AMALAKI EKADASHI आमलकी एकादशी
AMALAKI EKADASHI MONDAY 14 MARCH, 2022 आमलकी एकादशी, सोमवार 14 मार्च, 2022
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं .इस दिन माना जाता है आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने ,आंवला खाने और दान करने का विशेष महत्व है .
आमलकी एकादशी व्रत महत्व
इस व्रत का महत्व त्रेता युग में महर्षि वशिष्ठ ने राजा मांधाता को सुनाया था.इस व्रत को करने से पाप नष्ट होते हैं और हजारों गायों के दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. आमलकी एकादशी में आपके का विशेष महत्व है. आंवले के वृक्ष के नीचे श्री लक्ष्मी नारायण का वास माना जाता है.
आमलकी एकादशी व्रत कथा
वैदिक काल में चैत्ररथ नाम का एक चंद्रवंशी राजा राज्य करता था. उसके राज्य में सभी नागरिक भगवान विष्णु के भक्त हैं और नियम से एकादशी का व्रत करते थे.
एक बार जब फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी आई तो राजा ने अपनी प्रजा के साथ मंदिर में जाकर आंवले का पूजन किया और कहने लगे कि आप ब्रह्मा जी द्वारा उत्पन्न हुए हैं और समस्त पापों का नाश करने वाले हैं .
आप श्री रामचंद्र सम्मानित द्वारा है मैं आपकी प्रार्थना करता हूं. व्रत के साथ रात में जागरण भी किया.
रात को वहां एक बहेलिया आया और जो कुटुम्ब के पालन के लिए जीव हत्या करता था .उस दिन उसने शिकार नहीं किया . शिकार ना मिलने के कारण निराहार था .भूख प्यास से व्याकुल वह मंदिर के एक कोने में बैठ गया और एकादशी महात्म की कथा सुनी और सारी रात जागरण करके बताया और अगले दिन घर जाकर भोजन किया .कुछ समय पश्चात बहेलिया मृत्यु को प्राप्त हुआ .
आमलकी एकादशी के व्रत के प्रभाव से बहेलिया अगले जन्म में राजा विदूरथ के घर में जन्म लिया .उसका नाम वसुरथ रखा गया.उसका तेज़ सूर्य के समान था, वह धार्मिक सत्यवादी और कर्मवीर और विष्णु भक्त था.
एक दिन राजा वसुरथ शिकार के लिए वन में गया. देवयोग से रास्ता भटक गया और रात्रि होने के कारण एक वृक्ष के नीचे सो गया . थोड़ी देर के बाद वहाँ म्लेच्छ आये और कहने लगे इस राजा ने हमारे माता-पिता ,संबंधियों को मारा है और राज्य से निकाला है .इसलिए इसको मार देना चाहिए .
उनके अस्त्र-शस्त्र राजा को पुष्प की भांति लगे.उल्टा म्लेच्छों के अस्त्र शस्त्र उन पर ही प्रहार करने लगे और घायल करने लगे . कुछ समय पश्चात राजा मूर्छित हो गया. राजा के शरीर से एक दिव्य स्त्री प्रकट हुई उसने म्लेच्छों को काल का ग्रास बना दिया.
राजा की मूर्च्छा टूटने पर राजा सोचने लगा कि इन म्लेच्छों को किसने मारा है ? तभी आकाशवाणी हुई की भगवान विष्णु के सिवाय तुम्हारी सहायता और कौन कर सकता है ? यह सुनकर राजा अपने नगर में चला गया और सुखपूर्वक राज्य करने लगा .
विशिष्ट जी कहने लगे कि यह आमलकी एकादशी व्रत का प्रभाव था. इस व्रत को करने से सभी कार्य सफल होते हैं और विष्णु लोक को प्राप्त करते हैं.
व्रत विधि
एकादशी वाले दिन प्रातःकाल स्नान के पश्चात नारायण भगवान का पूजन करना चाहिए.
भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य और तुलसी पत्र अर्पित करने चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी पत्ता चढ़ाने का विशेष महत्व है.
भगवान विष्णु को आंवले को प्रसाद रूप में अर्पित करे.
इस दिन आंवले के दान का भी विशेष महत्व है.
भगवान विष्णु की आरती, चालीसा पढ़ना चाहिए।
भगवान विष्णु के नाम जप और श्री कृष्ण के नाम का जप करना चाहिए.
व्रती को फलाहार ही करना चाहिए.
रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना गया है.
द्वादशी के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन करवाने के पश्चात व्रत का पारण करे.
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