KRISHAN AUR KUMHAR KATHA कुम्हार और श्री कृष्ण की कथा
श्री कृष्ण अपनी बाल- लीला के समय बहुत नटखट थे। गोपियां मां यशोदा को उलाहना देती रहती कि नंद रानी तेरे लला ने मेरा मटका फोड़ दिया , तो कोई कहती मेरा माखन चुराकर लिया। एक बार श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आकर मैया यशोदा छड़ी लेकर श्री कृष्ण के पीछे भागी। श्री कृष्ण ने जब मैया को क्रोधित होकर अपने पीछे आते देखा तो श्री कृष्ण मां से बचने के लिए दौड़ने लगे। श्री कृष्ण दौड़ते हुए एक कुम्हार के पास पहुँचे और उससे कहने लगे कि मां गुस्से में छड़ी लेकर मुझे मारने आ रही है। श्री कृष्ण कुम्हार से कहने लगे कि आप मुझे छिपा लो। कुम्हार को ज्ञान था कि श्री कृष्ण स्वयं साक्षात ईश्वर के रूप है। कुम्हार अपने आप को धन्य समझ रहा था कि ईश्वर स्वयं मेरे पास आए हैं और मुझे अपनी बाल लीला दिखाने के लिए छिपाने के लिए कह रहे हैं। कुम्हार ने श्री कृष्ण को एक बड़े से घड़े के नीचे छिपा दिया और अपना काम करने लगा। कुछ देर बाद मैया यशोदा वहां आई और कुम्हार से पूछने लगी , क्या आपने मेरे लला को जहां आते देखा है। कुम्हार कहने लगा कि ,"नंद रानी मैंने आपके लला को जहां आते नहीं देखा"। कुम्हार की बात सुनकर मैय