KHAG JANEE KHAG HEE KEE BHASHA
खग जाने खग ही की भाषा लोकोक्ति (मुहावरे) का अर्थ, meaning, Moral story
मुहावरे का अर्थ - एक चालाक व्यक्ति दूसरे चालाक व्यक्ति की भाषा जानता है।
सामान वातावरण में रहने वाले एक दूसरे की बात समझ लेते हैं।
खग जाने खग ही की भाषा मुहावरे पर आधारित एक कहानी
एक बार एक युवक था उसे काफी लम्बे समय से खांसी की समस्या थी। कई डाक्टरों से ईलाज करवा चुका था लेकिन उसकी खांसी ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही थी। उसके मित्र ने उसे एक वैद्य जी के पास भेजा।
उसका मित्र ने उसे बताया कि," वैद्य जी की आसपास के इलाके में बहुत ख्याति है इन की दवा से ज़्यादातर मरीज ठीक हो जाते हैं लेकिन दवा के दौरान कुछ चीजों का सेवन करने से मना करते हैं। तुम को तो खांसी हो रही है तुम को खट्टा खाने से जरूर मना करेंगे।"
युवक मित्र के बताए adress पर वैद्य जी की दुकान पर पहुंच गया। वैद्य जी ने उसकी बिमारी पूछी तो युवक कहने लगा कि," मैंने बहुत से डाक्टरों से अपनी खांसी का ईलाज करवाया है लेकिन मेरी खांसी ठीक ही नहीं हो रही।"
युवक जानता था कि उसकी बिमारी सुनकर वैद्य जी परहेज करने को बोलेंगे ।इसलिए वह पहले ही अपनी चतुराई दिखाते हुए बोला कि," वैद्य जी आप दवाई चाहे जितनी भी दे दो मैं खा लूंगा। लेकिन मुझे खट्टा खाने से मना मत करना। उसको मैं नहीं छोड़ सकता।"
वैद्य जी समझ गए कि यह लड़का एक तो जुबान का चटोरा है दूसरा अपने आप को ज्यादा ही समझदार मानता है। इसलिए इस को किसी दूसरे तरीके से समझना पड़ेगा।
वैद्य जी कहने लगे कि तुमे पता है कि खांसी में भी खट्टा खाने के तुम को तीन फायदे हैं।
"पहला, तुम्हारे घर पर कभी चोरी नहीं होगी। दूसरा ,तुम को कभी कुत्ता नहीं काटेंगा। तीसरा, तुम्हें कभी बुढ़ापा नहीं आएगा।"
युवक सोचने लगा कि मुझे लगता था कि वैद्य जी उसे परहेज करने को बोलेंगे लेकिन यह तो खट्टा खाने के फायदे बताए रहें हैं ,यह सब सुन कर उसका सिर चकरा गया।
युवक से रहा नहीं गया और पूछने लगा कि ,"वैद्य जी आप ने जो फायदे बताएं है उसका मतलब मैं समझ नहीं पाया।"
वैद्य जी कहने लगे कि बेटा "पहला फायदा, परहेज नहीं करोगे तो खांसी ठीक नहीं होगी। खांसी ठीक नहीं होगी तो दिन रात खांसते रहोगे। जब तुम खांसते रहोगे तो तुम्हारा परिवार कहां सो पाएंगा ? जब सभी जागते रहोगे तो चोर चोरी करने कैसे आ पाएगा? "
"दूसरा फायदा, जब खांसी ठीक नहीं होगी तो ठीक से चल नहीं पाओगे। जब ठीक से चल नहीं पाओगे तो छड़ी पकड़नी पड़ेगी। जब तुम्हारे हाथ में छड़ी होगी तो डर के मारे कुत्ता तुम को कैसे काट पाएगा ?"
"तीसरा फायदा, अगर खट्टा खाते रहोगे तो खांसी ठीक नहीं होंगी और तुम्हारी खांसी बिगड़ जाएगी। अगर खांसी बिगड़ गई तो उसका कोई इलाज नहीं कर पाएगा अगर कोई इलाज ही नहीं होगा तो तुम जवानी में ही मर सकते हो। अगर तुम जवानी में ही मर गए तो बुढ़ापा कैसे आएगा ?"
वैद्य जी की बातें सुनकर युवक का दिमाग ठिकाने पर आ गया और कहने लगा कि वैद्य जी मैं अब खट्टा खाने के फायदे नुकसान अच्छी तरह से समझ गया हूं।
आप मुझे जैसे बोलेंगे मैं वैसे ही परहेज करूंगा ताकि जल्दी से अपनी बिमारी से छुटकारा पा सकूं।
सच ही कहते हैं कि "खग जाने खग ही की भाषा" अगर वैद्य जी उस युवक को इस तरह से ना समझाते शायद वह जीवन में कभी समझ ही नहीं पाता।
मुहावरे पर आधारित कहानियां HINDI MORAL STORIES
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