SANGTI KA PRABHAV संगति का प्रभाव

  Hindi moral story        "Sangti Ka Prabhav" 

 एक बार किसी गांव में दो ब्राह्मण रहते थे। एक ब्राह्मण बहुत धनवान था और दूसरा द्ररिद्र था। द्ररिद्र ब्राह्मण अपने घर परिवार की जरूरते भी पूरी नहीं कर पाता था इसलिए उसकी पत्नी उसे दिन रात ताने देती थी।

इस लिए दुःखी होकर वह जंगल की ओर चल पड़ा कि वहां कोई जंगली जानवर उसे खा जाएगा । वह हर रोज़ के पत्नी के तानों से मुक्त हो जाएगा और किसी जीव का भोजन बनकर पुण्य का भागीदार भी हो जाएगा।

जंगल में उसकी दृष्टि गुफा के द्वार पर पड़ी तो वह उसके विचार करने लगा कि अंदर चला जाता हूं ताकि जब भी कोई जंगली जानवर गुफा में आए तो उसका शिकार कर लें।

गुफा में एक शेर विश्राम कर रहा था । उसके प्रवेश द्वार पर एक हंस पहरा दे रहा था। वह सोचने लगा कि आज एकादशी के दिन अगर शेर ने इस ब्राह्मण को अपना भोजन बनाया तो मैं भी पाप का भागीदार बन जाऊंगा । ऐसा क्या करूं कि इस पाप कर्म से बच जाऊं?

उसे एक उपाय सूझा उसने कहा कि हे जंगल के राजा आज एकादशी का बहुत ही पावन दिवस है ।जागो और देखो कि देव  कृपा से गुफा के द्वार पर स्वयं ब्राह्मण देव पधारे हैं । उन्हें दक्षिणा देकर मोक्ष के भागीदार बनें ऐसा करने से आप जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाएंगे और पशु योनि से भी छुटकारा मिल जाएगा।

शेर को हंस का परामर्श उचित लगा और उसने ब्राह्मण देवता को प्रणाम किया और उसने पूर्व में जिन मनुष्यों का शिकार किया था उनके सोने चांदी के आभूषण ब्राह्मण देव को दक्षिणा के रूप में देकर विदा किया।

हंस ने ब्राह्मण देव को इशारा कर कहा कि इन आभूषणों को उठा कर जल्दी से भाग जाओ। यह शेर है क्या भरोसा कब इसका विचार बदल जाएं।

ब्राह्मण को स्वर्ण आभूषण मिलने की बात जब अमीर ब्राह्मण की पत्नी को पता चली तो उसने भी अपने पति को अगली एकादशी के दिन जबरदस्ती जंगल भेजा ताकि उन्हें भी दक्षिणा में स्वर्ण आभूषण प्राप्त हो।

वह लालची ब्राह्मण गुफा के द्वार तक पहुंच गया । लेकिन आज पहरेदार बदल चुका था और अब कौआ नया पहरेदार था। जैसे कि सब जानते है कि कौआ धूर्त प्रवृत्ति का जीव है। वह सोचने लगा कि शेर को जगाता हूं । शेर इस ब्राह्मण को खाएंगा तो मुझे भी उस में से भर पेट खाने के लिए भोजन मिल जाएगा।

ऐसा विचार कर वह कांव कांव करने लगा इससे शेर की नींद खुल गई और शेर गुस्से में दहाड़ने लगा और उसने गुफा के द्वार पर जब दूसरे ब्राह्मण को देखा तो वह समझ गया कि कौआ क्यों कांव कांव कर रहा है?

शेर उस ब्राह्मण को खा कर पूर्व में किए पुण्य कर्म को नष्ट नहीं करना चाहता था । इसलिए शेर ब्राह्मण से कहने लगा कि अच्छी मनोवृत्ति वाला हंस अब जहां का पहरेदार नहीं है वह अब जहां से चला गया है और पहरेदार बदल गया है।

वह तो हंस की संगति का असर था कि उसने मुझ से एकादशी के दिन पुण्य कर्म करवाया नहीं तो शेर किसी का जजमान नहीं होता।

अब कौआ मेरा पहरेदार है वह मुझे तुम्हें खाने के लिए उकसा रहा है। मैं हंस द्वारा मुझ से करवाएं गए पुण्य कर्म को समाप्त नहीं करना चाहता ।ब्राह्मण शेर की बात समझ गया और प्राण बचाकर आप अपने गांव की ओर भाग गया।

अच्छी संगति का हमारे जीवन पर बहुत असर पड़ता है। कुछ लोग दूसरे को मुश्किल में देख उसे बचाने की हर संभव प्रयास करते हैं और दुष्ट व्यक्ति दूसरे को मुश्किल में देख उनका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। इसलिए हम कैसे लोगों की संगति में है उसका हमारे जीवन पर बहुत असर पड़ता है।

#संगति #अच्छी संगति #प्रेरणादायक #शिक्षाप्रद 

ALSO READ MORE HINDI MORAL STORIES 

विनम्रता का महत्व

कभी हार मत मानो

करनी और कथनी में अंतर

शुकराना

लालच बुरी बला है

ईश्वर सब देख रहा है

Comments

Popular posts from this blog

BAWA LAL DAYAL AARTI LYRICS IN HINDI

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA

MATA CHINTPURNI CHALISA LYRICS IN HINDI