KARPUR GAURAM KARUNAVTARAM MANTAR LYRICS WITH HINDI MEANING
कर्पूरगौरं करुणावतारं मंत्र लिरिक्स हिन्दी अर्थ सहित
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
भगवान शिव की "स्तुति मंत्र" श्री हरि विष्णु ने भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह समय की थी । देवी- देवताओं की आरती के पश्चात भगवान शिव का मंत्र बोला जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव पार्वती के विवाह के समय बोले गए अलौकिक मंत्र के प्रत्येक शब्द में भगवान शिव जी की स्तुति की गई है। इसका अर्थ इस प्रकार है
कर्पूरगौरं- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले।
करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार है।
संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार है।
भुजगेंद्रहारम्- जो सांप को हार के रूप में धारण किए हुए हैं।
सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है।
अर्थात- जो कर्पूर समान गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार है, समस्त संसार के सार है और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।
कर्पूरगौरम् करुणावतारं मंत्र जाप करने के पीछे बहुत गहरे अर्थ छिपे हुए हैं। कहा जाता है भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय श्री हरि विष्णु द्वारा की गई थी। ये स्तुति इसलिए गाई जाती है कि जो इस समस्त संसार के अधिपति है, वो हमारे मन में वास करें, शिव श्मशान वासी हैं, जो मृत्यु के भय को दूर करते हैं। ऐसे शिवजी हमारे मन में शिव वास कर, मृत्यु का भय दूर करें और हमारी समस्त इच्छाओं को पूर्ण करें।
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