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Showing posts from August, 2022

GANESH JI KI AARTI LYRICS JAI GANESH JAI GANESH DEVA

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 श्री गणेश आरती लिरिक्स जय गणेश जय गणेश देवा इन हिन्दी  SHRI GANESH AARTI  जय गणेश जय गणेश,  जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। जय गणेश जय गणेश,  जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। एकदंत दयावंत चार भुजा धारी। मस्तक सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।। जय गणेश, जय गणेश,  जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।  लड्डूअन‌ का भोग लगे, संत करें सेवा।।  जय गणेश जय गणेश,  जय गणेश देवा।         माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। अन्धन को आंँख देत कोढ़िन‌ को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।। जय गणेश जय गणेश,  जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।    सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। भक्तजन तोरे शरण कृपा राखों देवा।।  जय गणेश जय गणेश,  जय गणेश देवा।   माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।                           दीनन की लाज राखो शम्भु सुतकारी। कामना को पूरा करो जाऊं बलिहारी।। जय गणेश जय गणेश,  जय गणेश देवा।         माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। ALSO READ  गणेश जी के संस्कृत श्लोक   गणेश जी की आरती शेंदुल लाल चढ़ायो शुभ लाभ क्यों

GANESH CHATURTHI PER CHANDER DARSHAN KYUN NAHI KARNA CHAHIYE

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गणेश चतुर्थी पर क्यों नही करते चंद्र दर्शन और चंद्रमा के दर्शन करने पर क्या उपाय करें गणेश जी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र हैं। गणेश चतुर्थी को गणेश जी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूरे देश के लोग गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं. लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात में यह पर्व विशेष धूमधाम से मनाया जाता है. भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी गणेशोत्सव मनाया जाता है . इस दिन को कलंक चतुर्थी, गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या आरोप लगता है।  गणेश जी के संस्कृत श्लोक गणेश चतुर्थी का महत्व इस दिन गणेश जी का पूजन करने से मन वांछित फल मिलता है. इस दिन गणेश को मोदक,मिठाई और दूर्वा अर्पित करनी चाहिए. विघ्नहर्ता गणेश जी अपने भक्तों के जीवन के विघ्न हरते हैं और उन पर उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं.    हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि हर तरह के विघ्न और बाधा को दूर हो जाएं.वह भक्तों के संकट दरिद्रता और रोग हर लेते हैं. गणेश चतुर्थी पर लोग गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है। य

SHIKSHA KA MAHATAV MORAL STORY

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शिक्षा का जीवन में क्या महत्व होता है ? पढ़े एक प्रेरणादायक प्रसंग  Shiksha ka Mahatav Motivational story in hindi for students    एक बार एक राजा शिकार खेलने जंगल में गया। शिकार की तलाश में वह बहुत दूर निकल गया और वह अकेला रास्ता भटक गया। उसकी सेना अब उसके साथ नहीं थी। बहुत दूर निकलने के पश्चात उसे एक गांव में कुछ लड़के खेलते हुए दिखाई दिये। राजा लड़को को पास पहुंचा और उनसे कहने लगा कि मुझे बहुत भूख और प्यास लगी है। क्या आप लोग मुझे पीने के लिए पानी और खाने के लिए कुछ लाकर दे सकते हो? तीनों लड़के खुशी खुशी अपने अपने घर से पानी और खाने के लिए फल और भोजन लें कर आये। राजा ने मन भर कर पानी पिया और भोजन किया। राजा जब खा पीकर संतुष्ट हो गया तो उसने लड़कों को बताया कि मैं जहां का राजा हूं आप लोग मुझसे जो चाहे मांग सकते हो।‌‌ पहले लड़के ने मांगा कि आप मुझे बहुत सा धन दे दे ताकि मेरी आने वाली जिंदगी आराम से गुजर सके। राजा ने उसकी वह इच्छा पूरी करने का वचन दिया। दूसरे लड़के ने कहा कि आप मुझे बड़ा सा घर, घोड़ागाड़ी दे ताकि मैं शान से रह सकूं। राजा ने उसकी भी इच्छा पूरी करने का वचन दे दिया। तीसरा

KRISHNA CHHATI KYUN MANAI JATI HAI

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Shri Krishna chhati MAHOTSAV -2023  TUESDAY, 12 SEPTEMBER  श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तरह श्री कृष्ण के भक्त कृष्ण छठी को भी हर्षोल्लास से मनते है। जैसे बच्चे के जन्म के पश्चात छठी पूजन किया जाता है वैसे ही वैसे ही जन्माष्टमी से छठे दिन श्री कृष्ण की छठी मनाई जाती है। छठी क्यों मनाई जाती है  हिन्दू धर्म में किसी बच्चे के जन्म के छः दिन के पश्चात षष्ठी देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण का नामकरण छठी के दिन हुआ था.कृष्ण का जन्म कारावास में हुआ था. उन्हें वासुदेवजी जी टोकरी में रखकर नंद बाबा के घर छोड़ आए थे . कंस को जब योग माया ने बताया कि मुझे मारने वाला गोकुल में है तो कंस पूतना को श्री कृष्ण को मारने के लिए गोकुल भेजता है और ये आदेश देता है कि गोकुल में जितने भी 6 दिन के बच्चे हैं उन्हें मार दिया जाए.  श्री कृष्ण ने पूतना का वध कर दिया लेकिन मैया यशोदा ने भय से श्री कृष्ण को छिपा दिया इसलिए श्री कृष्ण की छठी नहीं मनाई जा सकी और तब तक श्री कृष्ण का नामकरण भी नहीं हो पाया था. 364 दिन बाद छठी पूजन किया और तभी से छठी पूजन की परम्परा शुरू हुई. छठी के दिन इस तरह करें पूजन 

SHRI KRISHNA AUR KARNA SAMVAD STORY OF MAHABHARATA

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श्री कृष्ण और कर्ण संवाद महाभारत  SHRI KRISHNA AUR KARNA KI MORAL STORY IN HINDI/STORY OF MAHABHARAT/MOTIVATIONAL STORY IN HINDI/HINDU MYTHOLOGY STORY  Mahabharata story: जब महाभारत युद्ध निश्चित हो चुका था तो श्री कृष्ण ने कर्ण को बता दिया कि तुम कुंती के ज्येष्ठ पुत्र हो और पांडवों के ज्येष्ठ भ्राता हो।‌‌‌ श्री कृष्ण कहने लगे कि तुम को पांडवों की ओर से युद्ध करना चाहिए दुर्योधन की तरफ से युद्ध नहीं लड़ना। कर्ण ने श्री कृष्ण को दुर्योधन की ओर से ही लड़ने का अपना निश्चय बता दिया।कर्ण अपने पक्ष को उचित ठहराया और कहने लगा कि केवल दुर्योधन ने ही उसका साथ दिया था।   कर्ण ने श्री कृष्ण से प्रश्न किये शुरू से ही परिस्थितियां मेरे विरुद्ध है। कर्ण: मेरी मां ने मुझे जन्म लेते ही छोड़ दिया अवैध संतान होने में मेरा क्या कसूर क्या था? गुरु द्रोणाचार्य ने मुझे क्षत्रिय ना होने के कारण मुझे युद्ध शिक्षा देने से इंकार कर दिया इसमें मेरा क्या कसूर था ? द्रोपदी ने मुझे भरी सभा में अपमानित किया क्योंकि मैं राजघराने से संबंध नहीं रखता था इसमें मेरा क्या कसूर था ? एक गाय को अनजाने में मेरा बाण लगा गया त

RE MAAE JEE MERA CHAHE MEIN PHIRON VRINDAVAN

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MADHAVAS ROCK BAND BHAJAN LYRICS  रे माई जी मेरा चाहे मैं फिरूँ वृन्दावन धाम भजन लिरिक्स इन हिन्दी   रे माई जी मेरा चाहे भजन माधवा रॉक बैंड का नया भजन है जिसके लिरिक्स बहुत ही सुन्दर है। इस भजन को उन्होंने थोड़ा सा पंजाबी टच दिया है। "रे माई जी मेरा चाहे मैं फिरूँ वृन्दावन धाम" माधव रॉक बैंड का सुंदर भजन है जिसमें नंद रानी वृन्दावन की पावन भूमि में बसने की इच्छा व्यक्त कर रही है। यहां श्यामा श्याम यानी की श्री कृष्ण और राधा रानी रहते हैं। MADHAVAS ROCK BAND BHAJAN LYRICS  "RE MAAE JEE MERA CHAHE MEIN PHIRON VRINDAVAN DHAM" रे माई, रे माई  रे माई, जी मेरा चाहे मैं फिरूँ वृन्दावन धाम  (जी- पंजाबी में दिल को कहते हैं)  हे माई जी मेरा चाहे मैं फिरूँ वृन्दावन धाम मैं फिरूँ वृन्दावन धाम जहां रहते है श्यामा श्याम रे मेरे माही, रे माही ,जी मेरा चाहे में फिरूँ वृन्दावन धाम  रे मेरे माही, रे माही ,जी मेरा चाहे में फिरूँ वृन्दावन धाम छोटी सी कुटिया में रह के, दिन भर भजन करूँगी रे हरि नाम का जाप करूंँगी ,गलिन गलिन डोलूंगी रे छोटी सी कुटिया में रह के, दिन भर भजन करूँगी रे हरि न

MADHURASHTKAM WITH MEANING IN HINDI

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 अधरं मधुरं वदनं मधुरं श्री कृष्ण भजन लिरिक्स अर्थ सहित  मधुराष्टकं की रचना हिन्दू संत श्री वल्लभाचार्य जी ने की थी। इसमें श्री कृष्ण की सुंदर रूप की महिमा गाई गई है  Adhram Madhuram Vadnam Madhuram lyrics with meaning in hindi    अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥ भाव-  हे श्री कृष्ण आपके होंठ मधुर है, आपका मुख मधुर है, आपकी आँखे मधुर है, आपकी मुस्कान मधुर है, आपको हृदय मधुर है, आपकी चाल मधुर है। हे मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण आप सभी प्रकार से मधुर है।। राधा अष्टकम स्तुति श्लोक संस्कृत में वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं । चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥ भाव - हे श्री कृष्ण आपका बोलना मधुर है, आपका चरित्र मधुर है, आपके वस्त्र मधुर है, आपके कंगन  मधुर है, आपका भ्रम  मधुर है, हे मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण आप सभी प्रकार से मधुर है। वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ । नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥ भाव- हे श्री कृष्ण! आपकी वेणु मधुर है, बांसुरी मधुर है, आपकी चर

SHRI KRISHNA FAMOUS BHAJAN LYRICS HINDI

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श्री कृष्ण के प्रसिद्ध भजन लिरिक्स इन हिन्दी  SHRI KRISHNA GOVIND HARE MURARI BHAJAN   श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी भजन  श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा पितु मात स्वामी सखा हमारे पितु मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा बंदी गृह के तुम अवतारी कही जन्मे कही पले मुरारी किसी के जाये किसी के कहाये है अद्भुद हर बात तिहारी है अद्भुद हर बात तिहारी गोकुल में चमके मथुरा के तारे गोकुल में चमके मथुरा के तारे हे नाथ नारायण वासुदेवा  कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा पितु मात स्वामी सखा हमारे पितु मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी अधर पे बंशी ह्रदय में राधे बट गए दोनों में आधे आधे हे राधा नागर हे भक्त वत्सल सदैव भक्तों के काम साधे सदैव भक्तों के क

LADOO GOPAL KI BHAKTI KI STORY IN HINDI

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 लड्डू गोपाल की भक्त की कथा   भगवान तो भाव के भूखे होते हैं। उन्हें हम बाहरी दिखावे से प्रसन्न नहीं कर सकते उसके लिए सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए। भगवान निश्छल प्रेम भाव पर रिझ जाते हैं। पढ़े लड्डू गोपाल श्री कृष्ण की ऐसी ही भक्त की कहानी  एक बार एक औरत श्री कृष्ण की परम भक्त थीं। उनके पास लड्डू गोपाल विग्रह थे जिसकी वह हर रोज़ सेवा करती थी। एक बार तीर्थ यात्रा के लिए उसे एक मास के लिए घर से दूर जाना था। उसने अपनी बहू जिसकी अभी नई नई शादी हुई थी से कहा कि मेरे तीर्थ यात्रा पर जाने के बाद तुम लड्डू गोपाल जी की सेवा करना। बहू कहने लगी कि ठीक है मां जी आप मुझे विधि बता दें। मैं पूरी श्रद्धा से उनकी सेवा करूंगी।  उसकी सासू मां कहने लगी कि बहू सुबह सबसे पहले ठाकुर जी को स्नान कराना। उसके पश्चात उनको सुंदर वस्त्र, आभूषण, बांसुरी, मुकुट पहनना, इत्र लगाना और उसके पश्चात् ठाकुर जी को दर्पण दिखाना। दर्पण में जब ठाकुर जी मुस्कुराये तो उनको भोग लगा देना। बहू ने हां में हामी भर दी तो सास निश्चित हो गई। सासू मां के तीर्थ यात्रा पर जाने के पश्चात जब पहले दिन बहू ने श्रद्धा भाव से ठाकुर जी को स्नान कराया,

RADHA KRISHNA AARTI LYRICS IN HINDI

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Radhe Krishna:श्री राधा कृष्ण जी की आरती लिरिक्स इन हिन्दी   राधा रानी श्री कृष्ण की सखी और उपासिका थी. राधा रानी को कृष्ण वल्लभा कहा गया है। वह श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी है। श्री राधा रानी के बिना श्री कृष्ण की भक्ति भी अधूरी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि श्री राधा कृष्ण की आरती(lord Radha Krishna Aarti) करने से श्री राधा कृष्ण की अनुपम कृपा प्राप्त होती है।  ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण श्री राधा कृष्णाय नमः श्री राधा कृष्णाय नमः।। ॐ जय श्री राधा, राधा राधा  जय श्री कृष्ण ,कृष्ण कृष्ण  श्री राधा कृष्णाय नमः श्री राधा कृष्णाय नमः।। चंद्रमुखी चंचल चितचोरी  सुघड़ सांवरा सूरत भोरी  श्यामा श्याम एक सी जोड़ी  श्री राधा कृष्णाय नमः।। ॐ जय श्री राधा, राधा राधा  जय श्री कृष्ण ,कृष्ण कृष्ण  श्री राधा कृष्णाय नमः श्री राधा कृष्णाय नमः।। पच रंग चूनर केसर क्यारी  पट पीताम्बर कामर कारी   एक रूप, अनुपम छवि प्यारी  श्री राधा कृष्णाय नमः।। ॐ जय श्री राधा, राधा राधा  जय श्री कृष्ण ,कृष्ण कृष्ण  श्री राधा कृष्णाय नमः श्री राधा कृष्णाय नमः।। चंद्र चंद्रिका चम चम चमके  मोर मुकुट सिर दम दम दमके

HEY GOPAL KRISHAN KARUN AARTI LYRICS IN HINDI

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"हे गोपाल कृष्ण करूं आरती तेरी "  हे गोपाल कृष्ण करूं आरती तेरी भजन आरती मशहूर टेलीविजन अभिनेत्री देबोलीना भट्टाचार्यी द्वारा गाई गई है।  कृष्ण की सुंदर आरती भजन के लिरिक्स मनीष त्रिपाठी ने लिखे हैं और इसका संगीत नवीन- मनीष ने दिया है। हे गोपाल कृष्ण करूं आरती तेरी लिरिक्स इन हिन्दी    हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी तुझ पे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं सांज सवेरे तेरे गुण गाउँ प्रेम में रंगी मैं रंगी भक्ति में तेरी हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी ये माटी का तन है तेरा मन और प्राण भी तेरे मैं एक गोपी तुम हो कन्हैया तुम हो भगवन मेरे ये माटी का तन है तेरा मन और प्राण भी तेरे मैं एक गोपी, तुम हो कन्हैया तुम हो भगवन मेरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण रटे आत्मा मेरी हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे कान्हा तेरा रूप अनुपम मन को हर्ता जाये मन यह चाहे हरपल अंखियां तेर

SHRI KRISHNA AUR RUKMANI VIVAH KATHA

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श्री कृष्ण और रूक्मिणी विवाह कथा  श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। चाहे श्री कृष्ण के साथ सदैव राधा रानी की पूजा की जाती है। लेकिन रूक्मिणी जी का भी एक विशेष स्थान है।  रूक्मिणी जी कौन थी(Rukmani ji kaun hai)  रूक्मिणी श्री कृष्ण की पत्नी थी और उन्होंने श्री कृष्ण के साथ प्रेम विवाह किया था। उन्हें माता लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है।  रूक्मिणी जी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की कन्या थी।  रूक्मिणी के पांच भाई थे रूक्मी ,रूक्मरथ, रूक्मबाहू, रूक्मेश और रूक्माली। रूक्मिणी जी ने नारद जी के मुख से श्री कृष्ण के रूप, पराक्रम और गुणों के बारे में सुनकर उन्हें पति के रूप में स्वीकार कर लिया था। उधर श्री कृष्ण ने भी रूक्मिणी की बुद्धि,रूपशीलता और गुणों के बारे में सुना था। बाकी सब भाई तो रूक्मिणी का विवाह श्री कृष्ण से करना चाहते थे लेकिन रूक्मी श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था इसलिए वह शिशुपाल के साथ रूक्मिणी का विवाह करवाना चाहता था।  रूक्मिणी जी द्वारा श्री कृष्ण को विवाह के लिए पत्र भेजना (rukmani dawara Shri Krishna ko vivah ka patar)  जब रूक्मिणी जी को जब पता चला तो उस

KRISHNA JANMASHTAMI VRAT 2022 MEIN KAB HAI

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कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 2022 Date जन्माष्टमी तिथि आरंभ - 18 अगस्त 2022 रात्रि 09:20 जन्माष्टमी तिथि समाप्त - 19 अगस्त 2022 रात्रि 10:59 इस वर्ष जन्माष्टमी पर विशेष वृद्धि योग बन रहा है मान्यता के अनुसार वृद्धि योग में पूजा अर्चना करने से घर में धन धान्य और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है और मां लक्ष्मी का निवास होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी 2022 में दो दिन मनाई जाएगी।18 तिथि को गृहस्थी लोग जन्माष्टमी मनाएंगे और 19 तिथि को साधू संत मनाएंगे। कृष्ण जन्माष्टमी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। श्री कृष्ण को मानने वाले भक्तों के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है। जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास में आता है। जोकि चातुर्मास का दूसरा महीना होता है। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में जाने जाते हैं।श्री कृष्ण का जन्म भाद्रमाह की अष्टमी तिथि को हुआ था इस दिन को जन्माष्टमी या कृष्णजन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। श्री कृष्ण की लीला से जुड़े स्थान जैसे मथुरा, वृन्दावन, द्वारिका पुरी आदि शहरों में मंदिरों में विशेष आयोजन किये जाते हैं। श्रद्धालु बड़ी दूर - दूर से कृष्ण मंदि

SHRI KRISHNA SYAMANTAKA MANI JAMBVANTI AUR SATYABHAMA VIVAH KI KATHA

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श्री कृष्ण स्यमंतकमणि , जामबन्ती और सत्यभामा विवाह कथा  राजा स्त्राजित को मणि की प्राप्ति  स्त्राजित सूर्य नारायण भगवान का परम भक्त था। सूर्य देव उसे मित्र की भांति मानते थे। उन्होंने ही स्यमंतकमणि स्त्राजित को भेंट की थी। स्त्राजित मणि को गले में धारण कर द्वारिका में प्रविष्ट हुआ तो सब लोगों को लगा कि मानो स्वयं सूर्य देव स्वयं चले आ रहे हो। स्त्राजित ने मणि को देवमंदिर में स्थापित करवा दिया। मणि से प्रतिदिन सोना उत्पन्न होता था और मणि जहां रहती वहां पर अकाल‌, महामारी, आदि व्याधि और मायावी लोग नहीं रह सकते थे। श्री कृष्ण पर स्यमंतकमणि चोरी का कलंक लगना  एक बार श्री कृष्ण ने राजा उग्रसेन के लिए मणि मांगी तो स्त्राजित ने धन के लोभ में मना कर दिया। एक दिन स्त्राजित का छोटा भाई प्रसेन मणि गले में धारण कर घोड़े पर बैठकर शिकार करने वन में गया। एक शेर ने स्त्राजित के भाई प्रसेन को उसके घोड़े सहित मार जब मणि लेकर गुफा में जाने लगा कि तो जामबंत नामक रीछ ने सिंह को मार डाला। जामवन्त में मणि लेकर अपने बालक को खिलौने के रूप में दे दी। राजा स्त्राजित को भाई के वापस ना आने पर चिंता होने लगी।वह सोचन