KRISHNA JANMASHTAMI VRAT 2022 MEIN KAB HAI
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 2022 Date
श्री कृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में जाने जाते हैं।श्री कृष्ण का जन्म भाद्रमाह की अष्टमी तिथि को हुआ था इस दिन को जन्माष्टमी या कृष्णजन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। श्री कृष्ण की लीला से जुड़े स्थान जैसे मथुरा, वृन्दावन, द्वारिका पुरी आदि शहरों में मंदिरों में विशेष आयोजन किये जाते हैं। श्रद्धालु बड़ी दूर - दूर से कृष्ण मंदिरों के दर्शन करने आते हैं।
बच्चों को राधा कृष्ण के रूप में सजाना
लोग अपने छोटे छोटे बच्चों को श्री कृष्ण और राधा रानी के रूप में सजाते है। श्री कृष्ण के जीवन से संबंधित लीलाओं का आयोजन किया जाता है।
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है
श्री कृष्ण का जन्म भाद्रमाह की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में अत्याचारी कंस का वध करने के लिए मथुरा नगरी के कारावास में हुआ। प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में विशेष हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन को पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मथुरा, वृन्दावन के मन्दिरों में बहुत दूर दूर से श्रद्धालु आते है। मथुरा में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और गोकुल, वृन्दावन में उन्होंने अपना बचपन बिताया था।
जन्माष्टमी व्रत का महत्व और फल
जन्माष्टमी व्रत कथा
श्री कृष्ण का जन्म भाद्रमाह की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में माँ देवकी के गर्भ से मथुरा के कारावास में अत्याचारी कंस का वध करने के लिए हुआ था।
मथुरा नगरी में राजा उग्रसेन राज्य करते थे। उनके अत्याचारी पुत्र कंस ने उन्हें गद्दी से हटा कर कारागार में बंद कर दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। देवकी कंस की बहन थी।
देवकी और वसुदेव जी के विवाह के बाद जब कंस अपनी बहन देवकी की विदाई कर रहा था तो आकाशवाणी हुई की तुम्हारी बहन का आठवा पुत्र तुम्हारी मौत का कारण बनेगा।
कंस तो देवकी को मारना चाहता था परंतु वसुदेव जी ने वादा किया कि वो सभी संतानों को उसे सौंप देगें, इस प्रकार उन्होंने ने देवकी की जान बचा ली।कंस ने देवकी और वसुदेव जी को जेल में कैद कर दिया।
देवकी और वसुदेव ने अपने छह पुत्र कंस को दे दिए। उनके सातवें पुत्र हुए 'बलराम' , जिसे योग माया ने माँ रोहिणी के गर्भ में संरक्षित कर दिया। बलराम जी ने माँ रोहिणी के यहा जन्म लिया।
वासुदेव जी श्री कृष्ण को नंद और यशोदा जी की बिटिया योग माया से बदल लाए। जब कंस ने योग माया को मारने का प्रयास किया तो योग माया ने कंस को बता दिया तुम्हे मारने वाला गोकुल में पैदा हो गया है और यह कह कर योग माया गायब हो गई।
कंस ने उस समय जितने भी बालक वहाँ पैदा हुए थे सबको मार देने का आदेश दिया। उस ने श्री कृष्ण को मरवाने के लिए पुतना, शकटासुर, तृणावृत, वत्सासुर, बकासुर और अघासुर आदि कई राक्षस भेजे। लेकिन नारद जी ने कंस को बता दिया कि बलराम और कृष्ण ही देवकी और वसुदेव के पुत्र है।
कंस ने देवकी और वसुदेव को दोबारा बेड़ियों में बांध दिया। कंस ने अक्रूर जी को श्री कृष्ण और बलराम को लेने वृन्दावन भेजा। श्री कृष्ण ने मथुरा आकर कंस का वध कर दिया और अपने माता- पिता को छुड़ा लिया।
जन्माष्टमी व्रत विधि
कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत से एक दिन पहले सप्तमी के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए और सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करे।
जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्तं में उठना चाहिए और स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहने और जन्माष्टमी व्रत का संकल्प लें।
जन्माष्टमी व्रत निराहार होता है लेकिन यदि किसी कारण वश आप निराहार व्रत ना कर सके तो आप जन्माष्टमी व्रत फलाहार रख सकते हैं।
जन्माष्टमी व्रत के दिन बाल गोपाल को पालने में बिठाते है।
इस दिन घरों और मंदिरों में कान्हा जी को झूला झूलाने की परम्परा है।
इस दिन श्री कृष्ण के 108 नामों का पढ़ना या सुनना, कृष्ण मंत्र, चालीसा, कृष्ण आरती और कृष्ण भजन पढ़ना और सुनना विशेष फलदायी माना जाता है।
श्री कृष्ण मधुराष्टकं पढ़ें इस में श्री कृष्ण की मधुर स्तुति गाई गई है।
रात को 12 बजे घरों और मंदिरों में आरती करके ठाकुर जी को माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है।
श्री कृष्ण को धनिये का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
कई मंदिरों में और घरों में ठाकुर जी को छप्पन भोग लगाया जाता है।
भोग लगाने के बाद भक्तों के वितरित किया जाता हैं।
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