SANGATI KA ASAR MOTIVATIONAL STORY

 संगति का असर प्रेरणादायक कहानी 


संगति का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है. अच्छे लोगों की संगति हमें जीवन की उंचाईयों तक ले जाती है. बुरे लोगों की संगति पतन का कारण बनती   है. शेर की संगति करोगे तो संघर्ष करना सिखाएगा और अगर गधे की संगति करोगे तो हालातों से समझौता करना और झुकना सिखाएगा. यह आप पर निर्भर करता है आप कैसे लोगों की संगति में रहते हो. 

एक बार एक शिकारी जंगल से जा रहा था तो थकान के कारण उसने कुछ समय विश्राम करने का निश्चय किया. एक वृक्ष के नीचे चादर बिछा कर लेट गया. कुछ समय पश्चात उसे नींद आ गई. 

उसी समय एक हंस वहाँ से गुजर रहा था. उसने देखा कि यह मुसाफिर पेड़ की झाडियों के हिलने खुलने के कारण ठीक से सो नहीं पा रहा है. हंस पेड़ पर अपने पंख फैला कर बैठ गया ताकि यह मुसाफिर ठीक से सो सके.

उसी समय वहाँ पर एक कौआ कर उसी पेड़ की डाल पर बैठ गया. उसने उस शिकारी पर मल विसर्जन कर दिया. उसी समय उस व्यक्ति की निंदा खुल गई और उसने अपना धनुष उठाया और हंस पर बाण चला दिया. उसी समय शिकारी ने एक कौवे को भी उड़ते हुए देखा.

मरते हुए हंस ने कहा कि मैं तो आपकी सेवा कर रहा था ताकि आपकी निद्रा में कोई विध्न ना आए फिर आपने मुझे क्यों मारा? 

शिकारी कहने लगा कि तुम ने उच्च कुल में जन्म लिया है , तुम्हारे संस्कार भी अच्छे है, तुम्हारे कर्म भी शुभ है लेकिन जब कौआ तुम्हारे पास आ कर बैठा उसी समय तुम को उड़ जाना चाहिए था क्योंकि दुष्ट की एक पल की संगति ने ही तुम को मृत्यु के द्वार पर भेज दिया.

संगति का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है इसलिए संगति सदैव अच्छे लोगों की करनी चाहिए.

Father's Day quotes

             संत की संगति का फल

एक बार एक बहुत प्रसिद्ध चोर किसी के बंगले पर चोरी करने गया. उस दिन वहाँ पर एक संत भागवत् कथा कर रहे थे. जब चोर वहाँ पहुँचा तो प्रसंग चल रहा था कि माँ यशोदा श्री कृष्ण और बलराम को हर रोज़ गहने पहनाती और वह दोनों भोजन करने के बाद गाय चराने जाते. 

संत भाव विभोर होकर श्री कृष्ण की मणि और गहनों का  वर्णन कर रहे थे कि वह बहुमुल्य है, अनमोल है. चोर का ध्यान चोरी से हट गया और वह सोचने लगा कि इस संत से उन दिनों भाईयों का पता पूछ लेता हूं कि दोनों भाई कौन से स्थान पर गाय चराने जाते हैं ? मैं उनके गहने छीन लूंगा और मालामाल हो जाऊँगा.

श्री कृष्ण की लीला देखिये उस चोर ने पहले कभी भी भक्ति भाव के प्रसंग सुने ही नहीं थे क्योंकि उसकी संगति ही चोर उचक्को ं की थी. वह तो बस चोरी - छीना झपटी, और मार काट ही जानता था.

अब वह संत की प्रतीक्षा करने लगा कि कब वह इस सुनसान रास्ते से गुजरे और मैं दोनों बच्चों का पता पूछ सकू. संत को आते देख चोर ने उन्हें चाकू दिखाया और कहने लगा कि उन दोनों बच्चों का पता बता जिन के बारे में तुम बंगले में बता रहे थे कि उनके गहनों का मुल्य तो अनमोल है.

संत ने समझाना चाहा कि भाई मैं तो भागवत् कथा का प्रसंग सुना रहा था. लेकिन संत को लगा कि यह ज्ञान की बातें इस मूढ को समझ नहीं आएगी क्यों कि उसके दिमाग में गहनों का ही ख्याल घूम रहा था. ऊपर से संत को चाकू का भी डर सता रहा था. 

संत ने जान बचाने के लिए कहा कि वृंदावन चले जाओ वहाँ दोनों भाई सुबह गाय चराने आते हैं .वहां तुम उनसे मिल लेना. चोर जाते - जाते संत से कह गया कि मैं गहनों में से आपको आपका हिस्सा दे दूंगा.

अब जैसे - तैसे वृन्दावन पहुँचा. उस समय शाम होने वाली थी. उसने लोगों से पूछा कृष्ण बलराम गाय कहाँ चराते है. लोगों ने भी सरल भाव से वह स्थान बता दिया . 

श्री कृष्ण की माया देखिये पूरी रात उसे नींद नहीं आई. रात भर भूख प्यास की कोई सुध नहीं. मन में एक ही उत्सुकता की दोनों के अनमोल गहने लेने है  . पूरी रात कभी पेड़ पर चढ़े कभी उतरे, कभी रास्ता देखे कि दोनों भाई कब आएगे. अनजाने में ही सही मन में कृष्ण कृष्ण की धुन चल रही है कब आओगे कब आओगे.

सुबह हुई तो उत्सुकता ओर बढ़ गई. फिर उसे एक आलोकिक प्रकाश दिखाई दिया और दो बालक दिखाई दिए. वह एक टक दोनों को निहारने लगा. सोचने लगा कि ऐसा मनमोहक रुप आज से पहले कभी नहीं देखा.

तभी उसे स्मरण आया कि मुझे तो इनके गहने लेने है और उसमें से संत जी को भी हिस्सा देना है. वह जैसे ही श्री कृष्ण और बलराम को धमाका कर गहने छीनने लगा. प्रभु का वह स्पर्श उसे बहुत ही आलोकिक लगा. प्रभु ने अपनी इच्छा से उसे गहने ले जाने दिये. 

फिर से वह उन संत जी की प्रतीक्षा करने लगा. संत जी के आते ही कहने लगा कि अपना हिस्सा ले ले. मैं दोनों बालकों के गहने ले आया हूँ. संत जी हैरान परेशान अरे !भाई तू किन बालकों के आभूषण ले आया है ? भूल गए क्या? कृष्ण और बलराम का पता आप ने ही तो बताया था. मैंने बालकों से उनका नाम पूछा था. उन्होंने ने अपना नाम कृष्ण और बलराम ही बताया था.

संत जी कहने लगे कि मुझे भी उन बालकों से मिलना है. मुझे भी ले चलो . दोनों उस स्थान पर पहुँचे .चोर को दोनों दिखे संत जी को नहीं दिखे. चोर ने श्री कृष्ण और बलराम से कहा कि आप संत जी को क्यों नही दिख रहे? आप को उन्हें भी दिखना पड़ेगा नहीं तो वो मुझे झूठा कहेंगे. भक्त की जिद्द के कारण प्रभु ने संत जी को भी दर्शन दिए.

संत जी कहने लगे कि प्रभु मैं तो कई सालों से भागवत् कथा कर रहा हूँ. लेकिन आप ने मुझे कभी दर्शन नहीं दिए  . जबकि चोर तो आपके नाम की महिमा और रूप के बारे में कुछ जानता भी नहीं था. फिर उसे दर्शन क्यों दिए? प्रभु ने कहा क्यों कि तुम ने मुझे कभी उस भाव से पुकारा ही नहीं.

प्रभु कहने लगे कि अनजाने में ही सही उसे संत के कहे हुए वचनों पर दृढ विश्वास था. चाहे वो मेरे बारे में कुछ नहीं जानता था लेकिन ईश्वर को पाने के लिए जो व्याकुलता होनी चाहिए. उस समय उस में वही थी. कभी पेड़ पर चढ़ता कभी उतरता और उसके मन में मेरे नाम की ही धुन चल रही थी. इस लिए मैं उस पर रीझ गया और उसके समीप आ गया. संत की संगति का यही तो परिणाम होता है.

अब चोर भी संत की संगति में श्री कृष्ण का परम भक्त बन गया क्योंकि अब वह श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त कर चुका था.

Moral stories in hindi for students 

यह वक्त भी गुजर जाएगा प्रेरणादायक कहानी  

मैं ना होता तो क्या होता प्रेरक प्रसंग

हीरे की परख best moral story

संगति का असर best moral story

कभी हार मत मानो moral story


Comments

Popular posts from this blog

RAKSHA SUTRA MANTAR YEN BADDHO BALI RAJA

KHATU SHYAM BIRTHDAY DATE 2024

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA