TUM NAHI KAR SAKTE तुम नहीं कर सकते
TUM NAHI KAR SAKTE-MOTIVATIONAL STORIES
तुम नहीं कर सकते -प्रेरणादायक प्रसंग
जीवन में सफल होना है तो किसी दूसरे की तरफ़ मत देखो, मत सुनो कि वह नहीं कर पाया तो क्या मैं सफल हो पाऊंगा? क्योंकि हर व्यक्ति की किसी काम को करने की क्षमता अलग अलग होती है। जरूरी नहीं जो पहले कोई नहीं कर पाया वो कोई और ना कर पाये।
जब कोई बोले "तुम नहीं कर सकते" तब ऐसे व्यवहार करो कि जैसे तुमने कुछ सुना ही नहीं। ताकि जब तुम कर दिखाओ तो उन्हें लगे अच्छा हुआ जब मैंने कहा था-" तुम नहीं कर सकते" उस दिन इसने कुछ सुना नहीं"।
जीवन में सफल होना है तो उन नकारात्मक सोच वाले लोगों से दूर रहें जो सदैव यही कहते हैं" तुम नहीं कर सकते"।
MOTIVATIONAL STORIES
एक बार दो मेंढक दही के बर्तन में गिर गये। अब दोनों को लग रहा था कि बचना मुश्किल है क्योंकि उन्हें पानी से तो निकलना आता था लेकिन दही के बर्तन से निकलने का कोई ज्ञान नहीं था। दोनों निकलने की कोशिश करने लगे लेकिन सफल नहीं हो पा रहे थे। जो उनके साथी बाहर थे वह टर्र टर्र कर रहे थे कि तुम नहीं निकल पाओंगे । एक मेंढक ने तो हार मान ली और वह डूब कर मर गया।
लेकिन दूसरा अपने पांव दही में चलाता रहा लगातार निकलने की कोशिश करता रहा। उसकी मेहनत रंग लाई और ज्यादा हिलने के कारण दही से मक्खन निकाल आया और जिस से मेंढक फूदक कर बर्तन से बाहर आ गया। जब बाकी सब को लग रहा था कि यह बर्तन से बाहर नहीं आ पाएगा उसने किसी की नहीं सुनी और अपनी ही धुन में वह प्रयास करता रहा और सफल भी हो गया।
पढ़ें एक प्रेरणादायक प्रसंग
एक बार एक गांव में राजू और दीपू नाम के दो पक्के मित्र थे । राजू की आयु 7 साल और दीपू की आयु 12 वर्ष थी। सात साल वाला राजू दुबला - पतला और 12 साल वाला बच्चा हष्ट- पुष्ट था।
एक बार दोनों खेलते - खेलते जंगल में पहुंच गए। दोनों को प्यास लगी तो जंगल में उन्हें एक कुआं दिखा तो वहां पानी पीने चले गए। लेकिन पानी निकालते - निकालते 12 साल वाला बच्चा कुएं में गिर गया। अब राजू अपने मित्र की मदद के लिए इधर- उधर भागने लगा। जोर -जोर से चिल्लाने लगा लेकिन जंगल में कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आया।
अब राजू सोचने लगा कि अब जो भी करना है मुझे ही करना है। उसने कुएं में बाल्टी लटकाई और अपने मित्र को कहा तुम इसे पकड़ कर ऊपर आ जाओ। दीपू ने बाल्टी पकड़ ली और राजू अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे खिंचने लगा। बहुत जद्दोजहद के बाद राजू ने दीपू को ऊपर खींच लिया।
ऊपर आकर दीपू ,राजू के गले लगकर बहुत रोया। अब दोनों गांव वापस लौट गये और वहां अपने अपने परिवार वालों को उनके साथ हुएं हादसे के बारे में बताया लेकिन कोई भी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था कि इतने दुबले पतले राजू ने अपने से लगभग दुगने दीपू को कैसे कुएं से निकाला हो सकता है ? उन्हें लगा कि बच्चे ऐसे ही झूठी कहानी सुना रहे हैं।
बात धीरे - धीरे गांव के स्कूल शिक्षक तक पहुंच गई। सभी लोग कहने लगे कि आप तो पढ़ें लिखे और समझदार है। आपको क्या लगता है कि बच्चे झूठ बोल रहे हैं या सच बोल रहे हैं?
स्कूल के शिक्षक का उत्तर सुनकर सब हैरान हो गए। शिक्षक कहने लगे कि," मुझे विश्वास है कि दोनों बच्चे सच बोल रहे हैं। मैं मानता हूं कि राजू दुबला- पतला है उसके लिए अपने से ज्यादा वजनी मित्र को उठाना मुश्किल था लेकिन नामुमकिन नहीं था"।
उस समय राजू ने अपने विवेक से काम लिया। राजू को उस समय इस दायरे में बांधने वाला कोई नहीं था कि "तुम से ना हो पायेगा" या फिर "तुम नहीं कर सकते"। कई बार हम अपने आसपास वालों की बातें सुन कर स्वयं को एक दायरे तक सीमित कर लेते हैं और अपनी क्षमता को पहचान नहीं पाते। इस लिए मुझे पूर्ण विश्वास है कि दोनों बच्चे सच बोल रहे हैं। अपने शिक्षक का उत्तर सुनकर दोनों बच्चों के चेहरे पर संतोष का भाव था कि किसी ने तो हमारे साथ हुई घटना को सत्य माना।
स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक प्रसंग
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