KALIYA NAAG DAMAN SHRI KRISHNA LEELA

श्री कृष्ण लीला कालिया नाग का दमन कथा 

Mahabharat story: महाभारत में श्रीकृष्ण द्वारा कालिया नाग दमन की कथा आती है। श्री कृष्ण ने वृन्दावन में बहुत सी बाल लीला की थी। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। उनमें से कालिया नाग का दमन कर श्री कृष्ण ने उसे पुनः रमणक  द्वीप भेज दिया था। कालिया नाग कद्रु और कश्यप ऋषि का पुत्र और पन्नग  जाति का नाग था .वह पहले रमणक द्वीप में रहता था . लेकिन गरुड़ राज से शत्रुता के कारण जमुना में रहने लगा .

कालिया नाग यमुना जी में निर्भय होकर क्यों रहता था ? 

 एक बार गरूड़ जी यमुना तट पर मछलियों का शिकार कर रहे थे तभी सौभरि ऋषि वहां तपस्या कर रहे थे। उन्होंने गरूड़ जी को वैसा करने से रोका लेकिन गरूड़ जी नहीं माने और एक बड़ी सी मछली को मारकर खा गए।

उस मछली के कुटुंब ने सौभरि ऋषि से विनती की । ऋषि को उन पर दया आई और उन्होंने गरूड़ को शाप दिया कि अब यदि गरूड़ जहां आएगा तो मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।‌‌सौभरि ऋषि के इस शाप के बारे में कालिया नाग जानता था इसलिए वह जहां आकर रहने लगा।  

कालिया नाग और गरूड़ जी ने शत्रुता इसलिए थी क्योंकि गरूड़ जी अपनी मां के बैर को समझ कर जो भी सांप उनके सामने आता वह सर्पों को खा जाते, कुचल देते और अगर मन भर जाता तो मारकर छोड़ देते। वासुकी नाग जब ब्रह्मा जी के पास गए तो ब्रह्मा जी ने गरूड़ को बुलाकर उनकी मैत्री करा दी। 

गरूड़ हर अमावस्या को एक सर्प की बलि लिया करते थे। परन्तु कद्रु का पुत्र कालिया उनको अपना भाग नहीं लेते थे। जिससे क्रोधित होकर गरूड़ जी उसे मारने दौड़े। जब दोनों में युद्ध हुआ तो कालिया नाग गरूड़ जी के पंखों के प्रभाव को सह ना सका और यमुना जी में आकर छिप गया। जहां पर उसे गरूड़ जी का भय नहीं था क्योंकि जहां पर आना गरूड़ जी के लिए वर्जित था।

श्री कृष्ण द्वारा कालिया नाग दमन कथा KALIYA NAAG DAMAN SHRI KRISHNA LEELA 

Lord Krishna story: एक दिन श्री कृष्ण और बलराम जब ग्वाल बाल संग गाय चराने यमुना जी के तट पर पहुंचे तो क्या देखते हैं कि कालिया नाग के विष से दूषित जल से वृन्दावन के पशु पक्षी मूर्छित पड़े हैं । श्री कृष्ण जान गए कि यहां कालिया नाग रहता है जिसके कारण गोओं के प्राण चले गए और गोप निष्प्राण पड़े हैं। श्री कृष्ण ने सब पर कृपा दृष्टि डाली जिससे सब में चेतना पुनः लौट आई। 

सब की रक्षा हेतु श्री कृष्ण अपने मित्रों के साथ यमुना के किनारे गेंद से खेलने लगे . खेलते- खेलते गेंद श्री कृष्ण ने नदी  गिरा दी क्योंकि उन्होंने निश्चय कर लिया था कि अब कालिया को इस जल राशि से बाहर निकल देंगे ।श्री कृष्ण ने कदंब के पेड़ पर चढ़कर नदी में छलांग लगा दी. 

कालिया नाग जहां रहता था वहां चार कोस तक यमुना जी का जल विष समान खोलता था। एक कदम्ब के वृक्ष को छोड़ और कोई भी वृक्ष वहां उत्पन्न नहीं होता था। क्योंकि एक समय गरूड़ जी अमृ‌त लेकर उस वृक्ष पर आकर बैठे थे और एक बुंद अमृत कदम्ब के वृक्ष पर गिर गया था जिस कारण वह वृक्ष अमर हो गया था।

कालिया नाग ने उन्हें देखकर उन पर विष फैंकना शुरू किया. लेकिन श्रीकृष्ण पर विष उसका कोई असर नहीं हुआ. उधर श्री कृष्ण के साथी ग्वाल बाल रो रोकर उन्हें पुकारने लगे। उधर किसी ने वृन्दावन जाकर श्री कृष्ण के दह में कूदने का समाचार सुना दिया। मां यशोदा श्री कृष्ण को ना देखकर यमुना जी में कूदने लगी तो गोपियों ने उन्हें रोका और नंद जी को गोपों ने रोका।

श्री कृष्ण ने कालिया नाग की पूंछ पकड़कर उसे मारना शुरू किया । श्री कृष्ण जब उसके पास गए तो उसने श्री कृष्ण अपने शरीर में लपेट लिया। श्री कृष्ण ने अपने शरीर को फुलाना शुरू कर दिया। कालिया नाग का शरीर जिसमें उसने श्री कृष्ण को लपेटा था वह चूर चूर होने लगा। उसके शरीर में जब अत्याधिक पीड़ा होने लगी तो उसने श्री कृष्ण को छोड़ दिया। श्री कृष्ण उसके सिर पर जा चढ़े और उसके सिर पर नाचने लगे। श्री कृष्ण के इस तांडव नृत्य से उसका शरीर शिथिल हो गया।

उसकी स्त्रियां अपने बच्चे सहित उसकी रक्षा के लिए श्री कृष्ण से प्रार्थना करने लगी। नाग कन्याओं की प्रार्थना पर श्री कृष्ण ने उसे छोड़ दिया और उससे अलग हटकर खडे़ हो गए। कालिया नाग जब श्री कृष्ण के भार से मुक्त हुआ तो उसे चेतना आई और उनकी विनती कर कहने लगा कि आप मुझे जो आज्ञा देंगे मैं उसका पालन करूंगा।

 श्री कृष्ण कहने लगे कि तुम जमुना छोड़कर जहां से चले जाओ क्योंकि तुम्हारे विष से यमुना जल विषयुक्त हो गया है। कालिया नाग कहने लगा कि प्रभु फिर कहां निवास करूं?

श्री कृष्ण कहने लगे कि तुम रमणक द्वीप में निवास करो। कालिया नाग कहने लगाकि प्रभु वहां गरूड़ मुझे खा जाएगा।

 श्री कृष्ण बोले कि तुम्हारे सिर पर अब मेरे पैरों के चिह्न छोड़ दिये है इसलिए गरूड़ अब तुम्हें पास नहीं आएगा।

श्री कृष्ण ने गरूड़ को बुलाकर कालिया नाग को भय मुक्त कर दिया। जब यमुना के बाहर आए तो कालिया नाग के फन पर नाच रहे थे . इस तरह श्री कृष्ण ने गोकुल वासियों को और यमुना नदी को कालिया नाग के  बिष से मुक्त करवाया था . 

श्री कृष्ण को देखकर सब में चेतना आ गई। मां यशोदा उन्हें गोद में उठा कर चूमने लगी। नंद जी ने ब्राह्मणों को बुलाकर दान दक्षिणा दीं। 

श्री कृष्ण जन्म 

पुतना वध कथा

शकटासुर और तृणावर्त वध

वत्सासुर, बकासुर और अघासुर वध कथा




Comments

Popular posts from this blog

BAWA LAL DAYAL AARTI LYRICS IN HINDI

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA

MATA CHINTPURNI CHALISA LYRICS IN HINDI