NEVER GIVE UP MOTIVATIONAL STORY

 NEVER GIVE UP का अर्थ होता है "कभी हार मत मानो"



अगर आप को बार बार असफलता मिल रही है तो भी आप को कभी हार नहीं माननी चाहिए। हर बार अपने मन को समझाएं कि आप की एक और कोशिश आप को सफलता की ओर लेकर जा रही है।

जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियां हमें कमज़ोर नहीं मजबूत बनाती हैं. इसलिए कठिन समय में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए.  हम सकारात्मक दृष्टिकोण अपना कर बहतरीन हल ढूँढ सकते हैं.

सोहन लाल द्विवेदी की रचना की पंक्तियां  हमें कभी हार ना मानने  की प्रेरणा देती है


कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो

क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.

जब तक सफल ना हो, नींद चैन को त्यागो तुम

संघर्ष का मैदान छोड़कर कर मत भागों तुम 

 कुछ किए बिना ही जयकार नहीं होती

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

   THOMAS ALVA EDISON की कभी हार ना मानने की प्रेरणादायी कहानी



‌  Thomas Alva Edison  के नाम पर 1,093 पेटेंट है। बल्ब की खोज उनकी सबसे महान उपलब्धि है। बल्ब बनाने में वह 10 हजार से अधिक बार असफल हुए।

एक बार किसी ने पूछा कि बल्ब बनाने में आपके 10हजार से अधिक प्रयोग असफल रहे इसके लिए आपको अफसोस नहीं होता। उन्होंने   कहा कि मेरा हर प्रयोग बल्ब बनाने की प्रक्रिया का एक हिस्सा था 

 मैं कभी भी असफल नहीं हुआ बल्कि मैंने  दस हजार तरीकों से बल्ब बनाने की कोशिश की और प्रत्येक बार मैं आगे बढ़ता गया।
उन्होंने मेहनत जारी रखी और हार नहीं मानी।उनकी मेहनत रंग लाई और पूरी दुनिया को बल्ब की रोशनी से रोशन कर दिया।

मेहनत कभी निष्फल नहीं जाती इसलिए हमें निरंतर आगे बढ़ते रहने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि जैसे जैसे हम आगे बढ़ते हैं सफलता के रास्ते खुल जाते हैं।
उनका मानना था कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।



माउंटेन मैन नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी की कहानी हमें कभी हार ना मानने की प्रेरणा देती है। 


एक हथौड़े और एक छेनी से दशरथ मांझी ने पहाड़ को काट कर 360 फुट लम्बी और 30 फीट चौड़ी सड़क बनाई थी। 

दशरथ मांझी की पत्नी लकड़ी काट रहे अपने पति के लिए खाना ले जाने की दौरान पहाड़ के दर्रे से गिर गई उन्हें लगता था अगर उनकी पत्नी को समय पर उपचार मिलता तो वह बच जाती .यह बात उनके दिल में घर कर गई इसलिए उन्होंने संकल्प किया कि मैं अपने दम पर ही पहाड़ के बीच से रास्ते एक रास्ता निकाल लूंगा.

 22 वर्षो के अथक परिश्रम के बाद दशरथ मांझी ने अतरी और वजीरगंज ब्लॉक की 55 किलोमीटर की दूरी को 15 किलोमीटर कर दिया इसके बाद उन्हें माउंटेन मैन के नाम से जाना जाने लगा. शुरू में लोगों ने उनके इस विचार को पागलपन कहा
 लेकिन वह गांव वालों के तानों से रुके नहीं बल्कि तानों ने उनका हौसला और  बढ़ा दिया। बाद में उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प को देख कर गांव वालों ने उनकी मदद करनी शुरू कर दी।
  

 एक बच्चे की दिल को छू जाने वाली  कहानी         

एक बार एक छोटा सा बच्चा शहर की सबसे बड़ी दवाइयों की मार्केट में दुकान- दुकान जा कर कुछ मांग रहा था. लेकिन हर दुकान से वह निराश होकर लौट आता . एक सज्जन सड़क किनारे खड़े हुए उसे बड़े ध्यान से देख रहे थे .वह जिस दुकान के बाहर खडे़ थी जब वहां से भी निराशा के साथ बाहर निकला तो, उनसे रहा नहीं गया

उन्होंने बच्चे से पूछा तुम कौन सी दवाई ढूंढ रहे हो, जो  पूरी मार्केट में किसी के पास नहीं है. उस बच्चे की बात सुनकर वह सज्जन अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक पाए . उस बच्चे ने बताया कि उसकी मां बहुत बीमार है उसके पिता ने बताया  कि  उसकी मां का दिल का ऑपरेशन होना है. 

उसके पिता का कहना है कि उनके पास पैसे नहीं हैं .अब "ईश्वर का चमत्कार" ही तुम्हारी मां को बचा सकता है . इसलिए मैंने अपनी गुल्लक तोड़ी .उसमें से कुछ सिक्के निकले .उन सिक्कों से ही मैं हर एक दुकानदार से" ईश्वर का चमत्कार" मांग रहा हूं .

लेकिन कोई डांट कर भगा देता है, तो कोई हंस कर आगे जाकर ढूंढने को कहता है . वह बच्चा कहता है, "मैं हार नहीं मानूंगा, कोशिश करता रहूंगा".कहीं से तो "ईश्वर का चमत्कार" मिलेगा .जिससे मेरी मां बच जाएगी .

वह बच्चा जिस सज्जन को अपनी कहानी सुना रहा था, वह शहर के जाने-माने हार्ट सर्जन थे. उनका बहुत बड़ा हॉस्पिटल था. वह वहां इसलिए खड़े थे क्योंकि उनकी गाड़ी का टायर पंचर हो गया था और उनका ड्राइवर कार का पहिया बदल रहा था. 

कुछ समय पहले जहां वह टायर  पंचर होने के कारण परेशान थे .अब  समझ चुके थे ईश्वर ने इस बच्चे की मदद के लिए ही मेरी गाड़ी का टायर पंचर किया है.उन्होंने उसी समय एंबुलेंस बुलाई और उस बच्चे के साथ उसके  घर गए. उस बच्चे के पिता ने कहा डॉक्टर साहब मेरे पास इलाज के पैसे नहीं हैं. 


उन्होंने जवाब दिया आपको पैसे देने की जरूरत नहीं है .आपके पैसे आ गए हैं .डॉक्टर साहब जब बच्चे से मिले थे ,उस समय उन्होंने उस बच्चे से इलाज के लिए एक सिक्का ले लिया था, ताकि बच्चे की खुद्दारी को ठेस ना पहुंचे . 

बच्चा तो जानता ही नहीं था कि उसकी मां के ईलाज में कितने पैसे लगेंगे. वह बिना सोचे समझे अपनी मां की जान बचाने के लिए दुकान- दुकान घूम कर "ईश्वर का चमत्कार" ढूंढ रहा था .फिर भी उसने हार नहीं मानी थी .बच्चे की इस कोशिश को देखकर ना केवल डॉक्टर साहब ने उसकी मां का मुफ्त इलाज किया बल्कि उस बच्चे की कॉलेज तक की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया . 

सच ही कहते हैं कोशिश अगर सच्ची हो तो ईश्वर किसी ना किसी को सही समय पर सही जगह भेज ही देते हैं . इसीलिए तो कहते हैं, "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती". 

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