RAKSHA BANDHAN KI KAHANI RAKHI KA MANTAR IN HINDI

रक्षा बंधन की कथा और राखी बांधने का मंत्र 

रक्षा बंधन का त्योहार सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई बहन के प्यार के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर उसकी दीर्घ आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है और भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। 2023 में रक्षा बंधन का त्यौहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा।


 रक्षा बंधन की कहानी 

एक पौराणिक कथा के अनुसार जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध अपने सुदर्शन चक्र से किया तो सुदर्शन चक्र से उनके हाथ पर चोट लग गई। उस समय द्रोपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़ कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया था।

उस समय श्री कृष्ण ने द्रोपदी को वचन दिया था कि वह सदैव उसकी रक्षा करेंगे। जब युधिष्ठिर जुएं में अपने भाईयों सहित द्रोपदी को भी हार जाते हैं तो दुशासन, दुर्योधन के कहने पर द्रोपदी को बालों से खींच कर भरी सभा में ले आया और उसकी साड़ी खींच कर निर्वस्त्र करने लगा।

उस समय द्रोपदी ने श्री कृष्ण की स्तुति की तो श्री कृष्ण ने अव्यक्त रूप से उसकी साड़ी में प्रवेश किया और दुशासन साड़ी खींच खींच कर थक गया लेकिन साड़ी खत्म नहीं हुई इस प्रकार श्री कृष्ण ने द्रोपदी को दिया हुआ वचन पूरा किया।

मां लक्ष्मी और राजा बलि की कथा 

रक्षा सूत्र मंत्र और राजा बलि का संबंध 

इस रक्षा मंत्र का राजा बलि और मां लक्ष्मी से गहरा संबंध है। राजा बलि ने जब तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया तो भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी।
राजा बलि अहंकार से कहने लगा कि मैं तीनों लोकों का स्वामी हूं आपको बस तीन पग भूमि ही मुझ से चाहिए।
 तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को माप लिया तो राजा बलि ने तीसरा पग रखने के लिए अपना मस्तक आगे कर दिया।

जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बना दिया और वर मांगने को कहा। राजा बलि कहने लगे कि मैं हर समय आपके दर्शन कर सकूं भगवान स्वयं उसके दरवाजे पर द्वारपाल बन खड़े रहें। भगवान विष्णु ने राजा बलि की इच्छा पूर्ण की और उसके पहरेदार बन गए।

जब भगवान विष्णु बैकुंठ धाम वापिस नहीं लौटे तो लक्ष्मी जी ने नारद जी से भगवान विष्णु को वापस लौटने का उपाय पूछा।
नारद जी कहने लगे कि आप राजा बलि को रक्षा सूत्र बांध कर अपना भाई बना लेना और फिर उनसे भगवान विष्णु को मांग लेना।
माता लक्ष्मी एक बुजुर्ग औरत के रूप में पाताल लोक गई और मान्यता है कि माता लक्ष्मी ने श्रावण पूर्णिमा के दिन ही राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था।

राखी बांधने की विधि और मंत्र 

रक्षा बंधन वाले दिन बहन शुभ मुहूर्त में अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और माथे पर तिलक लगा कर घी के दीपक से उसकी आरती उतार कर भाई को मीठा खिलाती है।

भाई बहन को शगुन और उपहार देता है।

राखी या फिर रक्षा सुत्र बांधते समय यह मंत्र बोला जाता है। 

 येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: ।

तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि  रक्षे माचल माचल:।।



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