इस दिन भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए. पापमोचनी एकादशी व्रत करने से पापों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। पापमोचनी एकादशी की कथा को सुनने पढ़ने से हजार गोदान का फल मिलता है। इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या , सुरापान आदि जैसे पाप भी नष्ट होते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती।  PAPMOCHANI EKADASHI KATHA(पापमोचनी एकादशी व्रत कथा)  इस व्रत की कथा लोमेश ऋषि ने महाराजा मांधाता को सुनाई थी. एक बार देवताओं के खजांची कुबेर के बाग में गन्धर्व कन्याएं किन्नरो  के साथ विहार करती थी .उस बाग मे बहुत से ऋषि मुनि भी तपस्या करते थे।

JAI AMBE GAURI AARTI LYRICS IN HINDI

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   मां दुर्गा आरती "जय अम्बे गौरी"  Maa Durga ki Aarti  ऊँ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। मैया जी को निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥                                          ऊँ जय अम्बे गौरी  माँग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्जवल से दो‌उ नैना, चन्द्रवदन नीको॥                                             ऊँ जय अम्बे गौरी  कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला, कण्ठ हार साजै॥                                                ऊँ जय अम्बे गौरी  केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी। सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुखहारी॥                                               ऊंँ जय अम्बे गौरी  कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥                                               ऊँ जय अम्बे गौरी  शुम्भ निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥                                                ऊँ जय अम्बे गौरी  चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। मधु कैटभ दो‌उ मारे, सुर भय हीन करे॥                                                ऊँ

CHAITRA NAVRATRI 2022 चैत्र नवरात्रि 2022

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CHAITRA NAVRATRI 2022      चैत्र नवरात्रि 2022 नवरात्रि का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। नवरात्रि वर्ष में 4 बार आती है। हर साल नवरात्र पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन मास में आती है। चैत्र मास में आने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहते हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि 2022 की तिथि , तारीख      ( DATE) प्रतिप्रदा - 2 अप्रैल घटस्थापना , शनिवार  2022 द्वितीय-   03 अप्रैल, रविवार तृतीय -  04 अप्रैल, सोमवार चतुर्थी - 05 अप्रैल, मंगलवार पंचमी - 06 अप्रैल, बुधवार छष्ठी-     07 अप्रैल , वीरवार सप्तमी - 08 अप्रैल, शुक्रवार अष्टमी - 09 अप्रैल, रविवार नवमी- 10 अप्रैल, सोमवार (राम नवमी) CHAITRA NAVRATRI 2022 COLOURS  चैत्र नवरात्रि 2022 शुभ रंग प्रतिप्रदा - 2 अप्रैल घटस्थापना                            शनिवार  शनिवार ( ग्रे )  रंग का विशेष महत्व है.  यह रंग पहनकर आपके दिमाग और मन के भावों को नियंत्रित कर सकते हैं. इस में आप उर्जा से भरा महसूस करेंगे. ग्रे रंग अच्छे परिवर्तन का प्रतीक है.   द्वितीय-   03 अप्रैल, रविवार रविवार  केसरिया रंग को शुभ माना गया

MAA KALI KI AARTI AMBE TU HAI JAGDAMBAY KALI

 MAA KALI KI AARTI - AMBE TU HAI JAGDAMBAY KALI LYRICS IN HINDI          ।।मां काली आरती।। अम्बे तू है जगदम्बे काली , जय दुर्गे खप्पर वाली।  तेरे ही गुण गाए भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।। तेरे भक्त जनों पर मैया भीड़ पीड़ है भारी, दानव दल पर टूट पड़ो,  माँ करके सिंह सवारी, सौ सौ सिंहों से हैं बलशाली,  है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टो को पर में संहारती  दुखियों के दुखड़े निवारती । ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।। अम्बे तू है जगदम्बे काली , जय दुर्गे खप्पर वाली।  तेरे ही गुण गाए भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।। मां - बेटे का है इस जग में,  बड़ा ही निर्मल नाता,  पूत - कपूत सुनें हैं पर ना,  माता सुनी कुमाता,  सब पर करणा दर्शाने वाली,  सबको हर्षाने वाली,  नैया भंवर से उबारती । ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।। अम्बे तू है जगदम्बे काली , जय दुर्गे खप्पर वाली।  तेरे ही गुण गाए भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।। नहीं मांगते धन और दौलत , ना चांदी ना सोना,  हम तो मांगे मां तेरे चरणों में,  एक छोटा सा कोना,  सबकी बिगड़ी बनाने वाली,  लाज बचाने वाली,  सतियों के सत को संवारती। ओ मैया हम सब उ

RAJA PRITHU KATHA HINDU MYTHOLOGY STORY

श्री हरि विष्णु के भक्त राजा पृथु की कथा राजा पृथु राजा अंग के दुष्ट पुत्र वेन के पुत्र थे। वेन ने अपने राज्य में यज्ञ,हवन, दान और सब धर्म कर्म पर रोक लगा दी . वेन के अत्याचारों को देखकर ऋषियों ने वेन को जाकर समझाया. राजा प्रजा की रक्षा करता है और ब्राह्मणों द्वारा किए गए यज्ञ के पुण्य से देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं .  वेन कहने लगा कि मुझे ईश्वर मान मेरा नाम भजन कर मुझे बलि समर्पित करें. उसका अभिमान देखकर मुनियों ने अपनी हुंकार उसे मार डाला. लेकिन उसकी माता सुनीथा ने योग विद्या से उसके शरीर की रक्षा की। राजा वेन की मृत्यु के पश्चात मुनियों को विचार आया कि राजा अंग का यह राज्य नष्ट नहीं होना चाहिए क्योंकि इस वंश में भगवान विष्णु के नाम लेने वाले महान राजा हुए हैं.  मुनियों ने वेन की भुजाओं का मंथन कर एक पुत्र और एक कन्या को उत्पन्न किया .पुत्र का नाम पृथु था जो कि भगवान विष्णु का अंश था और कन्या का नाम अर्ची था जो माता लक्ष्मी का अंश थी. समय आने पर उसने पृथु को पति रूप में स्वीकार किया. पृथु के उत्पन्न होने पर ऋषि मुनि और देवता बहुत हर्षित हुए क्योंकि बालक शंख, चक्र, आदि चिन्हों से

MAA DURGA CHALISA LYRICS IN HINDI

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  दुर्गा चालीसा नमो नमो दुर्गे सुख करनी लिरिक्स इन हिन्दी            ।।दुर्गा चालीसा ।।          DURGA CHALISA   नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥ क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥ मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥ कर में खप्पर खड्ग

HANUMAN CHALISA LYRICS IN HINDI

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 हनुमान चालीसा लिरिक्स इन हिन्दी     HANUMAN CHALISA                   ।।दोहा।। श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।।  बरनऊंँ  रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि।।  बुद्धिहीन   तनु  जानिके,  सुमिरौं  पवन   कुमार।।  बल बुद्धि बिद्या देहु  मोहिं,  हरहु कलेश विकार।।                  ।।चौपाई।।  जय हनुमान  ज्ञान   गुन सागर।  जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।  रामदूत  अतुलित   बल  धामा।  अंजनि-पुत्र  पवनसुत   नामा।।  महाबीर    बिक्रम     बजरंगी।  कुमति निवार सुमति के संगी।।  कंचन  बरन  बिराज  सुबेसा।  कानन कुंडल कुंचित केसा।।  हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।  कांँधे   मूंँज जनेऊ   साजै।।  शंकर   सुवन  केसरीनंदन।  तेज प्रताप महा  जग बंदन।। विद्यावान गुनी अति चातुर।  राम काज करिबे को आतुर।।  प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।  राम लखन सीता मन बसिया।।  सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।  विकट रूप धरि लंक जरावा।।  भीम  रूप  धरि असुर  संँहारे।  रामचंद्र   के  काज     संँवारे।।   लाय सजीवन लखन जियाये।  श्री  रघुबीर  हरषि  उर  लाये।।  रघुपति  कीन्हीं  बहुत  बड़ाई।  तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।  सहस  बदन   तुम्हरो जस

BHAYE PRAGAT KRIPALA SHRI RAM STUTI LYRICS

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रामचरितमानस भय प्रगट कृपाला दीन दयाला राम स्तुति लिरिक्स इन हिन्दी     भय प्रगट कृपाला दीन दयाला                  ।।छंद।।  भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥ लोचन अभिरामा तनु घनस्यामानिज आयुध भुजचारी। भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी॥ पढ़ें भए प्रगट कृपाला दीन दयाला हिन्दी अर्थ सहित कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरीकेहि बिधि करूं अनंता। माया   गुन  ग्यानातीत  अमाना  बेद   पुरान भनंता॥ करुना सुख सागर सब गुन आगरजेहि गावहिं श्रुति संता। सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता॥ भय प्रकट गोपाल दीन दयाला यशुमति हितकारी कृष्ण स्तुति लिरिक्स इन हिन्दी ब्रह्मांड निकाया निर्मित मायारोम रोम प्रति बेद कहै। मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै॥ उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै। कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥  माता पुनि बोली सो मति डोलीतजहु तात यह रूपा। कीजै सिसुलीला अति प्रियसीलायह सुख परम अनूपा॥ सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा। यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा॥

HANUMAN JI KI AARTI LYRICS IN HINDI

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  हनुमान जी की आरती   ।। हनुमान जी की आरती।।   आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झांके ॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ दे वीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥ लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ लंका जारि असुर संहारे । सियाराम जी के काज सँवारे ॥ लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ पैठि पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥ बाईं भुजा असुर दल मारे । दाहिने भुजा संतजन तारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें । जय जय जय हनुमान उचारें ॥ कंचन थार कपूर लौ छाई । आरती करत अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ जो हनुमानजी की आरती गावे । बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥ लंक विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।  ALSO READ गणेश जी की आरती माँ लक्ष्मी जी की आरती रामायण जी की आरती आरती कुँजबिहारी की राम जी की आरती आरती

BHAGWAN SHIV JI KI AARTI LYRICS IN HINDI

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 भगवान शिव की आरती लिरिक्स इन हिन्दी     ।।आरती शिव जी की।। ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।।  एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा।।  दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।।  अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी। चंदन मृगमद सोहे भाले शशिधारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।।  श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव ओंकारा।।  कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धार्ता।  जग कर्ता जगभर्ता जग जनसंहारकर्ता ।।  ऊँ जय शिव ओंकारा।।  ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। प्रणवाक्षर के मध्ये यह तीनों एका ।।  ॐ जय शिव ओंकारा।  लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ॐ जय शिव ओंकारा।।  पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ॐ जय शिव ओंकारा।।  जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ॐ जय शिव ओंकारा।।  काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्

SATYANARAYAN AARTI

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         सत्यनारायण आरती जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा । सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥  ऊँ जय लक्ष्मी रमणा॥ रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे । नारद करत नीराजन, घंटा ध्वनि बाजे ॥   ऊँ जय लक्ष्मी रमणा ॥ प्रकट भए कलिकारन, द्विज को दरस दियो । बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥ ऊँ जय लक्ष्मी रमणा ॥ दुर्बल भील कराल , जिन पर कृपा करी । चंद्रचूड़ इक राजा, तिनकी विपति हरी ॥ ऊँ जय लक्ष्मी रमणा ॥ वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही । सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्हीं ॥  ऊँ जय लक्ष्मी रमणा ॥ भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्‌यो । श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरयो ॥  ऊँ जय लक्ष्मी रमणा ॥ ग्वाल-बाल संग राजा, वन में भक्ति करी । मनवांछित फल दीन्हो, दीन दयालु हरि ॥ ऊँ जय लक्ष्मी रमणा ॥ चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा । धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥  ऊँ जय लक्ष्मी रमणा ॥ सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे । ऋषि-सिद्ध सुख-संपत्ति सहज रूप पावे ॥  ऊँ जय लक्ष्मी रमणा ॥ ALSO READ गणेश जी की आरती ।                   विष्णु चालीसा माँ लक्ष्मी जी की आरती रामायण जी की आरती आरती कुँज

SHRI KRISHNA AARTI KUNJ BIHARI KI LYRICS IN HINDI आरती कुँज बिहारी की

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 श्री कृष्ण की आरती "आरती कुंज बिहारी की" लिरिक्स इन हिन्दी  श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए उनकी आरती करनी चाहिए।  आरती  कुँजबिहारी  की आरती कुंजबिहारी की,  श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ आरती कुंजबिहारी की,  श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ गले में बैजंतीमाला,  बजावै मुरली मधुर बाला,  श्रवण में कुण्डल झलकाता,  नंद के आनंद नंदलाला,  गगन सम अंग कांति काली,  राधिका चमक रही आली,  लतन में ठाढ़े बनमाली,  भ्रमर सी अलक,  कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,  ललित छवि श्यामा प्यारी की,  श्री गिरधर श्यामा प्यारी की, श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की,  आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ कनकमय मोर मुकुट बिलसैं,   देवता दरसन को तरसैं। गगन से सुमन राशि बरसैं ,  बजै मुरचंग , मधुर मृदंग,  ग्वालिनी संग,  अतुल रति गोप कुमारी की,  श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की ।।  आरती कुंजबिहारी की,  श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ जहां से प्रगट भई गंगा,  कलुष कलिहारिणी गंगा। स्मरण स

AARTI SHRI RAMAYAN आरती श्री रामायण जी की

 आरती श्रीरामायणजी की ।  कीरति कलित ललित सिय पी की ।।  गावत ब्रहमादिक मुनि नारद ।  बालमीक बिग्यान बिसारद ।।  सुक सनकादि सेष अरु सारद ।  बरनि पवनसुत कीरति नीकी ।।१।।  आरती श्रीरामायणजी की।  कीरति कलित ललित सिया पी की।।  गावत बेद पुरान अष्टदस ।  छओं सास्त्र सब ग्रंथन को रस ।। मुनि जन धन संतन को सरबस ।  सार अंस संमत सबही की ।।२।।  आरती श्रीरामायणजी की ।  कीरति कलित ललित सिया पी की।।  गावत संतत संभु भवानी ।  अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ।। ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी । कागभुसुंडि गरुड़ के ही की ।।३।।  आरती श्रीरामायणजी की।  कीरति कलित ललित सिया पी की।।  कलिमल हरनि बिषय रस फीकी । सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ।। दलन रोग भव मूरि अमी की ।  तात मात सब बिधि तुलसी की ।।४।।  आरती श्रीरामायणजी की।  कीरति कलित ललित सिया पी की।।  ALSO READ गणेश जी की आरती माँ लक्ष्मी जी की आरती रामायण जी की आरती आरती कुँजबिहारी की राम जी की आरती आरती शिव जी की जय माँ अम्बे गौरी आरती अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती आरती हनुमान जी की राम स्तुति " भय प्रगट कृपाला" आरती सत्यनारायण भगवान की ऊँ जय जगदीश हरे आरती

SHRI RAM STUTI SHRI RAM CHANDRA KRIPALU

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श्री राम स्तुति: श्री राम चन्द्र कृपालु भजमन लिरिक्स     ।।श्री राम स्तुति ।।     श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन हरण भावभय दारुणं ।  नवकंज -लोचन, कंजमुख, कर-कंज, पद कंजारुणं ॥१॥ कंदर्प अगणित अमित छबि , नवनील- नीरज-सुंदरं । पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरं॥२॥ भजु दीनबंधु दिनेश दानव- दैत्य- वंश- निकंदनं । रघुनंद आनँदकंद कौशलचंद दशरथ- नंदनं ॥३॥ सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभुषणं । आजानुभुज शर-चाप-धर संग्राम-जित- खरदूषणं ॥४॥ इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-रंजनं । मम हृदय कंज-निवास कुरु,कामादी खल-दल-गंजनं॥५॥ मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो । करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ॥६॥ एही भाँति गौरी असीस सुनि सिय सहित हियं हरषी अली । तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥७॥ ।। सोरठा ।।  जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि । मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ॥  रामचरितमानस के प्रसिद्ध दोहे ALSO READ  Hanuman chalisa quotes   गणेश जी की आरती माँ लक्ष्मी जी की आरती रामायण जी की आरती आरती कुँजबिहारी की राम जी की आरती आरती

PAUSH PURNIMA पौष पूर्णिमा

PAUSH PURNIMA 2022, 17 JANUARY  पौष पूर्णिमा 2021,17 जनवरी  हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. पौष मास की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. पौष मास को सूर्य देव को समर्पित मास कहा जाता है. पौष मास सूर्य देव का महीना है और पूर्णिमा चंद्र देव की तिथि है इसलिए इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने और दान पुण्य करना विशेष फलदायी माना जाता है. इस दिन मां दुर्गा ने भक्तों के कल्याण के लिए शाकंभरी अवतार लिया था. पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य भगवान को अर्ध्य विशेष फलदायी माना गया है. इस दिन किए गए दान पुण्य का विशेष महत्व है. पौष मास सर्दी का महीना होता है इसलिए गर्म कपड़े और कम्बल दान करना चाहिए. पौष पूर्णिमा के दिन से ही प्रयागराज तीर्थ में माघ मेले का आयोजन शुरू होता है. पौष पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा भी कहते हैं पौष मास की पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा भी कहते हैं. माँ दुर्गा ने इस दिन देवी शाकंभरी का अवतार लिया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ा तो माँ दुर्गा ने शाकं

AMALAKI EKADASHI आमलकी एकादशी

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AMALAKI EKADASHI  MONDAY 14 MARCH, 2022 आमलकी एकादशी, सोमवार 14 मार्च, 2022  फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं .इस दिन माना जाता है आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने ,आंवला खाने और दान करने का विशेष महत्व है . आमलकी एकादशी व्रत महत्व इस व्रत का महत्व त्रेता युग में महर्षि वशिष्ठ ने राजा मांधाता को सुनाया था.इस व्रत को करने से पाप नष्ट होते हैं और हजारों गायों के दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. आमलकी एकादशी में आपके का विशेष महत्व है. आंवले के वृक्ष के नीचे श्री लक्ष्मी नारायण का वास माना जाता है.  आमलकी एकादशी व्रत कथा वैदिक काल में चैत्ररथ नाम का एक चंद्रवंशी राजा राज्य करता था. उसके राज्य में सभी नागरिक भगवान विष्णु के भक्त हैं और नियम से एकादशी का व्रत करते थे. एक बार जब फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी आई तो राजा ने अपनी प्रजा के साथ मंदिर में जाकर आंवले का पूजन किया और कहने लगे कि आप ब्रह्मा जी द्वारा उत्पन्न हुए हैं और समस्त पापों का नाश करने वाले हैं . आप श्री रामचंद्र सम्मानित द्वारा है मैं आपकी प्रार्थना करत

VIJAYA EKADASHI विजया एकादशी

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 VIJAYA EKADASHI विजया एकादशी  ए कादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. एकादशी व्रत को बहुत फलदायी माना गया है. एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है। पद्म पुराण में भगवान शिव ने नारद जी को बताया था एकादशी बहुत पुण्य देने वाली है. एक मास में दो एकादशी आती है जो एकादशी पूर्णिमा के पश्चात आती है उसे कृष्ण पक्ष की एकादशी कहते हैं. फा ल्गुन मास के कृृृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी व्रत आता है.  यह एकादशी महाशिवरात्रि   से पहले आती है इसलिए इस का महत्व ओर बढ़ जाता है.   विजया एकादशी व्रत महत्व विजया एकादशी व्रत विजय प्राप्ति के लिए किया जाता है.  मान्यता है कि विजय एकादशी का व्रत भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले विजय प्राप्ति के लिए किया था. इसलिए इस व्रत को विजया एकादशी कहा जाता है. विजया एकादशी व्रत करने से हर कार्य में सफलता मिलती है और पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है. विजया एकादशी व्रत कथा पौराणिक कथा के अनुसार जब रावण सीता माता का हरण करके उन्हें लंका जी ले गया तो श्री राम वानर सेना की सहायता से समुद्र तट तक पहुंच गए. लेकिन उनके सामने विशाल समंदर को लांघ