BHAGWAN VISHNU PARSHURAM AVTAR PARSHURAM AVTAR KI KATHA
भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी की कथा
BHAGWAN VISHNU PARSHURAM AVTAR/ PARSHURAM JAYANTI/ PARSHURAM RAM NE MATA KA VADH KYUN KIYA
परशुराम जी का जन्म महर्षि भृगु के पुत्र जमदग्नि के जहां मां रेणुका के गर्भ से हुआ। उन्हें भगवान विष्णु का आवेशावतार माना जाता है। उन्हें रामभद्र , भृगुवंशी, भृगुपति भी कहा जाता है
महर्षि भृगु ने उनके नामकरण संस्कार के समय उनका नाम राम रखा था। जब भगवान शिव ने परशु नाम का अस्त्र जिसे फरसा या कुल्हाड़ी कहते हैं प्रदान किया तो उनका नाम परशुराम प्रसिद्ध हुआ।
महर्षि विश्वामित्र और ऋचीक ने उन्हें शिक्षा दी। भगवान शिव ने उन्हें श्रीकृष्ण का त्रेलोक्य विजेता कवच दिया।
उन्होंने ने भीष्म ,द्रोण , और कर्ण को शस्त्र विद्या प्रदान की।
परशुराम जी द्वारा पिता के आदेश पर माता का वध करना
परशुराम जी ने अपने पिता की आज्ञा पर अपनी माता रेणुका और भाइयों का वध किया था। उनकी माता रेणुका जब एक बार हवन के लिए जल लेने गई । उन्होंने वहां पर गंधर्वराज चित्ररथ को अप्सराओं संग विहार करते देखकर वह आसक्त हो गई। हवन का समय व्यतीत हो जाने पर ऋषि ने अपने आत्म ज्ञान से सब जान लिया। ऋषि जमदग्नि ने अपनी पत्नी को मर्यादा भंग करने के कारण अपने पुत्रों को माता का वध करने की आज्ञा दी।
उनके अन्य भाइयों ने पिता की आज्ञा का पालन नहीं किया। लेकिन परशुराम जी ने पिता की आज्ञा मानते हुए अपनी माता और भाइयों का वध कर दिया। उनके पिता उनके इस कार्य से प्रसन्न हुए और उन्हें वर मांगने को कहा। परशुराम जी ने माता और भाइयों को पुनर्जीवित होने का वरदान मांगा।
हैहय वंशी क्षत्रिय कुल का 21 बार समूल नाश करना
उन्होंने ने ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था लेकिन कर्म से वह क्षत्रिय थे। उन्होंने ने अपने पिता की हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए 21 बार हैहय वंशी क्षत्रियों का समूल नाश कर दिया था।
एक बार राजा सहस्त्रार्जुन अपनी सेना सहित ऋषि जमदग्नि के आश्रम पहुंचे । उन्होंने ने राजा सहित उनकी पूरी सेना को भोजन करवाया। ऋषि के पास कामधेनु गाय थी। उसके चमत्कार को देखकर राजा बलपूर्वक गाय को ले गया।
उन्होंने ने कर्ण को ब्राह्मण समझ कर शिक्षा प्रदान की थी । लेकिन परशुराम को कर्ण के क्षत्रिय होने का ज्ञान हुआ तो उन्होंने कर्ण को शाप दिया कि जब तुम को मेरे सिखाए हुए ज्ञान की सबसे ज्यादा जरूरत होगी तुम सब भुला जाओगे।
तुलसीदास जी द्बारा रचित रामचरितमानस के अनुसार जब श्री राम ने सीता स्वयंवर में शिव जी का पिनाक धनुष तोड़ा था तो परशुराम जी श्री राम और लक्ष्मण पर बहुत क्रोधित हुए थे।
श्री राम लक्ष्मण और परशुराम संवाद
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