BHAGWAN SHIV JI KI KATHA

भगवान शिव की कथा 



Lord Shiva: भगवान शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक है। भगवान शिव सौम्य और रूद्र दोनों रूपों के लिए जाने जाते हैं। त्रिदेवों ब्रह्मा‌‌ ,विष्णु और शिव में भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनकर्ता कहा गया है। ब्रह्मा जी सृजनकर्ता और भगवान शिव को संहारक माना जाता है।

शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव स्वयंभू है उनकी उत्पत्ति स्वयं हुई है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के मस्तिष्क से निकले तेज से उनकी उत्पत्ति हुई है इसलिए भगवान शिव हर समय  योग मुद्रा में रहते हैं।

 भगवान शिव अपने भक्तों द्वारा की गई भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है।

भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता हैं क्योंकि समुद्र मंथन के समय उन्होंने ने हलाहल विष पीकर सृष्टि को विनाश से बचाया था। उन्हें अर्धनारीश्वर, महादेव, रूद्र, शंकर, विषधर, उमापति, जटाधारी, भूतनाथ आदि कई नामों से जाना जाता है।

शिव का स्वरूप सिरपर जटाजूट, गंगा जी, और चंद्रमा को धारण किए हुए है। गले में नाग और रुद्राक्ष की माला धारण किए हैं। शरीर पर बाघम्बर और चिता की भस्म लगाए हुए हैं शिव जी हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए। भगवान शिव अपने डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से सृष्टि को नचाते हैं। उन्हें नटराज भी कहा जाता है।

भगवान शिव की अर्धांगिनी मां पार्वती ( मां सती का पुनर्जन्म ) है । भगवान शिव की सवारी नंदी बैल हैं। मां पार्वती की सवारी सिंह है। गणेश जी और कार्तिक जी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र हैं । कार्तिकेय की पत्नी का नाम देवसेना है और मोर उनका वाहन है। गणेश जी की पत्नियों के नाम रिद्धि सिद्धि है।  शुभ और लाभ उनके पुत्र हैं। . मूषक गणेश जी की सवारी है। 

सोमवार भगवान शिव का प्रिय वार माना गया है।सावन मास भगवान शिव का प्रिय मास है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। 

भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें 

 शिव तो जल, बिल्व पत्र, भांग धतूरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव की मूर्त रूप और शिवलिंग दोनों रूपों में की जाती है। भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता हैं वो अपने भक्तों द्वारा की गई भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

भगवान शिव को सावन मास बहुत प्रिय है भक्त सावन मास में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा अर्चना करते हैं। सावन सोमवार के व्रत करते हैं।

शिव पुराण के अनुसार श्रावण मास में सोमवार व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है ।कहते हैं कि ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से जो फल प्राप्त होता है वह श्रावण मास में व्रत करने से प्राप्त होता है ।इसलिए श्रावण मास में कुंवारी लड़कियां मनवांछित वर की प्राप्ति हेतु और सुहागन स्त्रियाँ सुखी विवाहित जीवन के लिए, पुत्र प्राप्ति के लिए करती है ।

सोमवार व्रत करने से धन में वृद्धि होती है और आयु लंबी होती है ।

 भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु शिव चालीसा, शिव आरती, शिव तांडव स्तोत्र , शिव स्तुति, शिव रूद्राष्टकम पढ़ना  चाहिए।

ऊँ नमः शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव के प्रिय मंत्र है।

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शिव स्तुति।        शिव चालीसा      शिव आरती

शिव रूद्राष्टकम।   शिव पार्वती विवाह कथा।                         

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