SHRI KRISHNA SYAMANTAKA MANI JAMBVANTI AUR SATYABHAMA VIVAH KI KATHA

श्री कृष्ण स्यमंतकमणि , जामबन्ती और सत्यभामा विवाह कथा 

राजा स्त्राजित को मणि की प्राप्ति 

स्त्राजित सूर्य नारायण भगवान का परम भक्त था। सूर्य देव उसे मित्र की भांति मानते थे। उन्होंने ही स्यमंतकमणि स्त्राजित को भेंट की थी। स्त्राजित मणि को गले में धारण कर द्वारिका में प्रविष्ट हुआ तो सब लोगों को लगा कि मानो स्वयं सूर्य देव स्वयं चले आ रहे हो।

स्त्राजित ने मणि को देवमंदिर में स्थापित करवा दिया। मणि से प्रतिदिन सोना उत्पन्न होता था और मणि जहां रहती वहां पर अकाल‌, महामारी, आदि व्याधि और मायावी लोग नहीं रह सकते थे।

श्री कृष्ण पर स्यमंतकमणि चोरी का कलंक लगना 



एक बार श्री कृष्ण ने राजा उग्रसेन के लिए मणि मांगी तो स्त्राजित ने धन के लोभ में मना कर दिया। एक दिन स्त्राजित का छोटा भाई प्रसेन मणि गले में धारण कर घोड़े पर बैठकर शिकार करने वन में गया।

एक शेर ने स्त्राजित के भाई प्रसेन को उसके घोड़े सहित मार जब मणि लेकर गुफा में जाने लगा कि तो जामबंत नामक रीछ ने सिंह को मार डाला। जामवन्त में मणि लेकर अपने बालक को खिलौने के रूप में दे दी।

राजा स्त्राजित को भाई के वापस ना आने पर चिंता होने लगी।वह सोचने लगा कि श्री कृष्ण ने उसके भाई प्रसेन को मार दिया होगा क्योंकि वह मणि गले में धारण कर वन में गया था।

श्री कृष्ण और जामबन्त युद्ध 

भगवान श्री कृष्ण अपने ऊपर लगे हुए इस कलंक को मिटाने के लिए वन में प्रसेन को ढूंढने निकले। वहां वन में उन्होंने सिंह द्वारा प्रसेन और उसके घोड़े को मरे हुए देखा। फिर सिंह को रीछ के द्वारा मरा हुआ देखा। वहां भगवान श्री कृष्ण रीछों के राजा की अंधकार मय और भयानक गुफा में प्रविष्ट हुए। वहां श्री कृष्ण ने एक बालक को मणि के साथ खेलते हुए देखा। श्री कृष्ण को देखकर बालक की दाई जोर जोर से चिल्लाने लगी।

उसी समय जामबन्त वहां आया और वह भगवान श्री कृष्ण को साधारण मनुष्य जानकर युद्ध करने लगा। दोनों के मध्य अट्ठाइस दिन तक युद्ध होता रहा। श्री कृष्ण के प्रहार से जब जामबन्त का अंग अंग ढीला हो गया तो उन्होंने पहचान लिया कि आप तो मेरे इष्ट देव श्री राम है।

जामबन्त जी का श्री कृष्ण को मणि लौटाना श्री कृष्ण और जामबन्ती का विवाह 

श्री कृष्ण जामबन्त जी से कहने लगे कि मैं इस गुफा में स्यमंतकमणि को लेने आया हूं ताकि अपने ऊपर मणि को चोरी करने के मिथ्या कलंक को दूर कर सकूं। इतना सुनते ही जामबन्त जी ने मणि श्री कृष्ण को भेंट कर दी। जामवन्त जी ने अपनी कन्या जामबन्ती का विवाह श्री कृष्ण से कर दिया।

श्री कृष्ण द्वारा स्यमंतकमणि स्त्राजित को लौटना श्री कृष्ण और सत्यभामा विवाह 

श्री कृष्ण ने स्त्राजित को बुलाकर मणि उसे वापस लौटा दी। स्त्राजित श्री कृष्ण पर स्यमंतकमणि चुराने के मिथ्या आरोप के कारण बहुत लज्जित महसूस कर रहा था। स्त्राजित ने अपनी सुन्दर कन्या सत्यभामा का विवाह श्री कृष्ण के साथ करवा दिया और मणि भी श्री कृष्ण को भेंट करनी चाही। 

लेकिन श्री कृष्ण कहने लगे कि सूर्य देव ने यह मणि आप को भेंट की है इसलिए इसे आप ही रखें लेकिन इस मणि से जो स्वर्ण उत्पन्न होगा उसे तुम द्वारिका भेज देना।

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