RAKSHA BANDHAN KI KAHANI RAKHI KA MANTAR IN HINDI
रक्षा बंधन की कथा और राखी बांधने का मंत्र
रक्षा बंधन की कहानी
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध अपने सुदर्शन चक्र से किया तो सुदर्शन चक्र से उनके हाथ पर चोट लग गई। उस समय द्रोपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़ कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया था।
उस समय श्री कृष्ण ने द्रोपदी को वचन दिया था कि वह सदैव उसकी रक्षा करेंगे। जब युधिष्ठिर जुएं में अपने भाईयों सहित द्रोपदी को भी हार जाते हैं तो दुशासन, दुर्योधन के कहने पर द्रोपदी को बालों से खींच कर भरी सभा में ले आया और उसकी साड़ी खींच कर निर्वस्त्र करने लगा।
उस समय द्रोपदी ने श्री कृष्ण की स्तुति की तो श्री कृष्ण ने अव्यक्त रूप से उसकी साड़ी में प्रवेश किया और दुशासन साड़ी खींच खींच कर थक गया लेकिन साड़ी खत्म नहीं हुई इस प्रकार श्री कृष्ण ने द्रोपदी को दिया हुआ वचन पूरा किया।
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राखी बांधने की विधि और मंत्र
रक्षा बंधन वाले दिन बहन शुभ मुहूर्त में अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और माथे पर तिलक लगा कर घी के दीपक से उसकी आरती उतार कर भाई को मीठा खिलाती है।
भाई बहन को शगुन और उपहार देता है।
राखी या फिर रक्षा सुत्र बांधते समय यह मंत्र बोला जाता है।
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: ।
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।।
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