VATSASUR, BAKASUR AUR AGHASUR VADH

 
श्री कृष्ण ने किया वत्सासुर, बकासुर और अघासुर दैत्यों का वध 

श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। कंस को जब पता चला कि उसे मारने वाला गोकुल में पैदा हो चुका है तो उसने श्री कृष्ण को मारने के लिए बहुत से दैत्यों को भेजा। पुतना , शकटासुर और तृणावर्त को गोकुल में भेजा। जिनको मार कर श्री कृष्ण ने उनका उधार किया। 
उसके पश्चात् नंद बाबा और गोकुल के सभी गोप गोपियों ने निश्चय किया कि जहां पर रहना सुरक्षित नहीं है इसलिए वह गोकुल छोड़ कर वृन्दावन आ गए
वृन्दावन में चारों ओर प्राकृति का सुंदर नजारा था। सब ओर फलों से लदे हुए वृक्ष थे। वृन्दावन में गोवर्धन जैसा पर्वत और यमुना जैसी पावन नदी थी। 
श्री कृष्ण प्रतिदिन वृन्दावन के वन में ग्वाल बाल संग गाय और बछड़े चराने जाया करते थे।

VATSASUR VADH वत्सासुर वध

श्री कृष्ण जब बछड़े चराने वन में गए तो वहां वत्सासुर नाम का दैत्य वहां बछड़े का रूप धारण कर आया। उस दैत्य को देखकर गोप - गोपियां और गाय - बछड़े देख कर भयभीत हो गए। श्री कृष्ण ने बलराम जी को इशारे से समझा दिया कि राक्षस बछड़े का रूप धारण कर आया है। 

श्री कृष्ण ने बछड़े रूपी राक्षस की टांग पकड़ कर उसे घुमाकर फैंका जिससे उस राक्षस का अंत हो गया। वत्सासुर को मरा जान कर सभी श्री कृष्ण और बलराम की प्रशंसा करने लगे।

BAKASUR VADH  बकासुर वध 

वत्सासुर वध के पश्चात् कंस ने बकासुर नाम के दैत्य को भेजा। सभी गोप गोपियां मार्ग में एक बहुत भारी बकुला देखकर भयभीत हो गए। राक्षस बकासुर को कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजा था। बकासुर श्री कृष्ण को निगल गया। यह देख बलराम जी को छोड़ सब मुर्च्छित हो गये। कुछ समय पश्चात जब उनकी मूर्च्छा टूटी तो सब बेचैन हो कर श्री कृष्ण को पुकारने लगे। उनके मन में विचार चल रहा था कि मां यशोदा को क्या उत्तर देंगे?

इतने में बकुले ने सब के सामने श्री कृष्ण को निगल दिया तो श्री कृष्ण ने बकासुर को उसकी चोंच से पकड़ कर सबके सामने चीरकर मार दिया। गोप गोपियां ने वृन्दावन आकर सारा वृत्तांत मां यशोदा को सुनाया।

AGHASUR VADH अघासुर वध

उसके पश्चात कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए अघासुर नामक दैत्य को भेजा। अघासुर श्री कृष्ण का भक्षण करने के लिए अपना भयंकर मुख गुफा के समान फैला कर बैठ गया। सभी ग्वाल बाल खेलते - खेलते उसके मुंह में जा पहुंचे।

जैसे ही अजगर रूपी अघासुर ने गहरी सांस ली ग्वाल बाल सभी अघासुर के पेट में समा गए। सभी व्याकुल हो कर श्री कृष्ण को पुकारने लगे। 

अघासुर प्रतीक्षा कर रहा था कि कब श्री कृष्ण उसके मुंह में आवे। श्री कृष्ण के मुंह में जाते ही उसने सब को उदरस्थ कर लिया दैत्य यह देखकर प्रसन्न हो रहा था। तभी श्री कृष्ण ने अपने शरीर को बढ़ा लिया जिससे दैत्य का गला फंस गया और उसकी सांसें अवरूद्ध होने लगी , आंखें बाहर आ गई और शरीर शिथिल हो गया और उसके प्राण निकल गए।

श्री कृष्ण उसका शरीर फाड़ कर बाहर आ गए। अघासुर का शरीर सुखकर गुफा की तरह हो गया जिसमें ग्वाल बाल खेलते थे। श्री कृष्ण ने अघासुर को परम गति प्रदान की।

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