KRISHAN MURARI KYUN KAHA JATA HAI
श्री कृष्ण को मुरारी क्यों कहते हैं?
कश्यप ऋषि और दिति का मुर नामक पुत्र था जो कि असुर था। उसने देवताओं के साथ युद्ध किया जिसमें देवता जीत गए और असुर बलहीन हो गए।
दुर दैत्य मृत्यु पर विजय पाने के लिए ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या किया।
उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे वर मांगने के लिए कहा। मुर दैत्य ने ब्रह्मा जी से वरदान मांगा कि वह जिस को भी छुए उस की मृत्यु हो जाए।
वरदान के प्रभाव से वह स्वयं को बहुत शक्तिशाली समझने लगा।हर कोई उससे लड़ने से डरता था। उसने देवराज इन्द्र को भी स्वर्ग से भगा दिया और स्वयं स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।
वह मृत्यु के देवता यमराज के पास युद्ध करने के लिए गया। यमराज कहने लगे कि मुझ में तुम्हारे साथ युद्ध लड़ने की शक्ति नहीं है। तुमसे बैकुंठ निवासी श्री हरि ही युद्ध कर सकते हैं। मुर दैत्य श्री हरि के पास पहुंचा तो श्री हरि विष्णु कहने लगे कि मैं तुम जैसे कमजोर से युद्ध नहीं लडूंगा क्यों कि तुम्हारा दिल डर के मारे कांप रहा है। मुर दैत्य ने जैसे ही अपने दिल पर हाथ रखा तो उसका शरीर धरती पर गिर गया और सुदर्शन चक्र से प्रभु ने उसका सिर काट दिया। इस प्रकार दैत्य के नाश होने पर देवता प्रसन्न हो गए और श्री हरि की प्रशंसा करने लगे।
भगवान श्री कृष्ण विष्णु भगवान के ही एक अवतार इस लिए उन्हें मुरारी भी कहा जाता हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मुर दैत्य का वध कर दिया। इस प्रकार मुर दैत्य का संहार कर दिया । श्री कृष्ण मुर दैत्य का नाश करने के कारण मुरारी कहलाएं।
एक बार देवराज इन्द्र ने भगवान श्री कृष्ण से विनती की कि प्रागज्योतिषपुर के दैत्यों के राजा भौमासुर के अत्याचारों से सभी देवता त्रस्त हो चुके हैं।
उसने वरूण का छत्र, आदित्य के कुंडल और देवताओं की मणि छीन ली है। देवराज इन्द्र श्री कृष्ण से कहने लगे कि भौमासुर ने पृथ्वी के अनेकों राजाओं की सुंदर कन्याओं को अपना बंदी बना कर रखा है। प्रभु आप उन सबकी रक्षा करें।
श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ वहां पहुंचे और सत्यभामा की सहायता से मुर दैत्य और उसके छः पुत्रों का वध कर दिया।
#कृष्ण #विष्णु #कृष्णकथाएं #श्रीकृष्ण #krishan #krishna
द्रोपदी द्वारा की गई श्री कृष्ण स्तुति
Comments
Post a Comment