YOGINI EKADASHI 2023 DATE VRAT KATHA SIGNIFICANCE
योगिनी एकादशी व्रत
14 JUNE 2023
योगिनी एकादशी व्रत का महत्व SIGNIFICANCE OF YOGINI EKADASHI
इस एकादशी के व्रत के करने से पापों का नाश होता है और पीपल काटने के पाप से भी मुक्ति प्राप्त होती है। किसी द्वारा मिले शाप से मुक्ति होती है। इस व्रत को करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और अंत में मोक्ष प्राप्त होता है ।
योगिनी एकादशी की कथा पढ़ने और सुनने से 88 सहस्त्र ब्राह्मणों के भोजन के बराबर पुण्य प्राप्त होता है और इस व्रत को करने से पाप नष्ट होते हैं और अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है
इस व्रत का महत्व में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि इस व्रत के प्रभाव से देवताओं के द्वारा मिले शाप से भी मुक्ति मिलती हैं।
आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष योगिनी एकादशी व्रत कथा YOGINI EKADASHI VRAT KATHA
पौराणिक कथा के अनुसार स्वर्ग लोक की अलकापुरी नगरी में राजा कुबेर का भव्य महल था। कुबेर शिव भक्त था और प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करता था । कुबेर का हेम नामक माली उसे नित्य ही पूजा के लिए मानसरोवर के फूल ला कर देता था। माली की पत्नी विशालाक्षी अप्सराओं के समान सुंदर गुणवती और पतिव्रता थी ।
हेम माली अर्ध रात्रि में फूल लेने मानसरोवर जाता और सूर्य उदय से पहले कुबेर को फूल दे देता । लेकिन एक दिन जब हेम माली दोपहर तक राजा के पास नहीं पहुंचा, तो राजा ने सेवकों को ही माली के घर पर भेजा। उन्होंने राजा को बता दिया कि माली काम के वशीभूत होकर अपनी पत्नी के साथ रमण करने में तल्लीन है ।
राजा कुबेर ने माली को बुलाकर कहा कि तुमने मेरे आराध्य देव शिवजी का अपमान किया है ।मैं तुमको श्राप देता हूं कि तुमको अपनी पत्नी से अलग रहना पड़ेगा और मृत्यु लोक में जाकर कोड़ी बनना पड़ेगा।
श्राप के कारण माली पृथ्वीलोक पहुंच गया और कोड़ी हो गया। पृथ्वी पर उसे बहुत से कष्ट सहने पड़े और बिना अन्न- जल भूखा प्यासा जंगलों में भटकता रहता ।एक दिन मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा और उनके चरणों में गिर पड़ा ।
मार्कंडेय ऋषि से उसका परिचय पूछा ।हेम माली ने बताया कि मैं कुबेर का सेवक हूं और अपनी पूरी कहानी उनको सुना दी। हेम माली ने ऋषि से अपने कष्टों से मुक्ति का उपाय पूछा।
मार्कंडेय ऋषि कहने लगे आषाढ़ मास कृष्णपक्ष की योगिनी एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेंगे तो तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे । हेम माली ने ऋषि के कहे अनुसार व्रत किया जिसके प्रभाव से वह अपने पुराने स्वरूप मैं आ गया और अलकापुरी पहुंचकर अपनी स्त्री के साथ आनंद से रहने लगा।
व्रत विधि VRAT VIDHI
एकादशी वाले दिन प्रातःकाल स्नान के पश्चात नारायण भगवान का पूजन करना चाहिए.
भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य और तुलसी पत्र अर्पित करने चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी पत्ता चढ़ाने का विशेष महत्व है.
इस दिन किए गए दान पुण्य का भी विशेष महत्व है.
भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करना चाहिए.
व्रती को फलाहार ही करना चाहिए.
रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना गया है.
द्वादशी के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के पश्चात व्रत का पारण करना चाहिए.
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