PARIVARTNI EKADASHI VRAT KATHA SIGNIFICANCE
भाद्रपद मास परिवर्तिनी एकादशी 2023
25 September 2023
वामन एकादशी महत्व
परिवर्तिनी/वामन एकादशी व्रत कथा
भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण कर राजा बलि के पास पहुंचे। राजा बलि ने उनको आसन प्रदान कर पूजन किया . राजा बलि कहने लगे कि आप मुझे आज्ञा करें मेरे पास अपार धन वैभव है आप मुझे जो आज्ञा देंगे मैं उसे पूर्ण करने की क्षमता रखता हूं।
वामन भगवान कहने लगे कि मुझे केवल तीन पग के बराबर भूमि चाहिए । चाहे आप तीनो लोकों के स्वामी है ,मैं आपसे और कुछ नहीं चाहता ।
राजा बलि ने हाथ में जल लेकर तीन पग भूमि देने का संकल्प किया। भगवान विष्णु ने अपने त्रिविक्रम रूप को बढ़ा कर दिया और दो पग में पूरी पृथ्वी और स्वर्ग लोक को माप लिया। वामन भगवान कहने लगे कि राजन् अब मैं तीसरा पग कहा पर रखूं? राजा बलि ने अपना सिर झुका दिया और भगवान ने अपना पैर उस के सिर पर रख दिया।
उसकी विनम्रता देखकर भगवान ने उसे पाताल लोक का स्वामी बना दिया। उसने भगवान से सदैव उसके निकट रहने की प्रार्थना की। भाद्रपद शुक्ल पक्ष परिवर्तिनी एकादशी के दिन बलि के आश्रम में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की गई और दूसरी क्षीरसागर में शेषनाग की पीठ पर हुई।
एक व्रत विधि
एकादशी वाले दिन प्रातःकाल स्नान के पश्चात नारायण भगवान का पूजन करना चाहिए.
इस दिन विष्णु भगवान के शंख, चक्र, गदा और पदम् धारी रूप की पूजा करनी चाहिए।
भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य और तुलसी पत्र अर्पित करने चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी पत्ता चढ़ाने का विशेष महत्व है.
इस दिन किए गए दान पुण्य का भी विशेष महत्व है.
भगवान कृष्ण के मंत्रों का जप करना चाहिए. गीता का पाठ करना चाहिए.
व्रती को फलाहार ही करना चाहिए.
रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना गया है.
द्वादशी के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के पश्चात व्रत का पारण करना चाहिए.
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