SAKTASUR, TRINAVART RAKSH VADH शकटासुर और तृणावर्त वध
श्री कृष्ण द्वारा शकटासुर राक्षस वध कथा mythology story in hindi
श्री कृष्ण ने जब पुतना का वध कर दिया तो कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए शकटासुर नामक राक्षस को भेजा जो श्री कृष्ण का वध करने आया था। शकटासुर छकड़े में प्रवेश कर शत्रु को मारने में निपुण था। एक दिन श्री कृष्ण को अकेले पाकर शकटासुर नामक राक्षस उनके पालने में आकर बैठ गया।
शकटासुर जैसे ही श्री कृष्ण का वध करने के लिए आगे बढ़ा उसके बोझ से शकटा टूट गया और श्री कृष्ण ने क्रुद्ध होकर उस राक्षस को लात मारकर धरती पर पटक दिया और वह मारा गया। छकड़े का टूटना सुनकर सब दौड़े । श्री कृष्ण के हाथों मारे जाने के कारण उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। मां यशोदा ने श्री कृष्ण को उठाकर अपनी छाती से लगा लिया। सभी गांव वासी मां यशोदा और नंद बाबा को बधाई देने लगे कि आपका बालक बच गया। शकटासुर का वध करने के कारण उनका नाम शकटासुर भनजन पड़ा।
श्री कृष्ण द्वारा तृणावर्त राक्षस का वध कथा
तृणावर्त राक्षस को कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजा था। तृणावर्त बवंडर का रूप धारण कर श्री कृष्ण को आकाश में लेकर उड़ गया था।
एक दिन मां यशोदा श्री कृष्ण को आंगन में टहला रही थी । सहसा भगवान इतने भारी हो गए कि मां ने उन्हें गोद से उतारना पड़ा। श्री कृष्ण तृणावर्त का आगमन जान गए थे और वह जानते थे कि तृणावर्त राक्षस बवंडर बन कर उन्हें लेकर आकाश में उड़ जाएंगा।
उसी समय तृणावर्त नामक राक्षस बवंडर बन श्री कृष्ण को आकाश में लेकर उड़ गया। तृणावर्त सोचने लगा कि आज मैं बालक का वध करके छोड़ूंगा श्री कृष्ण ने अपना वजन इतना बड़ा लिया कि तृणावर्त का वेग रूप गया। उस समय भयंकर आंधी थी मानो दिन में रात हो गई हो।
उधर मां यशोदा ने श्री कृष्ण को आंगन में ना पाकर जोर जोर से उनका नाम पुकारना शुरू किया। मां यशोदा की आवाज सुनकर ग्वाल बाल वहां आ गये और सब श्री कृष्ण का नाम पुकारने लगे।
आंधी इतनी भयानक थी कि हाथ को हाथ नहीं सूझता था सभी श्री कृष्ण को ढूंढ रहे हैं। श्री कृष्ण ने जब देखा कि सभी गोकुल वासी व्याकुल होकर उन्हें पुकार रहे हैं तो उन्होंने तृणावर्त राक्षस को बड़े वेग से घुमाकर अपने आंगन में पटक दिया जिससे राक्षस के प्राणों का अंत हो गया और आंधी समाप्त हो गई और अंधकार हट गया। सभी ने श्री कृष्ण को राक्षस की छाती पर खेलते हुए देखा। मां यशोदा ने दौड़ कर श्री कृष्ण को उठा कर गले से लगा लिया और ब्राह्मणों को बुलाकर दान दक्षिणा दीं। इस तरह श्री कृष्ण ने तृणावर्त का वध कर उसे मोक्ष प्रदान किया।
द्रोपदी द्वारा की गई श्री कृष्ण स्तुति
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