HOW TO MAKE YOUR WEAKNESS YOUR STRENGTH

अपनी कमज़ोरी को अपनी ताकत कैसे बनाएं ?

 हम सबके जीवन में कोई ना कोई कमज़ोरी जरूर होती है कई बार हम उस कमज़ोरी के चलते लगता है कि हमारे लिए जीवन बहुत कठिन हो गया है। 

उस कमज़ोरी के लिए कई बार लोग दया भावना दिखाते हैं तो कुछ लोग उपहास उड़ाते हैं। लेकिन जरूरत उस कमज़ोरी को समझ कर उसे अपनी ताकत बनाने की है। लोग तो कहेंगे तुम नहीं कर सकते लेकिन तुम तो निश्चय करके कुछ कर दिखाना है। 

धैर्य और परिश्रम के साथ सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर  अपनी कमजोरियों पर भी विजय प्राप्त कर सकते है। जरूरत बस उनको पहचान कर उन पर काम करने की है कि हम उन्हें अपनी ताकत कैसे बना सकते हैं।

एक बार एक लड़का था जिसका एक हाथ नहीं था इसलिए हर कोई उसको दया की दृष्टि से देखता या फिर उसका उपहास करता रहता था। एक दिन लड़के ने मन में ठान लिया कि लोगों की इस दया भावना से देखने को उसे सम्मान में बदलने के लिए कुछ करना पड़ेगा। उसके गांव में बहुत से लड़के कुश्ती लड़ते थे इसलिए उसने ठान लिया कि मुझे कुश्ती सीखनी है।

वह लड़का गांव के बहुत से उस्तादों के पास गया लेकिन कोई भी उसे कुश्ती सिखाने के लिए राज़ी नहीं हुआ। जब वह गांव के नामी उस्ताद के पास पहुँचा तो वह लड़के को देखकर व्यंग्य कसने लगा कि तुम को सिखाने के लिए बहुत समय और मेहनत करनी पड़ेगी कि तुम को तो ऐसा उस्ताद चाहिए जिस के पास समय ही समय हो। तुम ऐसा करो कि गांव में एक वृद्ध उस्ताद हैं उसके पास समय ही समय है उनसे कोई सिखने नहीं जाता ऐसा करो जाकर उनके चरण पकड़ लो।

लड़का फट से उस्ताद के पास पहुँच गया। उनसे विनती करने लगा कि गुरु जी आप मुझे कुश्ती सिखा दो। 

उस्ताद जी कहने लगे कि ,"मैं वृद्ध हो गया हूँ, मुझसे तो अब कोई भी कुश्ती सिखाने नहीं आता। तुम को कुश्ती क्यों सिखनी है?"

लड़के ने अपनी सारी व्यथा गुरु को सुना दी कि ,"मैं अपने लिए लोगों की दया भावना को सम्मान में बदलना चाहता हूँ।"

 गुरु पूछने लगे कि तुम को मेरा पता किस ने बताया है?

लड़का कहने लगा कि गांव के जो नामी उस्ताद हैं उन्होंने कहा कि तुम को सिखाने के लिए ऐसे उस्ताद की जरूरत है जिसके पास समय ही समय हो। ऐसा कह कर उन्होंने आपका पता बताया कि आपके पास कोई सिखने नहीं जाता।

वृद्ध उस्ताद समय गए कि उस नामी उस्ताद ने अहंकार से भर कर ऐसी बात कही है वह मुझ को निक्कमा और नकारा समझ रहा है। 

गुरु कहने लगे कि," तुम कल सुबह अखाड़े में आ जाना।"

 गुरु ने सारी रात सोचते रहे कि एक बिना हाथ वाले लड़के को कुश्ती का ऐसा कौन सा दांव सिखाऊं जिससे वह जीत सके।

सुबह होते ही लड़का अखाड़े में पहुँच गया और गुरु को प्रणाम किया। 

उस्ताद जी कहने लगे कि," मैं जो भी दांव सिखाऊं तुम उसको ध्यान से सिखना लेकिन कभी कोई प्रश्न नहीं करना।"

लड़का खुशी खुशी तन मन लगाकर कुश्ती सिखाने लगा। उस्ताद ने उसे छः महीने लगातार एक ही दांव सिखाया। वह उस की सारी बारीकियां समझ चुका था। 

एक दिन लड़का उस्ताद से कहने लगा कि, उस्ताद जी यह दांव तो मैं अच्छी तरह से सिख चुका हूँ‌ । अब आप मुझे कोई और दांव सिखा दो।" इतना सुनते ही उस्ताद नाराज़ हो कर वहां से चले गए।

लड़का बेचारा सोचने लगा कि बड़ी मुश्किल से एक उस्ताद मिला था उसे भी मैंने नाराज़ कर दिया। लड़का जल्दी से उनके पास पहुंँचा और क्षमा मांग कर कहने लगा कि आज के बाद आप जो भी सिखाएंगे मैं प्रश्न नहीं करूंगा। उस्ताद ने उसकी बात सुनकर उसे क्षमा कर दिया।

इस तरह लड़का एक ही दांव में माहिर हो चुका था। एक दिन गांव में कुश्ती की प्रतियोगिता थी तो उस्ताद लड़के से कहने लगे कि," आज तुम को कुश्ती लड़नी है तैयार रहना।"

लड़का उस्ताद के साथ कुश्ती वाली प्रतियोगिता के स्थान पर पहुँच गया और लड़के का नाम प्रतियोगी के रूप में लिखवा दिया। लड़के को देखकर हर किसी के मन में यही भावना थी कि यह बेचारा बिना एक हाथ के क्या लड़ पाएगा?

कुश्ती शुरू हुई लड़के ने पहले दोनों पहलवानों को आसानी से हरा दिया। अब लोगों का नजरिया लड़के के प्रति कुछ बदल चुका था।

 तीसरा पहलवान उससे अनुभवी था लोगों को लगता था कि इस बार लड़का हार जाएंगा लेकिन लड़का पूरे आत्मविश्वास से लड़ा और कुश्ती जीत गया।

इसके पश्चात उस लड़के की कुश्ती उसी उस्ताद के शार्गिद पहलवान से थी जिसने उस पर व्यंग्य कसते हुए इस वृद्ध उस्ताद के पास भेजा था। वह पहलवान उम्र, अनुभव,शरीरक बल हर लिहाज़ से लड़के से कहीं ताकतवर था। 

कुश्ती के संचालक सोचने लगे कि इस पहलवान के साथ लड़ना तो लड़के के साथ नाइंसाफी होगी क्योंकि यह हर लिहाज़ से उससे कम है इसलिए यह कुश्ती करवाना न्यायोचित नहीं होगा। 

लेकिन लड़का अड़ गया कि मुझे मेरे गुरु पर पूर्ण विश्वास है दूसरे यह कुश्ती में अपने सम्मान के लिए लड़ रहा हूँ कृपया कुश्ती रद्द करके मेरे साथ नाइंसाफी मत करें। संचालक सोचने लगे कि हम तो इसकी भलाई के लिए ही कह रहे थे कि एक हाथ के साथ यह कैसे जीत पाएगा लेकिन अगर यह स्वयं ही हारना चाहता है तो हम क्या कर सकते हैं?

कुश्ती शुरू हुई और कुछ ही मिनटों में लड़के ने उस नामी पहलवान को भी हरा दिया। अब तो उसके उस्ताद की शक्ल देखने लायक थी। लड़के ने अपने गुरु के चरण स्पर्श किए और गुरु से प्रश्न किया कि," गुरु जी मैं यह कुश्ती कैसे जीत गया?"

लड़का कहने लगा कि," उस्ताद जी मुझे तो केवल एक ही दांव आता था फिर मैं कैसे जीत गया? क्या मेरे प्रतिद्वंद्वी को यह दांव नहीं आता था?"

उस्ताद मुस्कुराते हुए बोले कि हां यह बात सच है कि तुम को एक ही दांव आता था लेकिन मुझ इस दांव को अच्छी तरह से सीख चुके थे उसकी हर बारीकी तुम जान चुके थे दुसरे तुम्हारा प्रतिद्वंद्वी थोड़ा ना जानता था कि तुम को एक ही दांव आता है।

तुम्हारे दूसरे प्रश्न का उत्तर है कि तुम्हारे प्रतिद्वंद्वी को यह दांव आता था लेकिन हर दांव का एक प्रतिदांव होता है।

लड़का पूछने लगा कि क्या मेरे प्रतिद्वंद्वी को उस दांव का पता नहीं था।

उस्ताद कहने लगे कि वह जानते थे लेकिन कुछ कर नहीं सकते थे क्योंकि यहां पर तुम्हारी कमज़ोरी ही तुम्हारी ताकत बनी। 

लड़के हैरानी से पूछने लगा उस्ताद जी वह कैसे?

तुम्हारे दांव के प्रतिदांव में दांव देने वाले का वही हाथ पकड़ना होता है जो तुम्हारा हाथ नहीं है।

तुमने मुझ से प्रश्न किया था ना कि मैं तुम को एक ही दांव क्यों सिखा रहा हूं ? वो इसलिए ही था क्योंकि तुम्हारा प्रतिद्वंद्वी ताकतवर होते हुए भी तुम्हारे दांव का प्रतिदांव नहीं दे पाएंगा । मैंने तुम्हारी कमज़ोरी को तुम्हारी ताकत बना दिया और उसे तुम्हारे प्रतिद्वंद्वी की कमज़ोरी बना दिया कि वे चाह कर भी कुछ ना कर पाये।

कमज़ोरियां तो हम सब के जीवन में होती है हमें उन के आगे झुकने की बजाय उनको पहचान कर उन्हें अपनी ताकत बनाने की कला हमें सीखनी चाहिए। अगर जीवन में एक सच्चा मार्ग दर्शक मिल जाएं तो वह हमारे जीवन को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।

ALSO READ 

हीरे की परख जौहरी ही जानता है

मुसीबत में भी धैर्य नहीं खोना चाहिए

भेड़ चाल चलना कहानी          दयालुता की best moral stories

कर्म फल भोगना ही पड़ता है    लालच बुरी बला है

कहानी-घर में किस की चलती है.    संगति का असर

Comments

Popular posts from this blog

BAWA LAL DAYAL AARTI LYRICS IN HINDI

RADHA RANI KE 16 NAAM MAHIMA

MATA CHINTPURNI CHALISA LYRICS IN HINDI