SHIV TANDAV STOTRA LYRICS IN SANSKRIT

शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स इन संस्कृत


SHIV TANDAV STOTRA KI RACHNA KIS NE AUR KAB KI ?(mythological Story of shiv tandav stotra)

शिव तांडव की रचना रावण ने की थी। रावण प्रकांड विद्वान पंडित था। उसने संस्कृत में शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बोला था। रावण द्वारा भगवान शिव की स्तुति किए जाने के कारण शिव तांडव स्तोत्र को रावण तांडव भी कहते हैं। शिव ताण्डव स्तोत्र में 17 श्लोंको में भगवान शिव की स्तुति गाई है। 

रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना क्यों की?

एक समय रावण कुबेर से छीने हुए  पुष्पक विमान पर सवार होकर भ्रमण पर निकला । पुष्पक विमान मन की गति से चलने वाला विमान था। रावण जब कैलाश पर्वत से निकला तो विमान की गति रुक गई। जब रावण को पता चला कि भगवान शिव और माता पार्वती की इच्छा के बिना कोई भी वस्तु कैलाश पर्वत पर प्रवेश नहीं कर सकती तो रावण ने अभिमान में  कैलाश को उठाने का प्रयत्न किया तो भगवान शिव उसका अहंकार देख अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया। जिस कारण रावण का हाथ पर्वत के नीचे आ गया।

  रावण के लिए वह पीड़ा असहनीय थी। तब रावण ने भगवान  शिव की तांडव स्तोत्र के रूप में स्तुति की । ताकि भोलेनाथ को प्रसन्न कर सके।

 

शिव ताण्डव स्तोत्र लिरिक्स

SHIV TANDAV STOTRA LYRICS

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले

गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।

डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं

चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ।।1।।


जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी

विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।

धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके

किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ।।2।।


धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर

स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।

कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि

क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ।।3।।


जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा

कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।

मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे

मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ।।4।।


सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर

प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।

भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक

श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ।।5।।


ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा

निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।

सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं

महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ।।6।।


करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल

द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।

धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक

प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ।।7।।


नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्

कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।

निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः

कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ।।8।।


प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा

वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।

स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ।।9।।


अखर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी

रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।

स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं

गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ।।10।।


जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस

द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।

धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल

ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ।।11।।


दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्

गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।

तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः

समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ।।12।।


कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ।।13।।


निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-

निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं

परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ।।14।।


प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ।।15।।


इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं

पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं

विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ।।16।।


पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं

यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।

तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां

लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः।।17।।


इति श्रीरावण कृतम्

शिव तांडव स्तोत्र सम्पूर्णम्

BENIFITS OF SHIV TANDAV STOTRA

शिव तांडव स्तोत्र के पाठ से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।  माना जाता है कि शिव तांडव स्तोत्र पढ़ने वाले को धन वैभव की कमी नहीं होती। द्ररिद्रता दूर हो जाती है।

 आत्मबल में वृद्धि होती है। शिव ताण्डव स्तोत्र पढ़ने से व्यक्तित्व निखरता है।

 जो नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र पाठ करते हैं उन्हें कालसर्प योग, पितृदोष के कारण आने वाली मुश्किलों से बहुत आराम मिलता है ।

 नृत्य, लेखन, चित्रकला, योग से जुड़े व्यक्ति  शिव तांडव स्तोत्र पढ़ कर इन विषयों में विशेष महारत हासिल कर सकते हैं। 

शिव ताण्डव स्तोत्र पढ़ने से कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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