POLITENESS - VINAMRTA

 VINAMRTA - POLITENESS



लक्ष्मण जी युद्ध से पूर्व जब श्रीराम से आशीर्वाद लेने पहुंचे तो श्री राम लक्ष्मण से कहने लगे कि लक्ष्मण युद्ध से पूर्व जो भी पहला व्यक्ति मिले उससे भिक्षा मांग कर आओ।

लक्ष्मण और हनुमान जी को आश्चर्य हुआ कि प्रभु ने आशीर्वाद के बजाय भिक्षा मांगने का आदेश क्यों दिया? लेकिन अगर श्री राम भिक्षा मांगने की आज्ञा दी तो लक्ष्मण जी बिना प्रश्न किये भिक्षा मांगने निकल पड़े।

लक्ष्मण जी को रास्ते में सबसे पहले रावण के सैनिक से भेंट होती है। श्री राम की आज्ञानुसार लक्ष्मण जी उससे भिक्षा मांगते हैं।

रावण का सैनिक अपने राशन में से कुछ अन्न लक्ष्मण जी को भिक्षा में देता है। लक्ष्मण जी वापस आकर वह भिक्षा श्री राम को देते हैं। उसके पश्चात श्री राम लक्ष्मण जी को विजयी भव: होने का आशीर्वाद देते हैं।

कोई भी श्री राम द्वारा लक्ष्मण जी से भिक्षा मांगने के मर्म को ना जान पाया। 

लक्ष्मण जी और मेघनाद में भयंकर युद्ध हुआ। मेघनाद ने लक्ष्मण जी पर ब्रह्मास्त्र, पशुपात्र और कौन अस्त्र चलाये  जो अभेद्य थे।

लक्ष्मण जी ने हाथ जोड़ कर सभी को प्रणाम किया और सभी अस्त्र वापिस चले गए।

उसके पश्चात जब लक्ष्मण जी ने श्री राम का ध्यान कर बाण चलाया और मेघनाद का सिर कटकर पृथ्वी पर गिर पड़ा।

उस दिन युद्ध समाप्ति के पश्चात हनुमान जी ने श्री राम से प्रश्न किया प्रभु लक्ष्मण जी से भिक्षा मांगवाने का मर्म क्या था?


प्रभु श्री राम कहने लगे कि हनुमान मैं जानता हूं कि लक्ष्मण का स्वभाव क्रोधी है । लेकिन युद्ध में विनम्रता बहुत आवश्यक है। प्रभु श्री राम बोले कि मैं जानता था कि मेघनाद अपने स्वभाव वश युद्ध जीतने के लिए ब्रह्माण्ड के विनाश की चिंता किसे बिना दिव्य अस्त्रों का प्रयोग जरूर करेगा।


लेकिन इन दिव्य अस्त्रों के सामने विनम्रता ही कार्य कर सकती थी। इस लिए मैंने सुबह लक्ष्मण को भिक्षा मांगने का आदेश दिया था क्योंकि जब शक्ति सम्पन्न व्यक्ति भिक्षा मांगेगा तो उसमें स्वत: विनम्रता का संचार होगा। इस तरह मैंने लक्ष्मण को झुकना सिखाया था।

लक्ष्मण ने जब मेरा ध्यान कर मेघनाद को मारने के लिए बाण छोड़ा था। लेकिन अगर मेघनाद उस बाण के सामने विनम्र होता तो मैं मेघनाद को क्षमा कर देता।

इस लिए किसी भी बड़े कार्य सफलता के लिए विनम्रता और धैर्यवान होना बहुत आवश्यक है।

 

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