KAMIKA EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE

कामिका एकादशी व्रत कथा महत्व 

कामिका एकादशी 2023

13 July 

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो एकादशी आती है।  हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। श्रावम मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका या पवित्रा एकादशी कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए । कामिका एकादशी चार्तुमास की दूसरी एकादशी होती है।


Significance of Kamika Ekadashi(कामिका एकादशी महात्म)

कामिका एकादशी व्रत का महात्म भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाया था जो ब्रह्मा जी ने नारदजी को बताया था।
ब्रह्मा जी ने नारद जी को बताया कि काशी, गंगा और पवित्र नदियों पर स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वही फल कामिका एकादशी व्रत धारण करने वाले को मिलता है
सूरज और चंद्र ग्रहण के समय कुरूक्षेत्र में स्नान करने से जैसा फल प्राप्त होता है वैसा ही इस व्रत को करने से मिलता है।

इस व्रत को करने से मनोकामना पूर्ण होती है ।ब्रह्म हत्या के दोष का निवारण होता है, पापों से मुक्ति होती है ।इस एकादशी की कथा सुनने से भी वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य स्वर्ग लोक में जाता है। इस दिन दीप दान करने से स्वर्ग में पितृ अमृत पान करते हैं।

Kamika Ekadashi vrat katha (कामिका एकादशी व्रत कथा) 

SAWAN MASS KRISHNA PAKSH EKADASHI VRAT KATHA: एक गांव में क्षत्रिय रहता था। वह नेक दिल व्यक्ति था लेकिन वह बहुत क्रोधित स्वभाव का था। अपने क्रोधित स्वभाव के कारण उसकी किसी न किसी की बहस हो जाती थी। एक दिन  उसका एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया।  क्रोधित होकर उसने ब्राह्मण की हत्या कर दी। 

जिस कारण उस पर ब्राह्मण हत्या का दोष लग गया। वह उस ब्राह्मण का क्रिया करना चाहता था लेकिन उसे उसकी अंतिम क्रिया में शामिल नहीं होने दिया गया।

 उसने विद्वानों से ब्राह्मण हत्या से मुक्ति का उपाय पूछा। उन्होंने ने बताया कि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन व्रत कर भगवान विष्णु का पूजन भक्ति भाव से करने पर उसे इस पाप से मुक्ति मिल सकती है।

उसने विद्वानों द्वारा बताई गई पूजा विधि से भगवान विष्णु का पूजन किया और  विधिवत तरीके से व्रत किया जिसके प्रभाव से उसे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई


कामिका एकादशी व्रत विधि

एकादशी व्रत करने वाले व्रती को दसवीं वाले दिन सूर्यास्त के बाद सात्विक भोजन करना चाहिए और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. 

एकादशी वाले दिन प्रातःकाल स्नान के पश्चात नारायण भगवान का पूजन करना चाहिए. 

 इस दिन विष्णु भगवान के शंख, चक्र, गदा और पदम् धारी रूप की पूजा करनी चाहिए

उनके नामों का जाप, आरती पढ़ना चाहिए

भगवान को तुलसी दल अर्पित करना चाहिए क्योंकि को स्वर्ण और चांदी के दान के बराबर माना गया है

कामिका एकादशी के दिन दीप दान और रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना गया है।

द्वादशी के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के पश्चात व्रत का पारण करना चाहिए.

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