SHRI KRISHNA NAND BABA GOKUL CHHOD VRINDAVAN KYU GAE
श्री कृष्ण और नंद बाबा गोकुल छोड़ वृन्दावन क्यों चले गए?
जब मायावी राक्षसों के आक्रमण बार - बार गोकुल पर होने लगे तो नंद बाबा सबको बुला कर बोले कि कंस के द्वारा भेजे गए राक्षसों के उपद्रव दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
इसलिए इस तरह के अशांत वातावरण में गोकुल में रहना कठिन हो गया है। अगर आप लोग सहमत हो तो हमें किसी और सुरक्षित स्थान पर चल कर रहना चाहिए।
नंद जी की बात सुनकर एक वृद्ध गोप कहने लगे कि आप उचित कह रहे हैं। हमें इस स्थान को त्याग देना चाहिए क्योंकि यहां पर राक्षसों के आक्रमण के कारण बालक सुरक्षित नहीं है।
पहले पूतना, शकटासुर, तृणावर्त राक्षस कृष्ण को उठा कर ले गया और अब यमलार्जुन के वृक्षों का गिरना इस लिए हमें छोड़ कर वृन्दावन की भूमि पर चलकर रहना चाहिए।
एक शुभ मुहूर्त में सभी वृन्दावन में पहुंच गए। सभी श्री कृष्ण सहित प्रसन्न चित्त वृन्दावन में रहने लगे। वृन्दावन की छटा निराली थी । वहां वृन्दावन जैसा पवित्र वन , गोवर्धन जैसा पर्वत और यमुना नदी का पावन जल था।
श्री कृष्ण जब थोड़े बड़े हुए तो मां यशोदा से हठ करने लगे कि मुझे बछड़े चराने वृन्दावन के वन में जाना है। मां यशोदा ने बहुत समझाया लेकिन जब श्री कृष्ण ने हठ नहीं छोड़ा तो मां यशोदा ने ग्वाल बाल को बुलाकर श्री कृष्ण और बलराम को उनके साथ बछड़े चराने भेज दिया। श्री कृष्ण और बलराम वृन्दावन के वन में यमुना नदी के तट पर बछड़े और गाय चराने जाते थे।
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