ISHWAR KYA KAR SAKTA HAI ईश्वर क्या कर सकते हैं
एक बार राजा ने अपने सबसे विद्वान मंत्री से पूछा कि मैं जानना चाहता हूं कि ईश्वर कहां रहता है, ईश्वर की दृष्टि किस ओर है, ईश्वर क्या कर सकते हैं?
मंत्री इन प्रश्नों के उत्तर नहीं जानता था इसलिए कहने लगा कि महाराज मुझे कुछ दिनों का समय दे फिर मैं आप के सवालों का जवाब दूंगा। राजा ने उसे कुछ दिनों का अवकाश दे दिया।
मंत्री ने राजा से कुछ दिनों का समय तो मांग लिया लेकिन इन प्रश्नों का उत्तर वह नहीं जानता था ।इसलिए वह हर समय चिंतित रहने लगे कि वह राजा के प्रश्नों का उत्तर कैसे देंगे ?
मंत्री को परेशान देखकर एक दिन उनके पुत्र ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने राजा द्वारा पूछे गए तीनों प्रश्न बता दिये.
मंत्री का पुत्र कहने लगा कि मैं इन सभी सवालों के जवाब जानता हूँ. आप मुझे अपने साथ राजमहल ले जाना ।
समय पूर्ण होने पर मंत्री अपने पुत्र को राजा के समक्ष ले गया और कहने लगा कि महाराज मेरा पुत्र आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देगा.
राजा ने लड़के से पहला प्रश्न किया बताओ ईश्वर कहां रहता है? लड़का कहने लगा कि महाराज पहले आप मुझे एक गिलास दूध मंगवा लो। लड़के के लिए दूध मंगवाया गया। लड़का दूध में उंगली डाल कर दूध को हिलाने लगा और उंगली निकाल कर बार- बार दूध को देखने लगा।
राजा पूछने लगा कि बेटा यह क्या कर रहे हो ? लड़का बोला कि महाराज मैंने सुना है कि दूध में मक्खन होता है ? मैं उंगली डाल कर मक्खन ढूंढ रहा हूं । लेकिन इस दूध के गिलास में तो मक्खन दिख नहीं रहा। लगता है कि आपके द्वारा मंगवाएं गए दूध में से मक्खन है ही नहीं है।
राजा मुस्कुराते हुए बोला कि ,"बेटे दूध में से मक्खन निकालने के लिए पहले उसका दही जमाना पड़ता है । उसके पश्चात दही को मथना पड़ता है फिर उसमें से मक्खन निकलता है"।
लड़का झट से बोला कि महाराज यह ही आपके पहले सवाल का उत्तर है। जैसे मक्खन दूध के अंदर ही विद्यमान होता लेकिन उसे दही जमा कर मथ कर निकाला जाता है ।वैसे ही ईश्वर सर्वत्र विराजमान है जैसे मक्खन दूध के अंदर ही होता है वैसे ही ईश्वर भी प्रत्येक जीव के अंदर ,कण कण में विद्यमान है।
ईश्वर को सच्ची भक्ति से प्राप्त किया जा सकता है। भक्ति से हमें ईश्वर की सत्ता का आभास होता है।
राजा मंत्री के पुत्र के जवाब से संतुष्ट हो गया। राजा ने अगले प्रश्न का उत्तर पूछा कि ईश्वर की दृष्टि किस ओर है। लड़का कहने लगा कि महाराज मुझे एक दीपक मंगवा दे फिर मैं आपको उत्तर दूंगा।
लड़के के लिए दीपक मंगवाया गया। लड़के ने दीपक जलाकर पूछा कि महाराज बताएं इस दीपक की रोशनी किस दिशा में जा रहीं हैं। राजा कहने लगे कि इस दीपक की रोशनी सब दिशाओं में एक समान जा रही है।
लड़का कहने लगा कि," महाराज यह है आपके दूसरे सवाल का जबाव है , ईश्वर की दृष्टि सब ओर एक समान होती है, ईश्वर की दृष्टि सब के कर्मों की़ ओर एक समान होती है, ईश्वर सब देख रहा है"।
राजा लड़के का जवाब सुनकर प्रसन्न हुए कि इतनी छोटी सी आयु में इसे कितना ज्ञान है। राजा अब अपने तीसरे और अंतिम प्रश्न का उत्तर जानने के लिए उत्सुक थे।
राजा ने अंतिम प्रश्न किया , ईश्वर क्या कर सकते हैं? लड़का कहने लगा कि महाराज अगर आपको इस प्रश्न का उत्तर जानना है तो आपको मुझे अपना गुरु बनाना पड़ेगा और एक गुरु का स्थान शिष्य से ऊंचा होता है इसलिए हमें एक दूसरे से स्थान बदलना होगा। मुझे आपके स्थान पर और आपको मेरे स्थान पर बैठना होगा।
राजा को उत्तर जानने की इतनी जिज्ञासा थी कि राजा ने उसे अपने सिंहासन पर बैठने की अनुमति दे दी और स्वयं उस लड़के के स्थान पर बैठ गया।
लड़का मुस्कराते हुए कहने लगा कि महाराज आपके अंतिम प्रश्न था कि ईश्वर क्या कर सकते हैं?
उसका उत्तर है कि ईश्वर राजा को रंक बना सकते हैं अर्थात उन्होंने आज आपको मेरे स्थान पर बैठा दिया और रंक को राजा बना सकते हैं अर्थात उन्होंने ने मुझे आज राज सिंहासन पर बैठा दिया । भगवान की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता।
मंत्री के पुत्र से अपने तीनों प्रश्नों के उत्तर सुन कर राजा संतुष्ट हो गया और उस लड़के को अपने मंत्री मंडल में सलाहकार बना दिया।
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