PAUSH PURNIMA पौष पूर्णिमा
PAUSH PURNIMA 2022, 17 JANUARY
पौष पूर्णिमा 2021,17 जनवरी
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. पौष मास की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. पौष मास को सूर्य देव को समर्पित मास कहा जाता है. पौष मास सूर्य देव का महीना है और पूर्णिमा चंद्र देव की तिथि है इसलिए इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है
इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने और दान पुण्य करना विशेष फलदायी माना जाता है. इस दिन मां दुर्गा ने भक्तों के कल्याण के लिए शाकंभरी अवतार लिया था.
पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य भगवान को अर्ध्य विशेष फलदायी माना गया है. इस दिन किए गए दान पुण्य का विशेष महत्व है. पौष मास सर्दी का महीना होता है इसलिए गर्म कपड़े और कम्बल दान करना चाहिए. पौष पूर्णिमा के दिन से ही प्रयागराज तीर्थ में माघ मेले का आयोजन शुरू होता है.
पौष पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा भी कहते हैं
पौष मास की पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा भी कहते हैं. माँ दुर्गा ने इस दिन देवी शाकंभरी का अवतार लिया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ा तो माँ दुर्गा ने शाकंभरी अवतार लेकर पृथ्वी को खाद्य पदार्थों कमी के संकट से उभरा था. इस दिन मां दुर्गा की पूजा का भी विधान है. छत्तीसगढ़ के आदिवासी इस दिन छेतरा पर्व मनाते है.
पौष पूर्णिमा महत्व
पौष मास सूर्य देव का महीना है और पूर्णिमा चंद्र देव की तिथि है इसलिए इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है और बाधाएं दूर होती है.
पौष पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ फलदायी होता है लेकिन अगर नदी पर स्नान ना कर सके तो घर पर ही स्नान करते समय गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं.
सूर्य देव को अर्ध्य देना चाहिए और सूर्य देव के मंत्रों का उच्चारण करना फलदायी होता है.
इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए.
भगवान सत्यनारायण की कृपा से घर में सुख समृद्धि आती है. सत्यनारायण व्रत कथा पढ़नी चाहिए .
पूर्णिमा को भगवान शिव और चन्द्रमा का पूजन करना चाहिए.
इस दिन दान का विशेष महत्व है . ब्राह्मणों और गरीबों को अन्न ,कम्बल और गर्म वस्त्र दान करने चाहिए.
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