SHANKHACHUR AUR VRISHABHASUR VADH KATHA

श्री कृष्ण ने शंखचूड और वृषभासुर दैत्य का वध‌ कैसे किया 



श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। कंस को जब पता चला कि उसे मारने वाला गोकुल में पैदा हो चुका है तो उसने उन्हें मारने के लिए बहुत से राक्षसों को भेजा। 
कंस ने सबसे पहले पूतना, फिर शकटासुर और तृणावर्त उसके पश्चात वत्सासुर ,बकासुर और अघासुर आदि कई राक्षसों को भेजा। श्री कृष्ण ने सबको मार कर उनका उद्धार किया।

 शंखचूड़ राक्षस 

एक बार श्री कृष्ण ग्वाल बाल और गोपियों सहित वन में विहार कर रहे थे उसी समय कूबेर का शंखाचूड़ नामक दूत वहां आया और कुछ गोपियों को एकांत में पाकर अपने वश में कर लिया।

गोपियां भयभीत होकर श्री कृष्ण को पुकारने लगी। गोपियों की पुकार सुनकर श्री कृष्ण और बलराम दौड़े। श्री कृष्ण ने शंखचूड को उसके केशों से पकड़ कर मार डाला और उससे चूड़ामणि लेकर बलराम जी को दे दी।

वृषभासुर (अरिष्टासुर)  वध

 एक दिन श्री कृष्ण और बलराम जब संध्या के समय जब गौ चराकर वन से लौट रहे थे तो, वृषभासुर नाम का राक्षस बैल के रूप में गौओं से आ मिला। जिससे देखकर गौएं और ग्वाल बाल भयभीत हो गए।

वह बैल अपने शरीर को पर्वताकार रूप धारण कर गौओं के आगे खड़ा हो गया तो पशु भय से भागने लगे और ग्वाल बाल श्री कृष्ण को पुकारने लगे

 श्री कृष्ण ने जाकर उस राक्षस को युद्ध के लिए ललकारा तो वह तीव्र गति से उनकी ओर दौड़ा। श्री कृष्ण ने उसको सिंगों से पकड़ कर पीछे धकेल दिया 

वह फिर से श्री कृष्ण पर आक्रमण करने गया तो श्री कृष्ण ने पकड़‌ कर उसे धरती पर पछाड़ दिया तो उसके प्राण निकल गए। श्री कृष्ण और बलराम फिर ग्वाल बाल संग वृन्दावन लौट गए। 


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