MAGH PURNIMA 2022 माघ पूर्णिमा

 MAGH PURNIMA 2022 FEBRUARY 16, WEDNESDAY माघ पूर्णिमा 2022 बुधवार 16 फरवरी 



सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। माघ मास के अंतिम दिन की तिथि को माघी पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन  भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है। माघी पूर्णिमा को पवित्र नदी में स्नान एवं व्रत, दान  का विशेष महत्व है। खासकर प्रयाग संगम पर स्नान करने का अत्यधिक पुण्यदायी माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन देवलोक से देवतागण पृथ्वी पर आते है।

 माघ माह में प्रयागराज में संगम के तट पर पूरे माह कल्पवास किया जाता है. इस दौरान गंगा स्नान और भक्ति भजन किया जाता है. भगवान विष्णु एवं मां गंगा की कृपा से पाप मिट जाते हैं, मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गलती भगवान विष्णु के चरणों के नीचे एक बिच्छू आ गया। बिच्छू ने  श्रीहरि के चरणों में डंक मार दिया लेकिन विष्णु जी के चरणों के नीचे आने से वह बिच्छू मर गया। भगवान विष्णु अपने चरणों के नीचे आए बिच्छू की मृत्यु का दुख था और डंक की अहसहनीय पीड़ा से भगवान विष्णु बैचेन थे। 

 बिच्छू के डंक का जहर औषधियों से ठीक हो गया लेकिन भगवान विष्णु स्वयं को जीव हत्या का दोषी मान रहे थे। नारदजी ने भगवान विष्णु से कहा कि आप पृथ्वी पर जाकर पवित्र गंगा में माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करें, इससे आपके मन की सारी पीड़ा दूर हो जाएगी और आपको जीव हत्या का पाप भी नहीं लगेगा।

 भगवान विष्णु भेष बदल कर माघ पूर्णिमा पर संगम तट पर स्नान करने पहुंच गए। उन्होंने वहां स्नान किया और मुनियों को दान-दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया और दोष मुक्त हुए।  ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक माघ पूर्णिमा पर श्री विष्णु स्वयं किसी न किसी रूप में गंगा स्नान करने अवश्य आते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है।

माघ पूर्णिमा का महत्व

 पूर्णिमा को पवित्र नदी में स्नान एवं व्रत, दान  का विशेष महत्व है। खासकर प्रयाग संगम पर स्नान करने का अत्यधिक पुण्यदायी माना गया है।

किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ फलदायी होता है लेकिन अगर नदी पर स्नान ना कर सके तो घर पर ही स्नान करते समय गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं.

इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए.

 भगवान सत्यनारायण की कृपा से घर में सुख समृद्धि आती है. सत्यनारायण व्रत कथा और आरती पढ़नी चाहिए . 

पूर्णिमा को भगवान शिव और चन्द्रमा का पूजन करना चाहिए.

इस दिन दान का विशेष महत्व है . ब्राह्मणों और गरीबों को दान देना चाहिए.

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