ANDHVISHWAAS अंधविश्वास
ANDHVISHVAAS - BLIND FAITH
अंधविश्वास- जब हम बिना सोचे समझे किसी रीति रिवाज या परम्परा को बिना किसी आधार के अपना लेते हैं।
एक बार एक ऋषि को अपने आश्रम के पास एक बिल्ली का बच्चा मिला। मुनि के आश्रम में वह बिल्ली का बच्चा बड़ा होने लगा। ऋषि जब भी ध्यान में बैठते तो वह बिल्ली का बच्चा उनके ऊपर चढ़ कर उनके ध्यान में विध्न डालता।
इस लिए ऋषि ने ध्यान पर बैठने से पहले अपने शिष्य से कहते कि बिल्ली के बच्चे को सामने पेड़ से बांध दो। अब उनका नियम बन गया था कि ध्यान पर बैठने से पहले बिल्ली को बांधना और फिर बाद में बिल्ली के बंधन को खोल देना ।
एक दिन अचानक ऋषि का देहांत हो गया। अब उसके शिष्य को गद्दी पर बैठाया गया। संयोग वश उस बिल्ली भी ऋषि के देहांत के अगले दिन भर गई।
अब जिस शिष्य को गद्दी पर बैठाया गया उसे लगा कि यह कोई परम्परा शुरू ने शुरू की थी कि जब भी ध्यान पर बैठना है तो सामने पहले बिल्ली बंधी होनी चाहिए। अब आनन फानन में एक ओर बिल्ली का बच्चा लाया गया और उसे सामने के पेड़ के साथ बांधा गया।फिर नई गद्दी प्राप्त करने वाला शिष्य ध्यान पर बैठा।
अब आने वाले समय में गुरु गद्दी संभालने वाले शिष्यों ने भी इस परम्परा को अपनाया। जबकि कोई जानता ही नहीं था कि बिल्ली का बच्चा ऋषि के ध्यान में व्यावधान डालता था इस लिए ऋषि उसे बांधते थे।
हमारे और आपके साथ भी ऐसा ही होता है कि हमें बहुत बार पता ही नहीं होता कि हम जिन परम्पराओं का पालन कर रहे हैं उनका औचित्य क्या है ।
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