SHRI HARI VISHNU BHAGWAN विष्णु भगवान

श्री हरि विष्णु भगवान 


 त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और शिव में भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनकर्ता कहा गया है। ब्रह्मा जी सृजनकर्ता और भगवान शिव को संहारक माना जाता है। भगवान विष्णु को नारायण , जगदीश, वसुदेव, अच्युत, सत्यनारायण आदि कई नामों से जाना जाता है।

भगवान विष्णु का निवास स्थान क्षीरसागर है और वह शेषनाग पर शयन करते हैं। मां लक्ष्मी उनकी भार्या है । 

विष्णु जी अपने हाथों में शंख, चक्र ,गदा और पद्म धारण किए हुए हैं। पक्षी राज गरूड़ उनकी सवारी है।

जब भी देवताओं, सृष्टि और उनके भक्तों पर कोई संकट आया तो भगवान विष्णु ने उसका निवारण के लिए बहुत से अवतार लिये। 

भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लेकर पृथ्वी को रसातल से निकाला था। नरसिंह अवतार लेकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की, कपिल अवतार लेकर मां को ज्ञान दिया, कच्छप अवतार लेकर समुद्र मंथन में मन्दराचल पर्वत को अपनी पीठ पर स्थित किया। मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को अमृत पिलाया। श्री राम का अवतार लेकर रावण नाम के राक्षस का वध किया और  कृष्ण अवतार लेकर दुष्ट कंस का वध कर माता देवकी और पिता वसुदेव जी को कारागार से मुक्त करवाया था।

भृगु ऋषि ने जब त्रिदेवों की परीक्षा ली तो उन्होंने ने भगवान विष्णु को श्रेष्ठ कहा था।

ध्रुव, प्रह्लाद,पृथु , अजामिल, गजेंद्र उनके प्रिय भक्त माने जाते हैं जिनका श्री हरि विष्णु ने उद्धार किया।

वेदों, पुराणों में विष्णु (नारायण) नाम महिमा अनंत कहीं गई है।कहते हैं कि भगवान विष्णु की कृपा से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न हो जाती है। 

एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय तिथि मानी जाती है।वीरवार को भगवान विष्णु का प्रिय दिन माना गया है इस दिन वीरवार की आरती और कथा करनी चाहिए। भगवान विष्णु के नामों का जाप , विष्णु चालीसा और आरती करनी चाहिए।

भगवान विष्णु मोहिनी अवतार        गजेंद्र मोक्ष कथा

भगवान विष्णु नरसिंह अवतार   भगवान विष्णु वामन अवतार     

भगवान विष्णु कच्छप (कूर्मा) अवतार

श्री मन नारायण नारायण हरि हरि

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