DAYALUTA - KINDNESS दयालुता की कहानी
DAYALUTA - KINDNESS की प्रेरणादायक कहानी
एक बार एक राजा ने अपनी राजकुमार को गुरुकुल में पढ़ने के लिए भेजा.राजा की इच्छा थी कि उसके गुरु राजकुमार के साथ राजकुमार की तरह व्यवहार करे नाकि एक सामान्य छात्र की तरह पढ़ाएं .
लेकिन गुरु ने ऐसा करने से मना कर दिया. इस बात का राजा के मन में शूल रह गया कि गुरु ने उसकी बात नहीं मानी और राजा ने उसे अपना अपमान समझा . गुरुकुल में गुरु ने राजकुमार को उत्तम शिक्षा दी.
राजकुमार ने शिक्षा समाप्त होने पर गुरु से गुरु दक्षिणा पूछी तो गुरु कहने लगे कि समय आने पर मैं ले लूंगा . जब राजकुमार शिक्षा पूरी कर राजमहल वापस आए तो राजा ने अपना अपमान का बदला लेने के लिए गुरु के आश्रम को राख में मिलाने की आज्ञा सैनिकों को दी.
सैनिकों ने गुरु के आश्रम को राख में मिला दिया.उधर जब राजकुमार ने पता चला कि किसी ने उसके गुरु के आश्रम को राख में मिला दिया है तो उसने कसम खाई कि जिसने भी ऐसा किया है मैं उसका सर काट दूंगा .
जब उसने अपनी कसम के बारे में गुरु को बताया तो उस दिन गुरु ने अपनी गुरु दक्षिणा मांगी कि जिसने भी उसके आश्रम को राख में मिलाया है तुम उसको क्षमा कर दो. क्योंकि गुरु जानते थे कि उनके गुरुकुल को राख में मिलाने वाला और कोई नहीं राजकुमार का पिता और उस राज्य का राजा ही था . इस तरह गुरु ने दयालुता दिखाते हुए राजा और पुत्र के बीच में होने वाले विवाद को मिटा दिया.
दयालु राजकुमारी की कहानी
एक बार एक शिकारी को एक चिड़िया मिली जो कि जब भी गाती ,मोती देती थी .शिकारी ने उसे पकड़कर पिंजरे में कैद कर लिया. लेकिन चिड़िया ने पिंजरे में कैद होने के बाद एक बार भी मोती नहीं दिया . क्योंकि चिड़िया जब भी खुश होती थी तब मोती देती थी.
पिंजरे में चिड़िया अपनी आजादी के बारे में सोचती रहती थी और हर समय दु:खी रहती थी. शिकारी ने उसे राजा को बेच दिया .राजा ने उसे अपनी राजकुमारी के लिए ले लिया क्योंकि वह राजकुमारी पक्षियों से बहुत प्यार करती थी.
राजकुमारी बहुत ही दयालु थी राजकुमारी ने चिड़िया को पिंजरे से निकाल दिया. अपनी आजादी पाकर चिड़िया बहुत खुश थी अब हर रोज राजकुमारी को एक मोती देती थी.
राजकुमार की कहानी
Motivational story in hindi
एक बार एक राजा ने अपने पुत्र को हर प्रकार से शिक्षित किया . राजा अपने पुत्र का राज्य अभिषेक करना चाहता था लेकिन उसके गुरु ने उसे ऐसा करने से रोक दिया. राजा के गुरु कहने लगी कि, "राजन अभी आपका पुत्र राज्य का संभालने के लिए पूरी तरह परिपक्व नहीं हुआ".
उस समय और व्यतीत हो गया फिर से राजा ने गुरु से पुत्र के राज्य अभिषेक के लिए आज्ञा मांगी. गुरु ने राजा को कुछ समय और ठहरने के लिए कहा.
एक दिन राजकुमार अपने घोड़े पर बैठकर कहीं घूमने पर गया वहां उसे कुछ बुजुर्गों ने राजकुमार का हालचाल पूछा तो राजकुमार घोड़े पर बैठे- बैठे उनसे बातचीत करने लगा. इतने में एक लड़का आया उसने राजकुमार की घोड़े की पूंछ पर हाथ फेरा तो घोड़े ने लात मार के गिरा दिया यह देखकर राजकुमार ठहाका लगाकर हंसने लगा.
जब राजा और उसके गुरु के पास यह बात पहुँची तो गुरु ने राजा से कहा राजन एक राजा में विनम्रता और दया की भावना जरूर होनी चाहिए . लेकिन राजकुमार में यह भावना अभी जागृत नहीं है हुई.
क्योंकि वह बुजुर्गों से घोड़े पर बैठकर ही बात कर रहा था और जब लड़के को घोड़े गिराया तो राजकुमार को दयालुता दिखाते हुए उसे उठाकर हाल-चाल पूछना चाहिए था ना कि ठहाके लगा कर हंसना चाहिए था.
एक राजा में प्रजा के दु:ख का एहसास होना चाहिए राजकुमार में दयालुता की भावना की कमी है. इसलिए मैं आपको उसे राजा बनाने से अभी मना कर रहा था. राजा ने उसे फिर से गुरुकुल में भेजा और वहां गुरु ने उसे पूरी तरह व्यवहारिकता से अवगत करवाया एक आम आदमी की जिंदगी क्या होती है? उसे अपनी रोजी-रोटी और रोज की दिनचर्या के लिए किन किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है. राजकुमार के व्यवहार में धीरे-धीरे विनम्रता और दयालुता के भाव आने लगे उसके पश्चात राजा के गुरु ने स्वयं राजा को राजकुमार के राज्याभिषेक की आज्ञा दी.
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