CHATURMAS 2023 DATE SIGNIFICANCE KATHA

चार्तुमास 2023 शुरू - देवशयनी एकादशी - 29 जून, वीरवार 

चार्तुमास 2023 समाप्त - देवउठनी एकादशी - 23 नवंबर 2023



चार्तुमास देवशयनी एकादशी से शुरू होता और देवउठनी या हरि प्रबोधिनी एकादशी पर समाप्त होता है। 2023 में अधिक मास होने के कारण चतुर्मास पांच महीने का होगा और सावन मास दो महीने का होगा।

चार्तुमास क्या होता है ?

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन से श्री हरि विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।

CHATURMAS KATHA 

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार जब राजा बलि ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया तो भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी।

राजा बलि कहने लगे कि मैं तीन लोकों का अधिपति हूं आप मुझ से कुछ भी मांग सकते हैं लेकिन वामन भगवान कहने लगे कि राजन् मुझे केवल तीन पग भूमि ही चाहिए। 

राजा ने तीन पग भूमि देने का संकल्प लिया। भगवान ने दो पग में ही तीनों लोकों को माप लिया। वह राजा बलि से कहने लगे कि तुमने मेरे साथ छल किया है। अब मैं तीसरा पग कहा पर रखूं। राजा बलि ने अपना मस्तक आगे कर दिया। भगवान विष्णु ने राजा बलि से प्रसन्न होकर उसे पाताल लोक का स्वामी बना दिया और उसे वर मांगने को कहा।

राजा बलि कहने लगे कि मैं सदैव आपके निकट रहना चाहता हूं। भगवान विष्णु के वरदान अनुसार विष्णु चार मास तक राजा बलि के पाताल लोक में रहते हैं और शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन वापस लौटते हैं।

चार्तुमास मास में कौन से चार मास आते हैं।

श्रावण मास

भाद्रपद ‌‌‌‌‌‌‌‌‌मास 

अश्विन मास

कार्तिक मास 

चार्तुमास का महत्व 

चार्तुमास या मलमास में जब सूर्य कर्क राशि में आते हैं तब भगवान विष्णु शयन करते हैं और जब तुला राशि में आते हैं तब उठते हैं।

चार्तुमास में दान पुण्य, स्नान, जप- तप और व्रत का विशेष महत्व है ‌।

चार्तुमास में मंदिर की सफाई करना शुभ माना जाता है।

भगवान को दूध, दही, शहद, घी और मिश्री से स्नान करना चाहिए।

तुलसी पूजन करना चाहिए जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं और परिक्रमा करें।

संध्या के समय दीप दान करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।मंदिर में घंटा दान करें।

देवउठनी एकादशी के दिन ब्राह्मणों को वस्त्र दान करने चाहिए।

चार्तुमास में भगवान विष्णु के निंद्रा में जाने के कारण शुभ और मांगलिक कार्य नहीं होते। इस समय सृष्टि का दायित्व भगवान शिव पर होता है। लेकिन चार्तुमास में व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। 

चार्तुमास में सबसे पहला सावन मास आता है। सावन मास भगवान शिव को अति प्रिय है। सावन मास में भगवान शिव की उपासना करने से विशेष लाभ होता है। 2023 में दो सावन मास आएंगे।

दूसरा मास भाद्रपद मास होता है। इस मास में कृष्ण जन्माष्टमी और राधा अष्टमी के पर्व के साथ साथ गणेश चतुर्थी आती है। इस लिए भाद्रपद मास में श्री कृष्ण और गणेश की पूजा और  व्रत का विशेष विधान है।

अश्विन मास में मां दुर्गा के शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाती है। भक्त पूजा अर्चना कर मां से मनवांछित फल प्राप्त करते हैं।

 कार्तिक मास में दीवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन कर उनसे भक्त सुख समृद्धि की कामना करते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु शयन से उठ जाते हैं इसलिए इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। 

चार्तुमास में कौन सा भोजन नहीं करना चाहिए

माना जाता है कि सावन माह में शाक अर्थात पत्तों वाली सब्जी जैसे पालक,साग आदि नहीं खाता चाहिए।

भाद्रपद मास में दही नहीं खाना चाहिए।

अश्विन मास में दूध नहीं पीना चाहिए। 

कार्तिक मास में दाल नहीं खानी चाहिए.

इन  महीनों में इन खाद्य पदार्थ का त्याग करने से शरीर निरोगी रहता है।

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