PURV JANAM KE KARAM PHAL KI KATHA
कर्म एक ऐसी फसल है जो हम बीजते है वही काटते है. किए गए शुभ अशुभ कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है चाहे जितने भी कल्प बीत जाए. इसलिए ईश्वर से नहीं अपने कर्मों से डरना चाहिए क्योंकि कर्मों का हिसाब तो देना ही पड़ता है.
एक बार एक राज्य में प्रसिद्ध ज्योतिषी थे. उनकी प्रसिद्धि इतनी थी कि एक बार वहाँ के राजा अपनी किसी समस्या के लिए स्वयं ज्योतिषी जी के घर पर गएं. उस समय ज्योतिषी घर पर नहीं थे. उनकी पत्नी लगातार ज्योतिषी जी को बुरा भला कह रही थी. राजा को उनकी पत्नी पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि ज्योतिषी जी का सम्मान पूरा राज्य करता है लेकिन उनकी पत्नी उन्हें लगातार कोस रही है. ज्योतिषी जी सब की समस्या का निवारण करते हैं क्या इस समस्या का निवारण नहीं कर सकते.
कुछ समय के पश्चात ज्योतिषी जी वापिस आ गए. राजा जी ने आते ही ज्योतिषी से प्रश्न किया कि आप की पत्नी आप को इतना भला बुरा कहती है आप उसे टोकते क्यों नहीं है? आप की प्रसिद्धी इतनी है कि राज्य का राजा स्वयं आप के द्वार पर आया है आपनी समस्या समाधान के लिए. अगर आप अपनी पत्नी को दंड नहीं दे सकते तो मुझे बताएं मैं उनको उचित दंड दे सकता हूँ .
ज्योतिषी जी कहने लगे कि राजन मैं अपने पिछले जन्म के कर्मों का दंड भुगतान कर रहा हूँ. पूर्व जन्म में मेरी पत्नी एक गधी थी और मैं एक कौआ था. गधी की पीठ पर एक फौडा था जिसके कारण उसे बहुत पीड़ा होती थी. मैं जानबूझकर उसकी पीठ पर चोंच मारता जिसके कारण उसे पीड़ा होती जिसे देखकर मुझे बहुत मजा आता.
एक दिन मेरे से दुखी होकर वह गधी जंगल में चली गई और उसका घाव भी भरने लगा लेकिन मैं उसे ढूँढते हुए जंगल में पहुँच गया और उसकी पीठ पर बने घाव में अपनी चोंच खुबो दी.
लेकिन उसकी पीठ की हड्डी में मेरी चोंच फंस गई. लाख कोशिश के बाद भी में चोंच को हड्डी से नहीं निकल पाया.
गधी मुझ से अपनी जान बचाने के लिए पास में गंगा नदी बहती थी उस में चली गई लेकिन मेरी चोंच नहीं निकली और हम दोनों की मृत्यु गंगा नदी में हो गई.
गंगा जी के प्रभाव से हम दोनों को मनुष्य जीवन मिला. गंगा जी के प्रभाव के कारण ही मैं एक ज्ञानवान ज्योतिषी बना.
जैसे मैं पूर्व जन्म में गधी की पीठ में चोंच मार कर उसे पीड़ा देता था अपने उसी कर्म के फलस्वरूप मेरी पत्नी जो पूर्व जन्म में गधी थी, दिन रात मुझे कोसती है, बुरा भला कह कर मुझे त्रास देती है.
मैं चुपचाप उसके सुनता रहता हूँ क्योंकि मैं चाहता हूं कि अपने पिछले जन्म का भुगतान इस जन्म में कर दूं. अगर मैं उसे आगे से कुछ कहूंगा तो अगले जन्म में फिर भुगतान करना पड़ेगा. इसलिए कहते हैं कर्म फल भोगना ही पड़ता है किसी को इस जन्म में किसी को अगले जन्म में. इसलिए शुभ कर्म करे.
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