SWAMI VIVEKANAND'S MOTIVATIONAL STORIES
स्वामी विवेकानंद के जीवन की प्रेरणादायक शिक्षाप्रद कहानियां
लक्ष्य पर ध्यान क्रेन्द्रित करो
डर का सामना करो
मां के सिवाय कोई दूसरा धैर्यवान और सहनशील नहीं है।
एक बार स्वामी विवेकानंद से किसी ने प्रश्न किया कि "संसार में मां की इतनी महिमा क्यों गई है "? स्वामी जी ने उसे 5 किलो का एक पत्थर लाने को कहा. वह व्यक्ति स्वामी जी के आदेश पर पत्थर ले आया. स्वामी जी ने कहा कि तुम इस पत्थर को तुम 24 घंटे तक अपने पेट पर कपड़े से बांंध कर रखो और उसके बाद आना मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दे दूंगा .
वह व्यक्ति शाम तक उस पत्थर को पेट के साथ बांधकर थक चुका था . अब पत्थर का बोझ और सहना उसके मुश्किल हो चुका था. इसलिए वह स्वामी जी के पास गया . वह कहने लगा कि स्वामी जी ,"एक प्रश्न के उत्तर के लिए मैं इस पत्थर को और अधिक समय पेट पर नहीं बांध सकता".
स्वामी जी ने उत्तर दिया कि, "एक माँ 9 महीने तक बिना किसी शिकायत पेट में अपने शिशु को पालती है . सारे परिवार का काम भी बिना किसी परेशानी के करती है" . इसलिए संसार में मां के सिवाय कोई दूसरा धैर्यवान और सहनशील नहीं है. इसलिए माँ के जैसा संसार में दूसरा कोई भी नही है।
अपनी भाषा के सम्मान का प्रसंग
स्वामी विवेकानंद अपनी संस्कृति से जुड़ी चीजों के साथ उनका लगाव मातृ भाव जैसा था. हिंदी भाषा को अपनी मां के समान सम्मान देते थे.
उनके जीवन से जुड़ा ऐसा एक प्रसंग पढ़े.-स्वामी विवेकानंद एक बार विदेश गए .उनसे किसी ने अपनी सभ्यता के अनुसार 'हेलो 'कहा उसके जवाब में स्वामी जी ने हाथ जोड़कर' नमस्ते 'कहा. उन सज्जन को लगा शायद स्वामी जी को अंग्रेजी नहीं आती.तब उन्होंने हिंदी में पूछा ,"आप कैसे हैं ".स्वामी जी ने जवाब दिया ,"आई एम फाइन थैंक यू ".
उन को बहुत आश्चर्य हुआ.फिर उसने पूछा कि जब इंग्लिश में मैंने पूछा तो आपने जवाब हिंदी में दिया .लेकिन जब मैंने हिंदी में पूछा आपने जवाब इंग्लिश में दिया इसका क्या कारण है.
स्वामी जी ने उसका जो जवाब दिया वह लाजवाब था ."उन्होंने कहां जब आप अपनी मां का सम्मान कर रहे थे तब मैं अपनी मां का सम्मान कर रहा था .जब आपने मेरी मां का सम्मान किया तब मैंने आपकी मां का सम्मान किया" स्वामी विवेकानंद अपनी भाषा को अपनी मां के समान समझते थे.
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