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Showing posts from April, 2022

TUM NAHI KAR SAKTE तुम नहीं कर सकते

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TUM NAHI KAR SAKTE-MOTIVATIONAL STORIES  तुम नहीं कर सकते -प्रेरणादायक प्रसंग जीवन में सफल होना है तो किसी दूसरे की तरफ़ मत देखो, मत सुनो कि वह नहीं कर पाया तो क्या मैं सफल हो पाऊंगा? क्योंकि हर व्यक्ति की किसी काम को करने की क्षमता अलग अलग होती है। जरूरी नहीं जो पहले कोई नहीं कर पाया वो कोई और ना कर पाये।  जब कोई बोले "तुम नहीं कर सकते" तब ऐसे व्यवहार करो कि जैसे तुमने कुछ सुना ही नहीं। ताकि जब तुम कर दिखाओ तो उन्हें लगे अच्छा हुआ जब मैंने कहा था-" तुम नहीं कर सकते" उस दिन इसने कुछ सुना नहीं"। जीवन में सफल होना है तो उन नकारात्मक सोच वाले लोगों से दूर रहें जो सदैव यही कहते हैं" तुम नहीं कर सकते"। MOTIVATIONAL STORIES एक बार दो मेंढक दही के बर्तन में गिर गये। अब दोनों को लग रहा था कि बचना मुश्किल है क्योंकि उन्हें पानी से तो निकलना आता था लेकिन दही के बर्तन से निकलने का कोई ज्ञान नहीं था। दोनों निकलने की कोशिश करने लगे लेकिन सफल नहीं हो पा रहे थे। जो उनके साथी बाहर थे वह टर्र टर्र कर रहे थे कि तुम नहीं निकल पाओंगे । एक मेंढक ने तो हार मान ली और वह डूब

AHANKAR (EGO) KYUN NAHI KARNA CHAHIYE MORAL STORIES अहंकार

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  AHANKAR (EGO) - MORAL STORIES IN HINDI  अहंकार की प्रेरणादायक /शिक्षाप्रद कहानियां  अहंकार एक ऐसा भाव है जिसमें हम जो भी कार्य करते हैं हमें लगता है कि हम उसमें सर्वश्रेष्ठ है। अहंकारी व्यक्ति को लगता है कि वह बहुत महत्वपूर्ण है उससे श्रेष्ठ कोई नहीं है। अहंकार किसी भी कार्य का हो सकता है ज्यादा दान पुण्य करने का, ज्यादा धन सम्पत्ति का , किसी कार्य में दक्ष होने का, उच्च कुल का और अधिक शिक्षित होने का।  अहंकारी व्यक्ति को अपने अवगुण नहीं दिखते और दूसरों की अच्छाई नहीं दिख पाती। अहंकार व्यक्ति को एहसास ही नहीं होने देता कि वह ग़लत है। हिरण्यकश्यप , रावण और कंस सबके पतन का कारण उनका अहंकार ही था। सभी असीम शक्तियां प्राप्त कर स्वयं को ईश्वर ही समझ बैठे थे। राजा बलि को दान का अहंकार अधिक दान पुण्य करने पर राजा बलि को अहंकार हो गया था कि मैं तीनों लोकों का स्वामी हूं मुझ से बड़ा कोई दानवीर नहीं हो सकता। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दो पग में पूरी पृथ्वी माप कर राजा बलि के अहंकार को चूर - चूर किया था। जब वामन भगवान ने राजा बलि की दानवीरता के बारे में पता चला तो वह राजा बलि के पास पह

SWAMI VIVEKANAND'S MOTIVATIONAL STORIES

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स्वामी विवेकानंद के जीवन की प्रेरणादायक शिक्षाप्रद कहानियां      लक्ष्य पर ध्यान क्रेन्द्रित करो एक बार एक व्यक्ति स्वामी विवेकानंद के पास आया और कहने लगा कि स्वामी जी," मैं बहुत परिश्रम करता हूं सब कार्य मन लगाकर करता हूं । लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिलती। मुझे कोई ऐसा समाधान बताएं जिससे मुझे सफलता प्राप्त हो"।  स्वामी विवेकानंद जी कहने लगे कि," तुम पहले एक काम करो मेरे कुत्ते को एक बार बाहर घुमाकर लाओ तब तक मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर ढूंढता हूं "। कुछ समय के पश्चात वह व्यक्ति जब वापस आया तो कुत्ता बहुत हांफ  रहा था। स्वामी विवेकानंद जी  उससे पूछने लगे कि तुम तो एक दम शांत लग रहे लेकिन यह मेरा कुत्ता क्यों इतना हांफ रहा है?  उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि स्वामी जी मैं तो अपने मार्ग पर सीधा चल रहा था परन्तु यह कुत्ता जिस भी चीज को देखता उधर दौड़ पड़ता था। इसलिए यह इतना हांफ रहा है और थका हुआ है। स्वामी जी कहने लगे कि यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है। तुम्हारी सफलता की मंजिल तुम्हारे सामने होती है लेकिन तुम भी दूसरों की देखा- देखी इधर - उधर भागने रहते हो। इसलिए तुम सफल

SAWAN PUTRDA EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE IN HINDI

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 सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कथा श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। संतान प्राप्ति की कामना करने वाले भक्तों को पुत्रदा एकादशी व्रत आवश्यक करना चाहिए। इस व्रत को करने से पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है एक बार पुत्रदा एकादशी पौष मास में और दूसरी बार श्रावण मास में आती है।पौष मास में आने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी और श्रावण मास में आने वाली एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते है । SIGNIFICANCE OF PUTRADA EKADASHI श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत महात्म्य संतान सुख की इच्छा रखने वाले दम्पत्ति को यह व्रत जरुर करना चाहिए। इस व्रत के महात्म्य को सुनने पढ़ने से भी पापों का नाश होता है। इस व्रत की कथा को सुनने पढ़ने से वाजपेय‌ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा.      (  SAWAN PUTRADA EKADASHI VRAT KATHA) द्वापर युग में महिष्मती राज्य में महीजित नामक एक राजा था। राजा महीजित का कोई पुत्र नहीं था। पुत्र प्राप्ति के लिए उसने बहुत से दान, पुण्य, यज्ञ और बहुत से उपाय किये लेकिन फि

VISHNU CHALISA LYRICS IN HINDI

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 भगवान विष्णु चालीसा लिरिक्स इन हिन्दी           भगवान विष्णु त्रिदेवों ब्रह्मा‌‌ विष्णु और महेश में से एक है। श्री हरि विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता है। भगवान विष्णु को भक्त वत्सल कहा जाता है। जो भक्त श्रद्धा भाव से उनका नाम जप करता है भगवान विष्णु उनके कष्टों को दूर करते हैं। दिनों में बृहस्पति के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है और तिथियों में एकादशी तिथि श्री हरि विष्णु को विशेष प्रिय मानी गई हैं। इसलिए बृहस्पति के दिन और एकादशी तिथि को जो विष्णु चालीसा पाठ करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।              श्री विष्णु चालीसा        दोहा विष्णु सुनिए विनय सेवक की चित्तलाय। कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।।      चौपाई नमो विष्णु भगवान खरारी।  कष्ट नशावन अखिल बिहारी।। प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी।। सुन्दर रूप मनोहर सूरत।  सरल स्वभाव मोहनी मूरत।। तन पर पीतांबर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत।। शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे।। सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे।। संतभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गं

RAGHUPATI RAGHAV RAJA RAM BHAJAN LYRICS IN HINDI

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 रघुपति राघव राजा राम भजन लिरिक्स इन हिन्दी  रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम। रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम।। कौशल्या  के  प्यारे राम ,  दशरथ राज दुलारे राम।। जन जन के हितकारी राम। पतित पावन सीताराम।। जब जब होय धर्म की हानी। बाढ़हि असुर महा अभिमानी।। तब तब प्रगट भये प्रभु राम।पतित  पावन  सीताराम।।१।। एक बार उमा गई शिव पाहिं। राम कथा पर रुचि मन माहीं।  पुलकित हो कहते शिव धाम ।पतित पावन सीताराम।।२।। एक बार जननी अन्हवाए। करि सिंगार पालना पोढ़ाये।।  अद्भुत दृश्य दिखाये राम ।पतित पावन सीताराम।।३।।  भोजन करे बोल जब राजा । नहिं आवत तजि बाल समाजा।  शिशु लीला करते प्रिय राम।   पतित  पावन सीताराम।।४।। गुरु गृह पढ़न गये रघुराई ।अल्प काल सब विद्या आई ।। चौदह विद्या जाने राम। पतित पावन सीताराम ।।५।। महामुनि  विश्वामित्र आए। राजा दशरथ को जांचन आए।। मुनि मांगे लक्ष्मण और राम ।  पतित  पावन सीताराम।।६।। वन मं जात ताड़का मारी। मुनि के यज्ञ करी रखवारी ।। अहिल्या पार उतारी राम।  पतित पावन   सीताराम।।७।। जाय जनकपुर शिव धनुष तोड़ा। राजाओं के गर्व को तोड़ा।। सीता जयमाल पहनाई राम । पतित  पावन

HANUMAN JAYANTI 2024 DATE SIGNIFICANCE KATHA MANTAR

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हनुमान जयंती 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं हनुमान जयंती चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में  हनुमान जयंती 23 अप्रैल मंगलवार को पूर्णिमा तिथि को मनाई जाएगी। कुछ क्षेत्रों में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भी हनुमान जयंती मनाई जाती है। हनुमान जयंती एक साल में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जी को भगवान शिव के 11 वें रुद्र अवतार माना जाता है . हनुमान जी के पिता वानर राज केसरी और माता का नाम अंजना था. हनुमान जी को केसरी नंदन, पवनपुत्र, संकट मोचन और बजरंग बली कहा जाता है. हनुमान जी बल और बुद्धि के धाम है. माता सीता ने उन्हें अष्ट सिद्धी   और नौ निधि के दाता होने का वरदान दिया. हम हनुमान जी के जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं। HANUMAN JI JANAM KATHA(हनुमान जी जन्म कथा)  हनुमान जी माता का नाम अंजनी और पिता का नाम केसरी था। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए श्रृंगी ऋषि को बुलाकर पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया तो अग्निदेव हाथ में चरू हविष्यान्न (खीर)लेकर प्रकट हुए।  उन्होंने राजा से कहा कि आप जैसा उचित समझे वैसे इसे अपनी

MOTHER'S DAY QUOTES IN HINDI

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मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं  MOTHER'S DAY 2024  SUNDAY, 12 MAY   मातृ दिवस माँ को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। मदर्स डे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था। इस बार मदर्स डे 14 मई रविवार को मनाया जाएगा। मदर्स डे पर अपनी माँ को गिफ्ट और ग्रिटिन कार्ड देते हैं, कुछ लोग केक काटते हैं। यह सब कुछ करने का एक ही मंतव्य होता है माँ को स्पैशल महसूस करवाना। मां को बधाई संदेश, शुभकामनाएं, भेजी जाती है। BEST MOTHER'S DAY QUOTES/IMAGES/WISHES/बधाई संदेश मदर्स डे बधाई संदेश शुभकामनाएं संसार में मां के सिवा कोई दूसरा धैर्यवान और सहनशील नहीं  है .                             - स्वामी विवेकानंद छोटे बच्चों के होठों और दिलों में बसा हुआ ईश्वर का नाम है .                       विलियम मेक पीस      यकीनन मेरी मां मेरी चट्टान है .                          एलिसिय  कीज भगवान सभी जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने मां बनाई.                             रुडियाड किपलिंग माँ , वह है जो अन्य सभी की जगह ले सकती है लेकिन एक माँ की जगह कोई नहीं ले सकता। माँ बच्चे की पहली मित्र, गुरु और स्कूल होती है। मैं

SHRI KRISHAN ARJUN KE SARTHI BANE

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 Mahabharat story: श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी क्यों बने  Lord Krishna and Arjuna: जब महाभारत युद्ध सुनिश्चित हो गया तो अर्जुन और दुर्योधन दोनों श्री कृष्ण के पास पहुंचे। श्री कृष्ण कहने लगे कि एक तरफ मेरी एक अक्षौहिणी नारायणी सेना है और दूसरी और मैं। मैं इस युद्ध में शस्त्र नहीं उठाऊंगा। दुर्योधन ने श्री कृष्ण की सेना का चयन किया और अर्जुन ने श्री कृष्ण को चुना। दुर्योधन को लगा कि श्री कृष्ण बिना सेना के निहत्थे पांडवों की क्या सहायता कर पाएंगे? श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अपने लिए अर्जुन के सारथी बनने की भूमिका का चयन किया। श्री कृष्ण ने अर्जुन के सारथी की भूमिका के साथ - साथ महाभारत युद्ध की पटकथा लिखने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।  श्री कृष्ण ने युद्ध से पहले अर्जुन को भगवती दुर्गा से आशीर्वाद लेने को कहा ताकि मां दुर्गा के आशीर्वाद से पांडवों को विजय सुनिश्चित हो सके। श्री कृष्ण ने अर्जुन को कहा कि तुम अपने झंडे की ध्वजा पर आरूढ़ होने के लिए हनुमान जी का आह्वान करो क्यों कि हनुमान जी अजेय है। अर्जुन के आह्वान पर ही इसलिए हनुमान जी अर्जुन के ध्वज पर विराजमान हुएं।  श्री कृष्

SANT KA AASHIRWAD संत का आशीर्वाद

 आशीर्वाद का हिन्दू धर्म में विशेष स्थान है। हमारे माता पिता, गुरु , घर के बड़े बुजुर्ग, और संत- महात्मा आशीर्वाद देकर  हमारे जीवन के लिए मंगल कामना करते हैं और हमारे जीवन से जुड़ी सारी अशुभता को रहने के लिए दुआ करते हैं। संत के आशीर्वाद का प्रसंग एक बार नारद जी नारायण- नारायण जपते पृथ्वी लोक से जा रहे थे तो एक स्त्री उन्हें रास्ते में मिली। वह स्त्री नारद जी से कहने लगी कि नारद जी अब जब आप विष्णु भगवान से मिलने जाए तो उनसे मेरे एक सवाल का जवाब जरूर पूछना कि मुझे संतान उत्पत्ति कब होगी? नारदजी विष्णु के बैकुंठ धाम पहुंचे तो भगवान विष्णु को प्रणाम कर उस स्त्री द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब प्रभु से मांगने लगे। भगवान विष्णु कहने लगे कि नारद जी उस स्त्री के भाग्य में औलाद का सुख नहीं है। नारद जी ने उस स्त्री को जाकर भगवान विष्णु का उत्तर बता दिया। यह सुनकर स्त्री विलाप करने लगी। नारद जी चुपचाप अपने लोक चले गए। एक दिन उस स्त्री के गांव में एक संत जी आएं । उन्होंने उस औरत से खाने के लिए भोजन मांगा । औरत ने पूरे श्रद्धा भाव से संत को भोजन करवाकर संतुष्ट किया। संत जी ने उसे नेक संतान उत्पत्ति