PRATHNA प्रार्थना
प्रार्थना का अर्थ - श्रद्धा और भक्ति के साथ ईश्वर या फिर आपने आराध्य से मांगना या विनती करना। ईश्वर का मनन करना और उसे अनुभव करना।
प्रार्थना से हम ईश्वर से संबंध जोड़ने की कोशिश करते हैं। प्रार्थना अपने लिए या फिर किसी अपने की शुभ कामना के लिए हो सकती है। ईश्वर से की गई प्रार्थना में ईश्वर के प्रति विश्वास, आवेदन और स्नेह समाहित होता है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि प्रभु सब कुछ अब आपके हाथों में है आप सर्वशक्तिमान है आप के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। ईश्वर से की गई प्रार्थना में बहुत ताकत होती है।
हम लोगों को बचपन से ही संस्कार दिये जाते हैं कि ईश्वर से प्रार्थना करो । घर पर में माता - पिता और दादा - दादी और स्कूल में भी हमें ईश्वर की प्रार्थना करवाई जाती है। उनका यही मानना था कि ईश्वर सच्ची प्रार्थना जरूर सुनते हैं।
अगर आपकी प्रार्थना सच्ची हो तो ईश्वर उचित समय पर सही व्यक्ति को अपकी मदद के लिए भेज ही देते हैं। प्रार्थना सच्चे मन से करनी चाहिए है क्योंकि ईश्वर तो उनकी भी सुनते हैं जो बोल नहीं सकते।
मैंने सच्ची प्रार्थना का एक प्रसंग पढ़ा था कि एक हार्ट सर्जन थे ।उनको एक छोटी सी बच्ची का आप्रेशन करना था क्योंकि उसके हार्ट में खून की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं हो रही थी।
बच्ची को आप्रेशन से चार पांच दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती करवाया गया क्योंकि आप्रेशन से पहले बच्ची के कुछ जरूरी टेस्ट होने थे। इन दिनों में बच्ची डाक्टर से भी घुल मिलकर गई।
आप्रेशन से पहले बच्ची डाक्टर से कहने लगी कि डाक्टर साहब मुझे बिल्कुल डर नहीं लग रहा क्यों मेरी मां ने मुझे बताया है कि बच्चों के दिल में भगवान रहते हैं। मेरी मां हर रोज मेरे लिए प्रार्थना करती है और मुझ से भी ईश्वर की प्रार्थना करवाती है । मुझे ईश्वर पर विश्वास है लेकिन जब आप मेरा आप्रेशन करें तो देखना कि ईश्वर कैसे दिखते हैं और फिर आप मुझे बताना। बच्ची की प्यारी प्यारी बातें सुनकर डाक्टर साहब मुस्कुरा कर चले गए।
आप्रेशन करते समय हार्ट सर्जन ने देखा कि बच्ची के दिल में तो खून बिल्कुल नहीं है। उन्हें पता था कि अब बच्ची को बचा पाना मुश्किल है। डाक्टर साहब को तभी बच्ची की कही हुई बात याद आ गई कि आप मेरे दिल में देखना कि ईश्वर कैसे दिखते हैं।
उस दिन डाक्टर ने अपनी अश्रुपूर्ण आंखों से बच्ची के लिए प्रार्थना की कि अब आप ही कुछ कर सकते हैं उस बच्ची का आप पर अटूट विश्वास है। तभी उनके साथी डाक्टर ने उन्हें कोहनी मारी कर इशारा किया । अचानक से बच्ची के दिल में खून का प्रवाह शुरू हो गया था और बच्ची का आप्रेशन कामयाब हो गया।
बच्ची के ठीक होने पर डॉक्टर ने बच्ची से कहा कि मैं तुम्हारे दिल में ईश्वर कैसे दिखते हैं यह तो नहीं देख पाया लेकिन ईश्वर को की गई प्रार्थना की शक्ति का जो अनुभव मैंने देखा है वो इससे पहले मैंने कभी नहीं देखा था। ईश्वर ने तुम्हारे उस पर किए गए विश्वास को टूटने नहीं दिया।
इसलिए तो हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि," किसी काम को करने का प्रयास ऐसे करो कि, जैसे सब कुछ तुम पर निर्भर हो और ईश्वर से प्रार्थना ऐसे करो जैसे सब कुछ केवल ईश्वर पर निर्भर हो"।
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