LALACH - GREED लालच

        ।। लालच बुरी बला है।।


लालच , लोभ , लालसा, लोलुपता एक ऐसी अवधारणा है जिसमें किसी चीज को बहुत अधिक पाने की चाह करते हैं।लालच करने से भले ही हमें पहले लाभ हो लेकिन अंत में लालच से नुकसान होता है।बहुत बार ऐसा होता है जब व्यक्ति ज्यादा के लालच में उसके पास जो पहले से बेहतरीन है उसे भी गंवा देते हैं।

"लालच बुरी बला है"प्रेरणादायक कहानी 

एक बार एक व्यक्ति को जंगल में एक संत मिले। उसने संत को प्रणाम किया और उसके पास जो खाने के लिए रोटियां थी उसमें से संत को भी खिलाई।

संत ने उसे प्रसन्न होकर चार दीपक दिए और कहा की पहला दिया जला कर पूर्व दिशा की ओर जाना और जहां दीपक बुझ जाए वहां ज़मीन खोद लेना। तुमको वहां ज़मीन में गाड़ हुआ धन मिलेगा। ऐसा ही तुम पश्चिम दिशा में करना और उत्तर दिशा में करना।

लेकिन भुल कर भी दक्षिण दिशा वाला दीपक जलाकर वहां मत जाना। संत उसे समझाकर आपने रास्ते चले गए।

वह व्यक्ति सबसे पहले दीपक जलाकर पूर्व दिशा में गया और जहां दीपक बुझ गया वहां खोदने पर उसे चांदी के सिक्कों से भरा घड़ा मिला। जिससे वह बहुत उत्सुक हो गया कि चल कर देखता हूं कि पश्चिम दिशा में धन का कौन सा खजाना मुझे मिलेगा ?

उस धन को वहां गाड़ कर कि इसे में बाद में आकर ले जाऊंगा । वह व्यक्ति पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा और जहां दीपक बुझ गया वहां खोदने पर उसे सोने के सिक्के और आभूषणों से भरा सन्दूक मिला। अब तो वह खुशी के मारे पागल हुआ जा रहा था।

अब उसे जिज्ञासा हुई कि चल कर देखता हूं कि उत्तर दिशा में कौन सा खजाना मेरा इंतजार कर रहा है। उत्तर दिशा में जहां दीपक बुझ गया वहां खोदने पर उसे हीरे-जवाहरात से भरा सन्दूक मिला। 

इतना सारा धन एक साथ मिलने पर भी उसके मन की लालसा शांत‌ न हुई। उसके मन में विचार आया कि अब दक्षिण दिशा की ओर जाना चाहिए। फिर उसे संत के वचन याद आए कि भूलकर भी दक्षिण दिशा में मत जाना। लालच में वह इतना अंधा हो गया था कि सोचने लगा कि क्या पता उस दिशा में बहुमुल्य धन को जिसे संत हड़पना चाहता हो इसलिए मुझे जाने से मना किया हो । हीरे-जवाहरात को भी वहां दबाकर कि मैं बाद में आकर ले जाऊंगा वह दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा।

वह दीपक जहां बुझा वहां एक दरवाजा था। वह व्यक्ति उसे खोलकर अंदर प्रवेश कर गया। अंदर बहुत सुंदर महल था । जिसमें चारों ओर हीरे-जवाहरात जड़े हुए थे। महल में उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया तो वह सोचने लगा कि निश्चित ही यह महल अब  मेरा हो गया है। शायद उस संत की नजर भी इस महल पर होगी इस लिए ही मुझे इस ओर आने से मना कर रहे थे।

कुछ आगे जाने पर उसे एक कमरे में कुछ आहट सुनाई दी । वह उस कमरे में चला गया। वहां एक व्यक्ति चक्की चला रहा था। वह चक्की चलाने वाले से प्रश्न पूछने लगा कि आप कौन हैं? इस महल का मालिक कहां है ? आप चक्की क्यों चला रहे हैं? 

चक्की चलाने वाला व्यक्ति कहने लगा कि मैं तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर एक शर्त पर दूंगा ।  अगर तुम कुछ देर मेरे स्थान पर चक्की चलाओ।

प्रश्नों के उत्तर जानने की जिज्ञासा में उसने हामी भर दी। जब इसने चक्की चलानी शुरू की तो पहले चक्की चलाने वाला व्यक्ति उठाकर कहने लगा कि अब मैं तुम्हारे प्रश्नों के उत्तर देता हूं।

उसने कहा कि मैं भी तुम्हारी तरह लालची आदमी था। मुझे भी संत जी ने इस दिशा में आने से मना किया था लेकिन ज्यादा धन पाने के लोभ में मुझे जो पहले बहुमूल्य धन मिला था वो मैंने खो दिया।

इस महल का मालिक वहीं होता है जो चक्की चलाता है। जैसे ही चक्की चलना बंद होगी यह महल गिर जाएगा। मुझ से पहले इस महल का मालिक कोई और लालची व्यक्ति था फिर मैं तुम्हारी तरह संत की बात को नजरंदाज कर जहां आया। अब तुम्हारा लालच तुम्हें जहां ले आया। जब तुम्हारी और मेरी तरह कोई और‌ लालच में जहां आएगा वह तुम्हारे स्थान पर चक्की चलाएगा ।तब तुम जहां से मुक्त हो सकते हो । जैसे ही चक्की चलना बंद होगी महल गिर जाएगा। इस तरह उस व्यक्ति ने ज्यादा पाने की लालसा में उसे जो तीन बार बहुमूल्य खजाना मिला था उसे भी गंवा दिया।इस लिए तो लालच बुरी बला है।

#संगति #अच्छी संगति #प्रेरणादायक #शिक्षाप्रद

पढ़े लालच की प्रेरणादायक कहानी "पाप का गुरु"











Comments

Popular posts from this blog

RAKSHA SUTRA MANTAR YEN BADDHO BALI RAJA

KHATU SHYAM BIRTHDAY DATE 2023

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA