KRISHNA STORY IN HINDI

श्री कृष्ण की कहानी 

श्री कृष्ण हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता हैं.श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते है. श्री कृष्ण को दार्शनिक, कर्मयोगी, राजनीतिज्ञ और युग पुरुष कहा जाता है. 

श्री कृष्ण का वर्णन भागवत पुराण, महाभारत, ब्रह्म वैवर्त पुराण आदि में किया गया है।


 श्री कृष्ण को बाँकेबिहारी, गिरधारी, मुरारी मोर मुकुट धारी देवकीनदंन, यशोदानंदन, वसुदेव, नंदलाल, गोविन्द, गोपाल, मुरारी, लड्डू गोपाल, कुंजबिहारी कई नामों से पुकारते है . 

 श्री कृष्ण का जन्म भाद्रमास की अष्टमी तिथि को रोहणी नक्षत्र में हुआ था.  इस लिए इस तिथि को ‌‌कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है. कृष्ण का माँ देवकी और वासुदेव के पुत्र थे।उनका जन्म कंस के कारागार में हुआ. 

देवकी कंस की बहन थी. देवकी और वसुदेव जी के विवाह के बाद जब कंस अपनी बहन देवकी की विदाई कर रहा था तो आकाशवाणी हुई की तुम्हारी बहन का आठवां पुत्र तुम्हारी मौत का कारण बनेगा. कंस तो देवकी को मारना चाहता था परंतु वसुदेव जी ने वादा किया कि वो सभी संतानों को उसे सौंप देगें, इस प्रकार उन्होंने ने देवकी की जान बचा ली।

 आठवीं संतान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ. उस समय जेल के दरवाजे अपने आप खुल गए और जेल के पहरेदार सो गए.

वासुदेव जी श्री कृष्ण को नंद और यशोदा जी की बिटिया योग माया से बदल लाए. जब कंस ने योग माया को मारने का प्रयास किया तो योग माया ने कंस को बता दिया तुम्हे मारने वाला गोकुल में पैदा हो गया है और यह कह कर योग माया गायब हो गई. कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए पूतना, शकटासुर और तृणावर्त राक्षसों को गोकुल में भेजा. महर्षि गर्ग ने श्री कृष्ण का नामकरण संस्कार किया।

उसके पश्चात जब नंद बाबा कंस द्वारा भेजे गए राक्षसों से तंग आ गए गोकुल छोड़ कर वृन्दावन की पावन भूमि पर चले गए। कंस ने वहां भी वत्सासुर, बकासुर, और अघासुर नामक राक्षसों को भेजा जिनका श्री कृष्ण ने वध किया।

श्री कृष्ण ने नंद बाबा और माँ यशौदा को बहुत सी बाल लीला दिखाई. माँ को ब्रह्माण्ड दिखाना,  यमलार्जुन वृक्षों का उद्धार, कालिया नाग का दमन, गोवर्धन पर्वत उठाना , गोप सखाओं के साथ मिलकर माखन चोरी करना.

 कंस को जब पता चल गया कि श्री कृष्ण और बलराम वसुदेव के पुत्र है तो उसनें उन दोनों को मथुरा बुला लिया. वहां कंस वध कर श्री कृष्ण ने मथुरा वासियों को कंस के अत्याचार से मुक्त करवाया और अपनी माँ देवकी और पिता वसुदेव को कारावास से निकाला.

फिर श्री कृष्ण को ऋषि  सांदीपनि के आश्रम उज्जैन में दे भेज दिया . वही पर उनकी सुदामा से मित्रता हुई थी . 

सांदीपनि ऋषि ने दोनों को वेद पुराण की शिक्षा के साथ-साथ धनुर्विद्या ,राजनीतिक शास्त्र, गणित शास्त्र आदि  की विद्या दी. श्रीकृष्ण की स्मरण शक्ति इतनी तेज थी .माना जाता है कि उन्होंने 64 दिन सांदीपनि ऋषि के आश्रम में रह कर 64 दिनों में 64 विद्याएँ और 16 कलाएं सीख ली थी. उनके गुरु सांदिपनि ऋषि ने गुरु दक्षिणा में समुद्र की लहरों में डुब चुके अपने पुत्र को मांगा था. उनके गुरु ने उन्हें जगत गुरु की संज्ञा दी थी.

श्री कृष्ण ने द्वारका नगरी की स्थापना की और द्वारकाधीश कहलाये. उनकी 8 पटरानियां -रुक्मिणी, सत्यभामा, जांबवती, मित्रवृन्दा, सत्या, भद्रा, लक्ष्मणा और कालिंदी थी.

प्रद्युम्न, साम्ब और अनिरुद्ध उनके पुत्र थे.

पांडव श्री कृष्ण को अपना परम मित्र मानते थे. महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण ने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई थी. जब अर्जुन अपने प्रिय जनों को सामने देख युद्ध नहीं करना चाहता था तब श्री कृष्ण ने उसे भगवत गीता का उपदेश दिया. 

भगवत गीता में मानव जीवन के हर एक पहलू के बारे में बताया गया है. जो बातें आज से 5000 पहले सार्थक थी, उतनी ही आज के समय में भी है. गीता में 18 अध्याय हैं और 700 श्लोक हैं.

जब पांडव महाभारत युद्ध के द्वौरान दुर्योधन के मित्र अश्वत्थामा ने द्रोपदी के पांचों पुत्रों को मार दिया और अभिमन्यु की गृभवती पत्नी उत्तरा के गर्भ पर ब्रह्म अस्त्र चला दिया था। श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा द्वारा उत्तरा के गर्भ पर चलाएं गए ब्रह्म अस्त्र से परीक्षित का गर्भ में रक्षण किया था.श्री कृष्ण ने अपने जीवन काल में बहुत से चमत्कार किये।

राधा रानी श्री कृष्ण की सखी और उपासिका थी. राधा रानी को कृष्ण वल्लभा कहा गया है. वह श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी है

राधा रानी के बिना श्री कृष्ण की पूजा अर्चना अधूरी मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि राधा रानी की कृपा प्राप्त होने पर श्री कृष्ण की कृपा स्वत: प्राप्त हो जाती है.

श्री कृष्ण नाम की महिमा अपरम्पार है। मथुरा, वृन्दावन, द्वारिकाधीश, बृज, आदि प्रमुख तीर्थ स्थल है. भक्त उन्हें प्रसन्न करने हेतु कृष्ण चालीसा, कृष्ण आरती, श्री कृष्ण के नाम जप करते हैं।

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